ब्रसेल्स। दुनिया के शक्तिशाली देश कोरोना वायरस के कारण हुए आर्थिक पतन और मानव त्रासदी का सामना करने को लेकर गुरुवार को संघर्ष करते दिखे।
अमेरिका और यूरोपीय देशों में कोरोना वायरस के संक्रमण के मामलों और इससे हुई मौतों के सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है।
गुरुवार को एक ओर जहां अमेरिकी शहर न्यूयॉर्क में महामारी को लेकर वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की पहली बैठक होने जा रही है, वहीं दूसरी ओर बेल्जियम की राजधानी ब्रसेल्स में यूरोपीय यूनियन के वित्त मंत्रियों ने वायरस से बुरी तरह प्रभावित यूनियन के सदस्य देशों इटली और स्पेन को उबारने के तरीकों पर माथापच्ची की।
इस बीच अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की प्रमुख क्रिस्टालीना जॉर्जीवा ने कहा कि हमें महामंदी के बाद अब तक के सबसे खराब आर्थिक दौर की आहट सुनाई दे रही है।
उन्होंने आगाह किया कि वैसे तो सभी देश इस बुरे दौर का सामना करेंगे, लेकिन कुछ शक्तिशाली देशों में लोगों की कमाई में भारी गिरावट आएगी। उन्होंने सभी सरकारों से कारोबारों और आम लोगों को 'लाइफ-लाइन' प्रदान करने का आग्रह किया।
अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल ने कहा कि अमेरिका वाकई में आर्थिक संकट का सामना कर रहा है, लेकिन कोरोना वायरस महामारी के समाप्त होने के बाद इसमें ठोस पुनरूद्धार होगा।
उन्होंने अमेरिकी अर्थव्यवस्था की मदद के लिए 2,300 अरब डॉलर के वित्त पोषण की एक और श्रृंखला की घोषणा की। उन्होंने आगाह किया कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था उच्च बेरोजगारी दर की ओर बढ़ रही है।
बीते सप्ताह 66 लाख और अमेरिकियों ने खुद को बेरोजगार के तौर पर पंजीकृत कराया है। गुरुवार को सामने आए नए आंकड़ों के मुताबिक अमेरिका में मार्च के मध्य से अब तक लगभग 1 करोड़ 70 लाख लोग खुद को बेरोजगार बता चुके हैं।
वायरस से बुरी तरह प्रभावित इटली और स्पेन यूरोपीय यूनियन के सदस्य हैं। उन्होंने अपनी अर्थव्यवस्थाओं को उबारने के लिए यूनियन से मदद मांगी है, लेकिन जर्मनी और नीदरलैंड इसके लिए तैयार नहीं दिख रहे।
यूरोपीय यूनियन के वित्त मंत्रियों ने बुरी तरह प्रभावित देशों के लिए कोष की व्यवस्था को लेकर गुरुवार को दूसरी बार वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बैठक की।
इटली के प्रधानमंत्री जोसेफ कोंटे ने बीबीसी से कहा कि अगर हम यूरोपीय यूनियन में नई जान फूंकने में नाकाम रहे तो इसका भविष्य दांव पर लग जाएगा।
पूरी दुनिया में फैले इस वायरस के संक्रमण के चलते विश्व की एक तिहाई से अधिक आबादी अपने घरों में कैद है, लेकिन फिर भी अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस महामारी के खिलाफ एकजुट खड़़ा दिखाई नहीं दे रहा है। इसकी एक झलक संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने दिखाई जो गुरुवार को महामारी को लेकर पहली बैठक करने जा रहा है।
जर्मनी की अध्यक्षता में सुरक्षा परिषद के 10 में से 9 अस्थायी सदस्यों ने पिछले सप्ताह बंद कमरे में बैठक करने का अनुरोध किया था, लेकिन इस अभूतपूर्व वैश्विक महामारी को लेकर संयुक्त राष्ट्र की निष्क्रियता के चलते बैठक नहीं हो पाई थी। हालांकि राजनयिकों का कहना है कि बातचीत आगे बढ़ रही है।
अमेरिका कोरोना वायरस से सबसे बुरी तरह प्रभावित देश है, जहां बुधवार लगातार दूसरे दिन दो हजार लोगों की मौत हुई है। (भाषा)