History of Israel and Palestine war in Hindi : इजरायल और फिलिस्तीन (Israel and Palestine) के बीच इस जंग का खूनी इतिहास नया नहीं, काफी पुराना है। 7 अक्टूबर 2023 की सुबह जब दुनिया का ज्यादातर हिस्सा नींद में सो रहा था, ठीक इसी वक्त फिलिस्तीन के आतंकी संगठन हमास (Hamas) ने अचानक इजरायल के अनगिनत ठिकानों पर अटैक कर दिया। इस अटैक में पांच हजार से लेकर सात हजार तक मिसाइलें दागी गईं। यह इजरायल पर एक बेहद वीभत्स हमला था। हमले अब तक इजरायल के 1200 लोगों की मौत हो गई। इजरायल ने ऑपरेशन आयरन सॉर्ड बनाया और हमास पर काउंटर अटैक किया, गाजा पट्टी में घुसकर लगातार आतंकी मारे जा रहे हैं। इजरायल ने गाजा को तकरीबन तबाह कर दिया है।
35 एकड़ जमीन के लिए मचा है 'मौत का तांडव'
दरअसल, इजरायल और फिलिस्तीन की जिस जंग में हजारों जानें अब तक जा चुकी हैं, उसके पीछे 35 एकड़ जमीन का टुकड़ा है। इस जमीन के लिए ही कई सालों से दोनों के बीच जंग जारी है।
क्या है 35 एकड़ जमीन का विवाद?
येरुशलम में 35 एकड़ जमीन के टुकड़े पर एक ऐसी जगह है, जिसका ताल्लुक तीन-तीन धर्मों से है। इस जगह को यहूदी हर-हवाइयत या फिर टेंपल माउंट कहते हैं। जबकि मुस्लिम इसे हरम-अल-शरीफ बुलाते हैं। पहले इस पर फिलिस्तीन का कब्जा था। बाद में इजरायल ने इसे अपने कब्जे में लिया। अब 35 एकड़ जमीन पर बसे टेंपल माउंट या हरम अल शरीफ ना तो इजरायल के कब्जे में है और ना ही फिलिस्तीन के। यह जगह संयुक्त राष्ट्र के अधीन है।
क्या है मुस्लिमों का दावा : मुस्लिम मान्यताओं के मुताबिक मक्का और मदीना के बाद हरम-अल-शरीफ उनके लिए तीसरी सबसे पाक जगह है। मुस्लिम धर्म ग्रंथ कुरान के मुताबिक आखिरी पैगंबर मोहम्मद मक्का से उड़ते हुए घोड़े पर सवार होकर हरम अल शरीफ पहुंचे थे। और यहीं से वो जन्नत गए। इसी मान्यता के मुताबिक तब येरुशलम में मौजूद उसी हरम अल शरीफ पर एक मस्जिद बनी थी। जिसका नाम अल अक्सा मस्जिद है। मान्यता है कि ये मस्जिद ठीक उसी जगह पर बनी है, जहां येरुशलम पहुंचने के बाद पैगंबर मोहम्मद ने अपने पांव रखे थे। अल अक्सा मस्जिद के करीब ही एक सुनहरे गुंबद वाली इमारत है। इसे डोम ऑफ द रॉक कहा जाता है। मुस्लिम मान्यता के मुताबिक ये वही जगह है, जहां से पैगंबर मोहम्मद जन्नत गए थे। यही वजह है कि अल अक्सा मस्जिद और डोम ऑफ द रॉक को मुसलमान पवित्र मानते हैं।
क्या है यहूदियों का दावा : यहूदियों की मान्यता है येरुशलम में 35 एकड़ की उसी जमीन पर उनका टेंपल माउंट है। यानी वो जगह जहां उनके ईश्वर ने मिट्टी रखी थी। जिससे आदम का जन्म हुआ था। यहूदियों की मान्यता है कि ये वही जगह है, जहां अब्राहम से खुदा ने कुर्बानी मांगी थी। अब्राहम के दो बेटे थे। एक इस्माइल और दूसरा इसहाक। अब्राहम ने खुदा की राय में इसहाक को कुर्बान करने का फैसला किया। लेकिन यहूदी मान्यताओं के मुताबिक तभी फरिश्ते ने इसहाक की जगह एक भेड़ को रख दिया था। जिस जगह पर ये घटना हुई, उसका नाम टेंपल माउंट है। यहूदियों के धार्मिक ग्रंथ हिबू बाइबल में इसका जिक्र है। बाद में इसहाक को एक बेटा हुआ। जिसका नाम जैकब था। जैकब का एक और नाम था इसरायल। इसहाक के बेटे इसरायल के बाद में 12 बेटे हुए। उनके नाम थे टुवेल्व ट्राइब्स ऑफ इजरायल। यहूदियों की मान्यता के मुताबिक, इन्हीं कबीलों की पीढ़ियों ने आगे चल कर यहूदी देश बनाया। शुरुआत में उसका नाम लैंड ऑफ इजरायल रखा गया था। 1948 में इजरायल की दावेदारी का आधार यही लैंड ऑफ इजरायल बना।
प्रथम विश्वयुद्ध से हुई संघर्ष की शुरुआत : (first world war) इजरायल और फिलिस्तीन के बीच इस संघर्ष की शुरुआत प्रथम विश्व युद्ध के समय हुई थी। ओटोमन यानी उस्मानी साम्राज्य की हार के बाद ब्रिटेन ने फिलिस्तीन पर कब्जा हासिल कर लिया था। फिलिस्तीन में यहूदी, अल्पसंख्यक थे, जबकि अरब बहुसंख्यक थे। अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने ब्रिटेन को फिलिस्तीन में यहूदी मदरलैंड बनाने का काम सौंपा था।
ब्रिटिश शासन ने बाल्फोर घोषणा की, जिसमें फिलिस्तीन में 'यहूदियों के लिए एक अलग राज्य' बनाने के लिए अपना समर्थन देने का संकेत दिया। इसमें कहा गया, 'ऐसा कुछ भी नहीं किया जाएगा जो यहां मौजूद गैर-यहूदी समुदायों के नागरिक और धार्मिक अधिकारों के खिलाफ हो'।
1922 से 1947 तक पूर्वी और मध्य यूरोप से यहूदियों का पलायन बढ़ गया, क्योंकि युद्ध और फिर द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान यहूदियों को उत्पीड़न और अत्याचारों का सामना करना पड़ा। फिलिस्तीन के लोग शुरू से ही यहूदियों को बसाने के खिलाफ थे। 1929 में हेब्रोन नरसंहार में बहुत सारे यहूदी मारे गए थे, ये दंगा यहूदियों के बसने के खिलाफ हुए फिलिस्तीनी दंगों का एक हिस्सा था।
1947 में अलग-अलग बांटने का प्रस्ताव
समय के साथ फिलिस्तीन में जैसे-जैसे यहूदी बढ़ते गए कई फिलिस्तीनी विस्थापित होते गए और यहीं से दोनों के बीच हिंसा और संघर्ष की शुरुआत हुई। 1947 में संयुक्त राष्ट्र ने फिलिस्तीन को यहूदी और अरबों के लिए दो अलग-अलग राष्ट्र में बांटने का प्रस्ताव पास किया। यहूदी नेतृत्व ने इस पर हामी भरी, लेकिन अरब पक्ष ने इसे अस्वीकार कर दिया। इसके बाद से इसे लेकर बार-बार विवाद सामने आते रहे।
संघर्ष के केंद्र में येरुशलम (Jerusalem) क्यों?
1948 की जंग में फिलिस्तीन का काफी सारा हिस्सा इजरायल के कब्जे में आ चुका था। 1949 में एक आर्मीस्टाइस लाइन खींची गई, जिसमें फिलिस्तीन के 2 क्षेत्र बने- वेस्ट बैंक और गाजा। गाजा को गाजा पट्टी भी कहा जाता है और यहां करीब 20 लाख फिलिस्तीनी रहते हैं। वहीं वेस्ट बैंक इजराइल के पूर्व में स्थित है, जहां करीब 30 लाख फिलिस्तीनी रहते हैं। इनमें से ज्यादातर मुस्लिम, अरब हैं। वेस्ट बैंक में कई यहूदी पवित्र स्थल हैं, जहां हर साल हजारों तीर्थयात्री आते हैं। येरुशलम विवादित क्षेत्रों के केंद्र में है, जिसको लेकर दोनों देशों के बीच शुरू से ही ठनी हुई है। इजरायली यहूदी और फिलिस्तीनी अरब, दोनों की पहचान, संस्कृति और इतिहास येरुशलम से जुड़ी हुई है। दोनों ही इस पर अपना दावा करते हैं।
क्या है गाजा पट्टी (Gaza Strip) का पूरा विवाद?
गाजा पट्टी एक छोटे सा फिलिस्तीनी क्षेत्र है, यह मिस्र और इसरायल के मध्य भूमध्यसागरीय तट पर स्थित है। फिलिस्तीन अरबी और बहुसंख्य मुस्लिम बहुल इलाका है। इस पर 'हमास' द्वारा शासन किया जाता है जो इजरायल विरोधी आतंकवादी समूह है। क्योंकि फिलिस्तीन और कई अन्य मुस्लिम देश इजरायल को यहूदी राज्य के रूप में मानने से इनकार करते हैं। 1947 के बाद जब UN ने फिलिस्तीन को एक यहूदी और एक अरब राज्य में बांट दिया था, जिसके बाद से फिलिस्तीन और इजरायल के बीच संर्घष जारी है, जिसमें एक अहम मुद्दा जुइस राज्य के रूप में स्वीकार करना है तो दूसरा गाजा पट्टी है, जो इजराइल की स्थापना के समय से ही इजरायल और दूसरे अरब देशों के बीच संघर्ष का कारण साबित हुआ है।
1947 में जब इजरायल बना
1. 1947 -संयुक्त राष्ट्र के फैसले से इजरायल स्थापित हुआ।
- द्वितीय विश्वयुद्ध में नाजियों की हार हुई तब इजरायल की मांग उठी और इजरायल बनाया गया।
- स्वतंत्रता की लड़ाई- यह लड़ाई 1947 से 1949 तक चली, जिसमें इजरायल के खिलाफ 8 देश खड़े थे।
इजरायल-हमास बीच विवाद के कारण?
1. धार्मिक कारण
जेरूसलम : यहूदी, मुस्लिम, ईसाई तीनों के लिए महत्वपूर्ण
- यहूदियों का धार्मिक स्थल है वेस्टर्न वॉल।
- अल अक़्सा मस्जिद, Dome of the Rock, इस्लामिक धार्मिक स्थल।
- ईसाइयों के मुताबिक क्रुसिफिकेशन, रेससुरेक्शन, और लास्ट सपर जेरूसलम में हुआ था।
2. क्षेत्रीय कारण
- वेस्टबैंक, ग़ाज़ा पट्टी के हक पर इजरायल और फिलिस्तीन के बीच विवाद।
- फिलिस्तीन जेरूसलम के हक के साथ पूर्ण स्वतंत्रता चाहता है।
3. हमास : सुन्नी- इस्लामिस्ट मिलिटेंट ग्रुप
मकसद : इजरायल का खात्मा, फिलिस्तीन को स्वतंत्र इस्लामिक स्टेट बनाना।
क्या है हमास ( Hamas)?
हमास एक फिलिस्तीनी उग्रवादी समूह है जो गाजा पट्टी के कुछ क्षेत्रों को अपने नियंत्रण में रखता है। साथ ही वह इस क्षेत्र को एक इस्लामिक स्टेट बनाना चाहता है। हमास साल 2007 से गाजा पर शासन कर रहा है। इसके बीच हमास ने इजराइल के साथ कई संघर्ष किए। इस युद्ध के बीच इजराइल ने भी हमास पर कई जवाबी हमले किए है।
हमास समूह को इज़राइल, संयुक्त राज्य अमेरिका, यूरोपीय संघ और ब्रिटेन के साथ-साथ अन्य देशों ने एक आतंकवादी समूह के रूप में घोषित किया है। वहीं हमास को ईरान का समर्थन प्राप्त है जो उसे हथियार और ट्रेनिंग मुहैया कराता रहता है।
हमास की अब तक की गतिविधियां?
- हमास फिलिस्तीनी आतंकी संगठन है।
- 1987 में हमास संगठन अस्तित्व में आया।
- 1993-2005 तक इजरायल पर कई आत्मघाती हमले किए।
- 2006 में हमास ने गाजा में तख्तापलट किया।
- 2007 से गाजा में संभाल रहा है शासन।
- हमास को ईरान से पैसा और हथियार मिलता है।
- वेस्ट बैंक और गाजा पट्टी का प्रमुख राजनीतिक दल।
- राजनीतिक विचारों में उग्रता और हिंसा।
- US, EU और UK ने घोषित किया आतंकी संगठन।
- 2023 में हमास ने इजरायल पर हमला किया।
क्या यासर अराफात ने बनाया फिलिस्तीन को आजाद मुल्क?
(Yasser Arafat and Palestine) 150 साल पहले फिलिस्तीन के पास कोई फौज नहीं थी, तब वो एक ऑटोमन राज्य के तहत आता था। करीब 100 साल पहले भी फिलिस्तीन के पास फौज नहीं थी, तब फिलिस्तीन का एक देश के तौर पर कोई वजूद नहीं था और वो ब्रिटिश हुकूत के अधीन था। 60 साल पहले भी फिलिस्तीन के पास फौज नहीं थी, क्योंकि तब वो जॉर्डन के हिस्से में आता था। 1988 में फिलिस्तीनी नेता यासर अराफात ने पहली बार फिलिस्तीन को एक आजाद मुल्क का नाम दिया, जिसे जॉर्डन और मिस्र ने अपनी रजामंदी दे दी। 1993 में इजराइल और फिलिस्तीन के बीच हुए ऑस्लो अकॉर्ड में इज़रायल ने फिलिस्तीन के फौज बनाने पर रोक लगा दी थी। इसके बाद से ही फिलिस्तीन के पास अर्धसैनिक बल हैं तो जो वेस्ट बैंक इलाके में तैनात रहते हैं, लेकिन कोई स्थाई फ़ौज नहीं है। लेकिन हमास उसके लिए अक्सर लडता है।
1987 में हमास का गठन और फिलिस्तीन से संबंध
फिलिस्तीन के पास अपनी कोई सेना नहीं है, ऐसे में हमास, फिलिस्तीन की तरफ से लड़ता है। दरअसल, फिलिस्तीनी इलाकों से इजरायली सेना को हटाने के मकसद से 1987 में हमास का गठन हुआ। तबसे हमास खुद को मुसलमानों का मसीहा बताते हुए इजरायल से लोहा लेता रहा है। हमास पूरे फिलिस्तीन में इस्लामी हुकूमत कायम करना चाहता है।
हमास का ईरान कनेक्शन : (Hamas and Iran relationship) हमास दुनिया के कई बड़े देशों ने आतंकवादी संगठन घोषित कर रखा है। लेकिन इजरायल के खिलाफ लड़ने के लिए उसे फिलिस्तीन की तरफ से हथियार और ट्रेनिंग मिलती है। हमास के कब्जे वाली जगह गाजा पट्टी के एक तरफ इजरायली सीमा है तो दूसरी तरफ समंदर है। दुनिया जानती है कि फिलिस्तीन और इजरायल के बीच की जंग में ईरान शुरू से फिलिस्तीन के साथ रहा है। वही ईरान मिस्र के रास्ते गाज़ा पट्टी में फिलिस्तीनी गुट हमास को अपने रॉकेट भी मुहैया करवाता है।
दो पक्षों में बंटी दुनिया : ईरान और यमन ने हमास के हमले का खुले तौर पर समर्थन किया है। वहीं दूसरी ओर भारत, अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, इटली, जापान, यूक्रेन, कनाडा जैसे देश इजरायल के समर्थन में खड़े हैं। वहीं यूरोपियन यूनियन ने भी कहा कि इजरायल को अपनी संप्रभुता की रक्षा का अधिकार है। वहीं, चीन, ईरान, पाकिस्तान, यमन और रूस का समर्थन हमास के साथ है।