देशभर के कई शहरों में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है। दिवाली पर पटाखों को चलाने के बाद यह और भी बढ़ जाता है। दिवाली पर दिल्ली और देश के शहर गैस के चेंबरों में तब्दील हो गए हैं। सांसों के जरिए शरीर में जाता यह धीमा जहर व्यक्ति को दर्दनाक मौत के करीब ले जाता है।
देश की राजधानी दिल्ली की बात करें तो दिवाली पर यहां की हवा जानलेवा बन चुकी है। पटाखों का धुआं खतरे के तौर पर आगे बढ़ रहा है। उधर, अभी किसानों ने पराली भी पूरी तरह से नहीं जलाई है। इन दोनों के एक साथ आने पर दिल्ली-एनसीआर गैस चैंबर में बदल सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने तय किया पटाखे चलाने का समय : पिछले वर्ष सुप्रीम कोर्ट ने दीवाली के करीब आते ही पटाखों की बिक्री और खरीद पर रोक लगा दी थी, लेकिन इस बार सुप्रीम कोर्ट ने बीच का रास्ता निकालते दिवाली, क्रिसमस और नए साल पर पटाखे फोड़ने के लिए समय निर्धारित कर दिया है।
कोर्ट ने दिवाली पर 8 बजे से 10 तक पटाखे जलाने का समय निर्धारित किया है। क्रिसमस और न्यू ईयर पर सिर्फ 20 मिनट ही पटाखे जला सकते हैं। बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए कोर्ट ने लोगों को ग्रीन और इको-फ्रेंडली पटाखे चलाने के लिए सुझाव दिया है।
बड़ा सवाल लोग मानेंगे कोर्ट का आदेश : सुप्रीम कोर्ट ने बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए आदेश तो दे दिया, लेकिन सवाल यह कि बढ़ते पर्यावरण असंतुलन को देखते हुए देशवासी कोर्ट के इस ऑर्डर का कितनी गंभीरता से पालन करते हैं।
एयर क्वॉलिटी इंडेक्स (AQI) बताता है प्रदूषण का स्तर : सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड एयर क्वॉलिटी इंडेक्स (AQI) से हवा की क्वॉलिटी को बताता है। इंडेक्स बड़े पॉल्यूटेंट PM2.5 और PM10 को मापती है। अगर इनकी वैल्यू 0 से 50 के बीच है तो यह सामान्य है, 51 से 100 के बीच संतोषजनक, 101 से 200 के बीच हल्का प्रदूषण, 201 से 300 के बीच बुरा, 301 से 400 के बीच बहुत बुरा, 401 से 500 लेवल पर बेहद खतरनाक स्तर माना जाता है।
गैस चैंबर बनी दिल्ली : ETEnergyworld की रिपोर्ट के अनुसार पिछले 10 दिनों में दिल्ली-एनसीआर में हवा की गुणवत्ता में बहुत उतार-चढ़ाव आए हैं। पिछले दिनों में दिल्ली में प्रदूषण की स्थिति खतरनाक स्थिति में पहुंच चुकी है। आशंका जताई जा रही है आने वाले दिनों में हालात और बिगड़ने वाले हैं। सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (सीपीसीबी) के डेटा के मुताबिक इस बार दशहरे के त्योहार के बाद से दिल्ली-एनसीआर में हवा की गुणवत्ता बहुत तेजी से खराब हुई है। भिवंडी में एक्यूआई 412, फरीदाबाद में 310, गुड़गांव में 305, गाजियाबाद में 297, ग्रेटर नोएडा में 295 और दिल्ली में 292 रहा।
क्या है दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण का कारण : एक आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली में हवा में खतरनाक प्रदूषण के लिए 60 प्रतिशत गाड़ियां और 40 प्रतिशत पराली जिम्मेदार है। पिछले दस दिनों में दिल्ली-एनसीआर में खतरनाक स्थिति के कई कारण हैं। पंजाब और हरियाणा जैसे पड़ोसी राज्यों में ये किसानों के खेतों में पड़ी पराली को जलाने का समय होता है, जिसके कारण वातावरण में धुआं, धुंध और प्रदूषक फैल जाते हैं। इसके अतिरिक्त लगातार चल रहे कन्सट्रक्शन वर्क्स भी प्रदूषण के स्तर को बढ़ाते हैं।
दुनिया के 20 प्रदूषित शहरों में 10 भारत के : इस समय भारत विश्व की सबसे तेजी से विकसित होने वाली अर्थव्यवस्था है। हालांकि चीन की अर्थव्यवस्था भारत से पांच गुना बड़ी है। भारत में अब भी विनिर्माण को बढ़ावा दिया जा रहा है इसलिए प्रदूषण बढ़ने की आशंकाएं हैं। ब्लूमबर्ग में छपी रिपोर्ट के मुताबिक विश्व में सबसे तेजी से आगे बढ़ रही अर्थव्यवस्था वाला देश भारत भी प्रदूषण की मार झेल रहा है। दुनिया के 20 सबसे प्रदूषित शहरों में से 10 भारत के हैं।
अस्थमा और कैंसर जैसी बीमारियां : हवा में मौजूद छोटे-छोटे कण अस्थमा और लंग कैंसर जैसी बीमारियां पैदा कर रहे हैं। ब्लूमबर्ग की इस रिपोर्ट के मुताबिक 2015 में इन बीमारियों के कारण 11 लाख लोगों की मौत हुई। शिकागो यूनिवसिर्टी के प्रोफेसर माइकल ग्रीनस्टोन का कहना है कि भारत में वायु प्रदूषण कम करने की मांग प्रभावी रूप से न उठना एक बड़ी चुनौती है। भारत में वायु प्रदूषण की वजह से होने वाली मौतों के अध्ययन की आवश्यकता है। एक जानकारी के मुताबिक दिल्ली में लोगों की औसत आयु 10 साल तक कम हो सकती है।
अमीर हो सकती है सरकार : सर्दियां शुरू होते ही मोदी सरकार की नीतियों की परीक्षा रहती है। रोक के बाद भी किसान पराली जला रहे हैं। दिवाली पर वायु प्रदूषण खतरनाक हो जाता है। अगर सफल रूप से मोदी सरकार की नीतियों को लागू किया जाता है तो भारत के लोग और सरकार और भी ज्यादा अमीर हो सकती है। विश्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक हेल्थ केयर फीस और प्रदूषण की वजह से प्रोडक्टिविटी का नुकसान भारत की जीडीपी का 8.5 प्रतिशत है।
भारत के लिए एक्यूएलआई : हाल ही में एपिक ने मध्यप्रदेश के जिलों के अनुसार यह एक्यूएलआई तैयार किया है। इसके अनुसार प्रदेश में सबसे ज्यादा जहरीली हवा भिंड की है। अमेरिका के शिकागो विश्वविद्यालय की शोध संस्था एपिक(एनर्जी पॉलिसी इंस्टीट्यूट एट यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो) द्वारा तैयार किए गए वायु गुणवत्ता जीवन सूचकांक (एक्यूएलआई) में सामने आई है।
31 अक्टूबर 2019 गुरुवार को यह स्टडी रिपोर्ट दिल्ली में जारी की गई है। शिकागो विश्वविद्यालय में एपिक के डायरेक्टर माइकल ग्रीनस्टोन का कहना है कि पहला मौका जब भारत के लिए एक्यूएलआई तैयार किया है।
प्रो ग्रीनस्टोन के मुताबिक यदि भारत अपने राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के लक्ष्यों को प्राप्त करने में कामयाब होता है और वायु प्रदूषण में 25 फीसदी की कमी लाने में भी सफल हुआ तो यहां के लोगों की आयु औसतन 1.3 साल तक बढ़ जाएगी।