दिग्गज भारतीय बल्लेबाज विराट कोहली श्रीलंका के खिलाफ गुरुवार को विश्व कप मुकाबले में मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर के कैलेंडर वर्ष में सबसे ज्यादा बार 1000 रन बनाने के रिकॉर्ड को पीछे छोड़ दिया।
तेंदुलकर ने एकदिवसीय में कैलेंडर वर्ष में सात बार 1000 से अधिक रन बनाये है जबकि कोहली ने आठवीं बार यह कारनामा किया।इस मैच से पहले कोहली के नाम इस साल 966 रन थे। वह 94 गेंद में 88 रन बनाकर आउट हुए।
श्रीलंका के खिलाफ मैच में 11 ओवर में महीश तीक्षणा के खिलाफ एक रन लेकर कोहली ने मौजूदा वर्ष में 23 मैचों में 1000 रन के आंकड़े को छुआ।तेंदुलकर ने साल 1994, 1996, 1997, 1998, 2000, 2003 और 2007 में वनडे क्रिकेट में 1000 रन से अधिक बनाये थे जबकि कोहली ने 2011, 2012, 2013, 2014, 2017, 2018, 2019 और 2023 में इस उपलब्धि को अपने नाम किया।
कोहली हालांकि एकदिवसीय में तेंदुलकर के 49 शतक के रिकॉर्ड की बराबरी करने से चूक गये। वह 94 गेंद में 88 रन बनाकर आउट हुए।उनके नाम एकदिवसीय में 288 मैचों में 48 शतक है जबकि तेंदुलकर ने 463 एकदिवसीय मैचों में 49 शतक लगाये हैं।
नहीं सोचा था कि इतने शतक और रन बनाऊंगा: कोहली
सचिन तेंदुलकर के एकदिवसीय शतकों के रिकॉर्ड की बराबरी करने की दहलीज पर खड़े भारत के स्टार बल्लेबाज विराट कोहली ने कहा कि जब उन्होंने अपना करियर शुरू किया था तो उन्होंने इतने रन और शतक बनाने के बारे में कभी नहीं सोचा था।
कोहली मौजूदा एकदिवसीय विश्व कप में अच्छी फॉर्म में हैं और छह मैच में एक शतक और तीन अर्धशतक जड़ चुके हैं। उन्होंने 19 अक्टूबर को पुणे में बांग्लादेश के खिलाफ नाबाद 103 रन की पारी खेलकर अपना 48वां वनडे शतक लगाया और अब तेंदुलकर के विश्व रिकॉर्ड की बराबरी करने से सिर्फ एक शतक दूर हैं।
कोहली ने स्टार स्पोर्ट्स से कहा, अगर हम क्रिकेट के बारे में बात करें तो मैंने कभी भी इतना सब कुछ हासिल करने के बारे में नहीं सोचा था, जैसे कि मेरा करियर कहां है और भगवान ने ऐसे करियर तथा प्रदर्शन का आशीर्वाद दिया है।उन्होंने कहा, मैंने हमेशा सपना देखा था कि मैं ऐसा करूंगा लेकिन मैंने कभी नहीं सोचा था कि चीजें इस तरह से आगे बढ़ेंगी। कोई भी इन चीजों की योजना नहीं बना सकता है कि आपका सफर कैसा रहेगा और आपके सामने चीजें कैसे होंगी।कोहली ने कहा, मैंने कभी नहीं सोचा कि इन 12 साल में मैं इतने शतक और इतने रन बनाऊंगा।
कोहली ने कहा कि उन्हें अनुशासन और जीवनशैली बदलनी पड़ी क्योंकि उन्होंने अपने करियर में एक समय पाया कि वह पेशेवरपन के मामले में पिछड़ रहे हैं।उन्होंने कहा, मेरा एकमात्र ध्यान इस बात पर था कि मैं टीम के लिए अच्छा प्रदर्शन करूं और मुश्किल परिस्थितियों में टीम को मैच जिताऊं। इसके लिए मैंने अनुशासन और जीवनशैली के संबंध में काफी बदलाव किए।भारत के लिए 2008 में पदार्पण करने वाले कोहली ने कहा, मेरे पास हमेशा प्रेरणा थी लेकिन पेशेवरपन की कमी थी। अब मेरा पूरा ध्यान इस बात पर है कि मैं खेल को कैसे खेलना चाहता हूं और उसके बाद, मैंने जो परिणाम हासिल किए हैं, वे उसी तरह से खेलने से मिले हैं। (भाषा)