अटलमय रहा सोशल मीडिया संसार

डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी
# माय हैशटैग
 
टेलीविजन चैनल और अखबारों में के बारे में जिस तरह के भावुक समाचार और संदेशों की बाढ़ आई, उससे भी बड़ी बाढ़ सोशल मीडिया पर देखने को मिली। ट्विटर इंडिया ने अटलजी के निधन पर अपनी ओर से विशेष व्यवस्था की थी। अटलजी, अटलजी अमर रहे, अटल बिहारी वाजपेयी आदि हैशटैग सोशल मीडिया पर लगातार छाए हुए हैं। प्रिंट और टीवी से अलग सोशल मीडिया में ऐसे संदेश भी हैं जिनमें अटल बिहारी वाजपेयी के जीवन की उपलब्धियों पर सकारात्मक और नकारात्मक दोनों ही तरह की टिप्पणियां उपलब्ध हैं।
 
 
ट्विटर पर तमाम नेताओं और मीडिया संस्थानों की खबरों की हेडलाइंस के साथ ही आम लोगों के विचार भी देखने को मिल रहे हैं। यह मांग भी उठ रही है कि महात्मा गांधी की तरह ही अटल बिहारी वाजपेयी की तस्वीर भी नोटों पर प्रकाशित की जानी चाहिए। भारतीय जनता पार्टी से जुड़े नेता और कार्यकर्ता इस अवसर को भुनाने में लगे हैं और लिख रहे हैं कि सन् 2004 में देश ने जिस शर्मनाक स्थिति का सामना किया, वैसी शर्मनाक स्थिति 2019 में नहीं आनी चाहिए। साफ है इस संदेश का अर्थ है कि गैरभाजपाई सरकार देश के लिए शर्म की बात है और भाजपा की सरकार गर्व की।
 
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन से देश 7 दिन के राजकीय शोक में डूबा है। उधर हमारे पड़ोस में नए प्रधानमंत्री की शपथ हो रही है। उस शपथ समारोह में जाने वालों पर भी लोगों ने निशाना बनाया और लिखा कि जब पूरा देश शोक में डूबा हो, तब राहुल गांधी की आंखों के तारे पाकिस्तान जाकर इमरान खान के शपथ समारोह की शोभा बढ़ा रहे हैं।
 
सोशल मीडिया पर ही यह समाचार भी उछल रहा है कि अटलजी की मृत्यु के 43 घंटे बाद इसकी आधिकारिक घोषणा की गई। यह इसलिए किया गया ताकि स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से दिए गए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भाषण को मीडिया में पूरा कवरेज मिले। अगर अटलजी की खबर पहले ही सार्वजनिक हो जाती, तो मीडिया में मोदीजी के भाषण नहीं, अटलजी की उपलब्धियों की चर्चा छाई रही।
 
अटलजी के निधन पर सोशल मीडिया में देश के सभी वर्गों और दलों के लोगों ने विनम्र श्रद्धांजलि दी। विदेशी दूतावासों की तरफ से भी शोक संदेशों का तांता लगा रहा और उन्होंने भी ध्वज आधे झुकाकर पूर्व प्रधानमंत्री को श्रद्धांजलि अर्पित की। लोगों ने लिखा कि 'क्या हिन्दू, क्या मुसलमान, रो रहा है सारा हिन्दुस्तान।'
 
लोगों ने अटल बिहारी वाजपेयी के शासन और उनकी निजी उपलब्धियों की चर्चा की। उनकी कविताओं के अंश सोशल मीडिया पर शेयर किए गए। हजारों लोगों ने अटल बिहारी वाजपेयी की तस्वीरें शेयर कीं और अपने संस्मरण भी साझा किए। ये संस्मरण एक श्रोता, नागरिक, कार्यकर्ता और अधिकारी के रूप में सोशल मीडिया में देखने को मिले।
 
अटलजी को श्रद्धांजलि देने वालों ने श्रद्धा-सुमन अर्पित करने की खबरें जगह-जगह वायरल करने की कोशिश की। अटलजी की पुरानी तस्वीरें और वीडियो शेयर करते हुए लिखा कि अटलजी ने जीते-जी तो देश को एकता के सूत्र में बांधा ही, मृत्यु के बाद भी सबको एक सूत्र में बांधकर चले गए। कार्टूनिस्ट समुदाय ने भी अटल बिहारी वाजपेयी के निधन पर भावपूर्ण रेखाचित्र बनाए, जो सोशल मीडिया पर काफी पसंद किए गए। अरसे बाद लोगों ने सकारात्मक रेखांकन अखबारों में देखे। विदेशी नेताओं और प्रतिनिधियों ने पूर्व प्रधानमंत्री को जिस तरह श्रद्धांजलि अर्पित की, वे दृश्य भावपूर्ण रहे।
 
अटल बिहारी वाजपेयी का महाप्रयाण उनके विराट व्यक्तित्व जैसा ही था। भले ही कुछ लोगों ने इस मौके पर उनकी कविताओं को असाहित्यिक और कार्यकाल को उपलब्धिहीन करार दिया हो। अधिकांश लोगों ने उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की। ऐसे राजनेता बिरले ही होते हैं।

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