Biodata Maker

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

Manipur violence: क्यों जला मणिपुर, खूबसूरत राज्य को किसकी लगी नजर?

Advertiesment
हमें फॉलो करें violence in Manipur

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

Manipur violence: अपने प्राकृतिक सौन्दर्य के लिए देशी-विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करने वाला पूर्वोत्तर का मणिपुर राज्य हिंसा की लपटों में झुलस गया। 13000 से ज्यादा लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। वहीं हिंसा में कई लोगों के मरने की खबर है। हिंसा के दौरान कोबरा कमांडो और एक आयकर अधिकारी की भी हत्या कर दी गई। मणिपुर के कई लोग पास के राज्यों में पहुंच गए हैं। 600 से ज्यादा लोगों ने तो असम में ही शरण ली है। 
 
इस हिंसा के मूल में मणिपुर के एक कानून को माना जा रहा है, जिसके तहत सिर्फ आदिवासी समुदाय के लोग ही पहाड़ी इलाकों में बस सकते हैं। राज्य के कुल क्षेत्रफल का लगभग 89 फीसदी हिस्सा पहाड़ी है। जबकि आदिवासियों से ज्यादा जनसंख्‍या यहां पर मैतेई समुदाय की है, जिसे अनुसूचित जाति का दर्जा प्राप्त है।
violence in Manipur
मणिपुर में 16 जिले हैं। यहां की जमीन इंफाल घाटी और पहाड़ी जिलों के रूप में बंटी हुई है। इंफाल घाटी में मैतेई समुदाय के लोग बड़ी संख्‍या में रहते हैं, जबकि पहाड़ी जिलों में नगा और कुकी जनजातियों का वर्चस्व है। हालिया हिंसा पहाड़ी जिलों में ज्यादा देखी गई। यहां पर रहने वाले लोग कुकी और नगा ईसाई हैं।  
मैतेई समुदाय की संख्या ज्यादा : मैतेई समुदाय की जनसंख्या राज्य में 53 प्रतिशत है, जबकि जबकि 40 फीसदी आबादी नगा और कुकी आदिवासियों की है। राज्य में 7 फीसदी समुदाय अन्य समुदाय से आते हैं। इनमें से कुछ मुस्लिम भी हैं। मणिपुर के इस कानून के मुताबिक 40 फीसदी नगा और कुकी आदिवासियों को राज्य के 89 फीसदी हिस्से पर बसने का अधिकार है। नगा तथा कूकी जाति की लगभग 60 जनजातियां यहां पाई जाती हैं।
 
अनुसूचित जाति में होने के कारण मैतेई समुदाय इस अधिकार से वंचित है। वह चाहता है कि उसे भी जमीन पर बसने और जीविकोपार्जन का अधिकार मिलना चाहिए। यही कारण है कि मैतेई समुदाय खुद के लिए एसटी का दर्जा देने की मांग कर रहा है। हालांकि मणिपुर के भूमि क्षेत्र का लगभग 10 फीसदी हिस्सा इन्हीं लोगों के पास है।
 
ऑल मणिपुर ट्राइबल यूनियन का मानना है कि अगर मैतेई समुदाय को जनजाति का दर्जा मिलता है तो वे हमारी सारी जमीन ले लेंगे। आरक्षण का अधिकांश हिस्सा भी वही हथिया लेंगे। वहीं मैतेई समुदाय का मानना है कि एसटी दर्जे का विरोध महज एक दिखावा है। कुकी आरक्षित वन क्षेत्रों में बस्तियां बनाकर अवैध कब्जा कर रहे हैं।
 
शेड्‍यूल ट्राइब डिमांड कमेटी ऑफ मणिपुर (STDCM) 2012 से मैतेई समुदाय को जनजाति का दर्जा देने की मांग करता आ रहा है। हाईकोर्ट में याचिकाकर्ताओं ने कहा कि 1949 में जब मणिपुर का भारत में विलय हुआ था, उससे पहले मैतेई को जनजाति का दर्जा मिला हुआ था।
violence in Manipur
यहां से शुरू हुई हिंसा : इसी कड़ी में मणिपुर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से मैतेई समुदाय को एसटी का दर्जा देने के लिए विचार करने की मांग की। अदालत की इसी मांग के विरोध में ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ मणिपुर आदिवासी एकता मार्च निकला और देखते ही देखते हिंसा भड़क गई और इसने लगभग पूरे राज्य को अपनी चपेट में ले लिया। 3 मई की रात इस तनाव ने हिंसा का रूप ले लिया।
 
आदिवासियों और बहुसंख्यक मैतेई समुदाय के बीच काफी दिनों से तनाव की स्थिति बनी हुई है। ज्यादातर नगा और कुकी आदिवासी ईसाई धर्म में आस्था रखते हैं, जबकि बहुसंख्यक मैतेई खुद को हिन्दू मानते हैं। जानकार इस बात को लेकर आशंकित है कि निकट भविष्य में यह हिंसा ईसाई बनाम हिंदू का रूप भी ले सकती है।
 
मणिपुर हिंसा पर किसने क्या कहा? 
 
मेरा मणिपुर जल रहा है : ओलंपिक पदक विजेता मुक्केबाज एमसी मेरीकॉम ने केंद्र सरकार से मणिपुर में भड़की हिंसा पर काबू पाने में मदद करने की अपील की। उन्होंने ट्वीट किया जिसमें, हिंसा की तस्वीर के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को टैग करते हुए उन्होंने लिखा- मेरा मणिपुर जल रहा है, कृपया मदद करें।
violence in Manipur
सत्ता के लोभ की राजनीति : कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी ने मणिपुर में हिंसा भड़कने के लिए भाजपा की ‘सत्ता के लोभ की राजनीति’ को जिम्मेदार ठहराते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पूर्वोत्तर के इस प्रदेश में शांति एवं सामान्य स्थिति बहाल करने पर ध्यान देना चाहिए। खरगे ने ट्वीट कर लिखा- मणिपुर जल रहा है। भाजपा ने समुदायों के बीच दरार पैदा की और इस खूबसूरत राज्य की शांति को भंग कर दिया है।
 
राष्ट्रपति शासन लगाएं : कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने मणिपुर में हिंसा को लेकर कहा कि राज्य के हालात बदतर हैं और पार्टी ने वहां राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की। पार्टी ने कहा कि पूरी तरह से विफल’ गृह मंत्री को इस्तीफा दे देना चाहिए क्योंकि वह पद पर बने रहने का नैतिक अधिकार खो चुके हैं। मोदी सरकार ने राज्यपाल को देखते ही गोली मारने के आदेश देने के लिए अधिकृत किया है। क्या आप कल्पना कर सकते हैं आज 2023 के हिंदुस्तान में किस तरह के आदेश दिए जा रहे हैं?
 
ममता बनर्जी की चिंता : बनर्जी ने ट्विटर पर कहा- मैं मणिपुर की स्थिति को लेकर बहुत चिंतित हूं। राजनीति और चुनाव इंतजार कर सकते हैं, लेकिन पहले हमारे खूबसूरत राज्य मणिपुर की रक्षा करनी होगी। मैं प्रधानमंत्री (नरेन्द्र) मोदी और अमित शाह से वहां शांति बहाल कराने के लिए कदम उठाने का आग्रह करती हूं। उन्होंने मणिपुर के लोगों से शांति बनाए रखने का आग्रह भी किया।
 
लोगों को बांटने की नीति : भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने आरोप लगाया कि मणिपुर में हिंसा ‘लोगों को बांटने’ की सरकार की नीति का परिणाम है। वामपंथी दल ने एक बयान में केंद्र सरकार से यह आग्रह भी किया कि वह पूर्वोत्तर के इस प्रदेश में शांति बहाली के लिए बातचीत की पहल करे।
 
मणिपुर का इतिहास : प्राकृतिक सौन्दर्य के कारण पूरब का स्विट्‍जरलैंड कहलाने वाले मणिपुर का इतिहास ईसा पूर्व से ही काफी समृद्ध रहा है। मणिपुर को देश की 'ऑर्किड बास्केट' भी कहा जाता है। यहां ऑर्किड फूलों की 500 प्रजातियां पाई जाती हैं। कहा जाता है कि प्राचीन काल में पड़ोसी राज्यों द्वारा मणिपुर को अलग-अलग नामों से पुकारा जाता था। बर्मियों द्वारा कथे, असमियों द्वारा मोगली और मिक्ली आदि नामों से पुकारा जाता था। मणिपुर को मैत्रबाक, पोंथोक्लम आदि नामों से भी जाना जाता था। पौराणिक कथाओं से भी मणिपुर का संबंध जोड़ा जाता है। 
 
1949 में भारत का हिस्सा बना : मणिपुर के राजवंशों का लिखित इतिहास सन 33 ई. में राजा पाखंगबा से शुरू होता है। 1819 से 1825 तक यहां बर्मी लोगों ने शासन किया। 24 अप्रैल, 1891 के खोंगजोम युद्ध के बाद मणिपुर ब्रिटिश शासन के अधीन आ गया। 1947 में जब अंग्रेजों ने मणिपुर छोड़ा तब मणिपुर का शासन महाराज बोधचन्द्र संभाल रहे थे। 21 सितंबर 1949 को हुई विलय संधि के बाद 15 अक्टूबर 1949 से मणिपुर भारत का अंग बन गया।
 
1972 में मिला पूर्ण राज्य का दर्जा : 26 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान लागू होने पर यह एक मुख्य आयुक्त के अधीन भारतीय संघ में भाग ‘सी’ के राज्य के रूप में शामिल हुआ। बाद में प्रादेशिक परिषद गठित की गई। 19 दिसंबर 1969 से प्रशासक का दर्जा मुख्य आयुक्त से बढ़ाकर उपराज्यपाल कर दिया गया। 21 जनवरी, 1972 को मणिपुर को पूर्ण राज्य का दर्जा मिला और 60 निर्वाचित सदस्यों वाली विधानसभा गठित की गई। 
 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

अडाणी पॉवर का मुनाफा 13 प्रतिशत बढ़ा, शुद्ध लाभ 5242 करोड़ हुआ