नई दिल्ली। कोरोना वायरस के कहर से चीन ही नहीं, अब तो दुनिया के बाकी देश भी परेशान हो रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने भी इस वायरस को गंभीरता को महसूस किया और अब वह भी इसके बढ़ते प्रकोप से चिंतित है। संगठन ने दुनियाभर के देशों को इस वायरस की रोकथाम के लिए कदम उठाने के निर्देश दिए हैं।
डब्ल्यूएचओ की ओर से कहा गया है कि इस वायरस को अभी से रोकने के लिए और काम किए जाने की जरूरत है। यदि इस पर सभी देशों ने अभी से मिलकर काम करना नहीं शुरू किया तो इसके परिणाम गंभीर हो सकते हैं। दुनिया के 80 फीसदी लोग इसकी चपेट में होंगे। स्पूतनिक वेबसाइट में इस खबर को प्रमुखता से कैरी किया गया है।
उप्साला विश्वविद्यालय में इस संक्रमण के प्रोफेसर ब्योर्न ऑलसेन ने दावा किया है कि यदि स्थिति बहुत अधिक खराब हुई और इस संक्रमण के महामारी का रूप ले लेने के बाद तो दुनिया की 60 से 80 प्रतिशत आबादी संक्रमित हो सकती है।
ओल्सेन के अनुसार कोरोनो वायरस एक ऐसी चीज है जिससे पहले कभी भी सामना नहीं किया गया था। यह फ्लू जैसा वायरस नहीं है और महामारी विज्ञान के रूप में पहचानने योग्य भी नहीं है। हालांकि दुनियाभर में इसकी स्थिति अलग-अलग होगी। कुछ देश इससे बचाव को लेकर काफी अच्छा काम करेंगे, जबकि कुछ देश इससे बचाव के लिए बेहतर काम नहीं करेंगे।
विश्व बैंक ने जारी की मदद : घातक कोरोना वायरस के प्रकोप पर चिंता व्यक्त करते हुए विश्व बैंक ने संक्रमण को रोकने के लिए 12 अरब डॉलर की सहायता की पेशकश की है। इस निधि का इस्तेमाल विशेष रूप से कमजोर स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली वाले कमजोर देशों में किया जाएगा। बैंक अध्यक्ष ने कहा कि इसका लक्ष्य तेज व प्रभावी एक्शन उपलब्ध कराना है।
ट्विटर की पहल : ट्विटर ने कर्मचारियों को घर से काम करने को कहा है, वहीं आईटी कंपनी टीसीएस और एचसीएल ने अपने कर्मचारियों को निर्देश दिया है कि वे गैरजरूरी यात्रा से बचें। ट्विटर की पीपुल टीम के प्रमुख जेनिफर क्रिस्टी ने भारत सहित सभी देशों में अपने कर्मचारियों को घर से काम करने का विकल्प दिया है।