Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

क्‍या टीम ‘सुपर 13’ पता लगा पाएगी कि वायरस वुहान से ही निकला था?

हमें फॉलो करें क्‍या टीम ‘सुपर 13’ पता लगा पाएगी कि वायरस वुहान से ही निकला था?
, शनिवार, 30 जनवरी 2021 (15:50 IST)
पूरी दुनिया को इंतजार है कि यह जानकारी सामने आए कि आखि‍र कोरोना वायरस कहां से आया। इसके लिए अब प्रयास भी किए जाने लगे हैं। सुपर 13 वैज्ञानिकों की एक टीम इस मिशन पर निकली है, लेकिन कितनी कामयाब हो पाएगी यह तो वक्‍त ही बताएगा।

विश्व स्वास्थ्य संगठन डब्‍लूएचओ के वैज्ञानिक पहली बार चीन के वुहान में जांच के लिए निकले। वैज्ञानिकों की टीम हुबेई के प्रोविन्शियल हॉस्पीटल ऑफ इंटीग्रेटिड एंड वेस्टर्न मेडिसिन पहुंची। ये वो अस्पताल है जहां चीन का दावा है कि उसने शुरुआती कोरोना का इलाज किया।

इस टीम में कुल 13 वैज्ञानिक हैं जो अलग-अलग देशों के हैं और अलग-अलग फील्ड के एक्सपर्ट हैं। सवाल ये है कि सालभर तक सच छिपाता रहा चीन क्या अब जानकारियां देने में मदद करेगा?

दिलचस्प ये है कि अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिकों को इस काम में चीनी वैज्ञानिकों की मदद लेनी होगी। उन्हें चीन सरकार के नियंत्रण वाले अस्पतालों और प्रयोगशालाओं से डेटा जुटाना होगा और सबसे बड़ी वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वॉयरोलॉजी से सैंपल लेने होंगे, लेकिन सवाल ये है कि क्या ऐसा हो पाएगा।

पिछली ट्रंप सरकार के अधिकारी आरोप लगाते रहे हैं कि इसी लैब से कोरोना वायरस लीक हुई और फिर दुनिया में फैला और चीन इसी वजह से सूचनाएं छिपाता रहता है। हालांकि ये आरोप अब तक साबित नहीं हुए हैं। एक्सपर्ट मानते हैं कि ये नया कोरोना वायरस है जो पिछले वायरसों से अलग है। लेकिन सवाल है कि इस जांच से वैज्ञानिक क्या हासिल करना चाहत हैं।

वैज्ञानिकों के लिए ये जांच इसलिए जरूरी है ताकि फिर कभी नई महामारी को रोका जा सके। लेकिन चीन अपनी बदनामी से डर रहा है और आशंका है कि वैज्ञानिकों की जांच में अड़चनें पैदा की जाएंगी उन तक पूरी सूचनाएं पहुंचने नहीं दी जाएंगी। पहले भी सामने आ चुका है कि कोरोना से जुड़ी कोई जानकारी सरकार की इच्छा के बिना बाहर नहीं आने दी जा रही है।

ऐसे में सवाल है कि क्या वैज्ञानिकों की टीम को सारे जवाब मिल जाएंगे ऐसा लगता नहीं। SARS के वायरस की जन्मस्थली पहचानने में एक दशक का समय लग गया था। इबोला वायरस की जन्मस्थली 1970 से लेकर अब तक पहचानी नहीं जा सकी है। एक दौरे में वायरस की जन्मस्थली को पहचानना असंभव है और चीन ने अगर जानकारियां देने में आनाकानी की तो यो हो सकता है कि ये कोरोना कैसे और कहां जन्मा इसका जवाब कभी ना मिले।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

पीएम मोदी का बड़ा बयान, किसानों से बातचीत के लिए तैयार, सिर्फ एक फोन दूरी पर है कृषिमंत्री तोमर