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Cricket World Cup 2019 : विषम परिस्थितियों में भी फॉर्म बरकरार रखकर मिसाल पेश की शमी ने

हमें फॉलो करें Cricket World Cup 2019 : विषम परिस्थितियों में भी फॉर्म बरकरार रखकर मिसाल पेश की शमी ने
, रविवार, 30 जून 2019 (15:16 IST)
नई दिल्ली। पारिवारिक समस्याओं और फिटनेस से जुड़ीं बाधाओं से जूझते हुए भी अपनी फॉर्म को कैसे बरकरार रखा जाता है, यह तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी से सीखिए, जो विश्व कप में हैट्रिक लेने वाले दूसरे भारतीय गेंदबाज बन गए हैं। अपने दमदार प्रदर्शन से शमी ने साबित किया है कि वे विपरीत परिस्थितियों में खुद को मानसिक रूप से मजबूत बनाए रखने की कला जानते हैं।
 
शमी का अंतरराष्ट्रीय करियर 2013 में शुरू हुआ था और तब से वे जब-तब फिटनेस संबंधी समस्याओं से जूझते रहे। इसके अलावा पिछले कुछ समय से वे पारिवारिक कारणों से भी परेशान रहे। उनकी पत्नी हसीन जहां ने उन पर घरेलू हिंसा का आरोप लगाया जिससे भारतीय क्रिकेट बोर्ड ने एक समय उनका वार्षिक अनुबंध भी रोक दिया था।
 
इन सब परिस्थितियों के बीच एक समय 'टेस्ट गेंदबाज' का ठप्पा पाने वाले शमी जब एकदिवसीय टीम में वापसी कर अच्छा प्रदर्शन करते हैं और विश्व कप के लिए 15 सदस्यीय दल में अपनी जगह बनाते हैं तो किसी को हैरानी नहीं होती है। हालांकि माना जा रहा था कि वे जसप्रीत बुमराह के साथ नई गेंद संभालेंगे लेकिन इंग्लैंड की परिस्थितियों को देखते हुए भुवनेश्वर कुमार को उन पर तरजीह दी गई।
 
भुवनेश्वर पाकिस्तान के खिलाफ मैच में चोटिल हो गए और शमी को अगले 2 मैचों में मौका मिल गया जिसमें उन्होंने शानदार प्रदर्शन किया। अफगानिस्तान के खिलाफ आखिरी ओवर में 16 रन के बचाव का जिम्मा शमी को सौंपा गया और दाएं हाथ का यह तेज गेंदबाज न केवल इस भरोसे पर खरा उतरा बल्कि हैट्रिक बनाकर विशिष्ट क्लब में शामिल हो गया।
 
शमी भारत के दूसरे गेंदबाज हैं जिन्होंने विश्व कप में हैट्रिक बनाई। उनसे पहले चेतन शर्मा ने 1987 में नागपुर में न्यूजीलैंड के खिलाफ यह कारनामा किया था। इसके बाद उन्हें वेस्टइंडीज के खिलाफ भी मौका मिला और शमी ने अपनी कसी हुई गेंदबाजी से 16 रन देकर 4 विकेट लिए। शमी ने अपने प्रर्दशन से साबित किया कि वे मुश्किल हालातों को मात देना कितना बखूबी से जानते हैं।
 
शमी कहते हैं कि पिछले 18 महीनों में जो कुछ हुआ, वह सब मुझे ही झेलना पड़ा। इसलिए इसका श्रेय भी मुझे ही जाता है। मैं अल्लाह का शुक्रिया अदा करता हूं कि उसने मुझे इस सब (पारिवारिक मुद्दों से लेकर फिटनेस तक) से लड़ने की ताकत दी। अब मैं केवल देश के लिए अच्छा करने पर ध्यान दे रहा हूं।
 
उत्तरप्रदेश के अमरोहा में 3 सितंबर 1990 को जन्मे शमी ने बंगाल जाकर अपने क्रिकेट करियर को पंख लगाए। उन्होंने 2013 में टेस्ट और वनडे दोनों प्रारूपों में भारत की तरफ से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण किया। अपनी तेजी तथा नई और पुरानी गेंद को मूव कराने की क्षमता के कारण वे जल्द ही भारतीय आक्रमण के अहम अंग बन गए।
 
शमी ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में खेले गए पिछले विश्व कप में भी भारतीय टीम का हिस्सा थे जिसमें उन्होंने 7 मैचों में 17 विकेट लिए थे। उन्होंने यह प्रदर्शन तब किया था जबकि वे घुटने की चोट से जूझ रहे थे। इस चोट के कारण वे अगले 3 वर्षों में केवल 5 एकदिवसीय मैच ही खेल पाए। हालांकि वे टेस्ट टीम का हिस्सा बने रहे और एक तरह से उन पर 'टेस्ट गेंदबाज' का बिल्ला चस्पा हो गया।
 
लेकिन शमी ने हार नहीं मानी। उन्हें इस साल के शुरू में ऑस्ट्रेलियाई दौरे में 4 टेस्ट मैचों में 16 विकेट लेने के दमदार प्रदर्शन के लिए 3 वनडे मैच खेलने का मौका मिला जिसमें उन्होंने 5 विकेट लिए। शमी के लिए हालांकि इसके बाद न्यूजीलैंड का दौरा अधिक फलदायी रहा जिसमें उन्होंने 4 मैचों में 9 विकेट झटके।
 
तब मुख्य कोच रवि शास्त्री ने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले भारतीय खिलाड़ियों में शमी का विशेष जिक्र किया था। शमी अभी 28 साल के हैं। उन्होंने 40 टेस्ट मैचों में 144 और 65 वनडे में 121 विकेट लिए हैं। वर्तमान समय में बुमराह, भुवनेश्वर और शमी को विश्व क्रिकेट की सबसे घातक तेज 'गेंदबाजी की त्रिमूर्ति' माना जाता है। (भाषा)

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