COVID-19 : दुनियाभर में टीकाकरण अभियान सीमित होने का खतरा, सर्वेक्षण से हुआ खुलासा

Webdunia
बुधवार, 13 जनवरी 2021 (21:06 IST)
वॉशिंगटन। एक सर्वेक्षण में सामने आया है कि सरकारों और सभी तरह के मीडिया के प्रति लोगों के घटते विश्वास से दुनियाभर में कोरोनावायरस (Coronavirus) के खिलाफ टीकाकरण के अभियान के सीमित होने का खतरा है,खासकर अमेरिका में।

संचार कंपनी एडेलमेन ने संस्थानों के प्रति विश्वास की स्थिति के वार्षिक आकलन में पाया कि इस इन्फोडेमिक (अधिकतर झूठी जानकारी होना) भरोसे की कमी को बढ़ा रही है, जिससे महामारी से निपटने में अधिक समय लग सकता है।

एडेलमेन के सीईओ रिचर्ड एडेलमेन ने कहा, यह सूचना दिवालियापन का दौर है।उन्होंने कहा कि पिछले हफ्ते वॉशिंगटन में अमेरिका के संसद भवन पर हमला और कोविड-19 का टीका लगवाने को लेकर सिर्फ एक तिहाई लोगों के इच्छुक होने से गलत सूचना के खतरे का पता चलता है।

कंपनी ने पाया कि महामारी के खिलाफ सफलतापूर्वक टीकाकरण अभियान में सबसे बड़ी रूकावट टीकों पर संदेह है। 28 देशों में आकलन किया गया और उसने पाया कि नवंबर तक ही जवाब देने वाले दो तिहाई से कुछ अधिक लोगों ने कहा कि वे एक साल के अंदर टीका लगवाने के इच्छुक हैं।

कंपनी ने कहा कि यह हिचकिचाहट सबसे ज्यादा रूस में है जहां सर्वेक्षण में शामिल किए गए 15 फीसदी लोग जल्द से जल्द टीका लगवाने के इच्छुक थे और सिर्फ 25 प्रतिशत ही एक साल के अंदर टीका लगवाने को राजी दिखे।

अमेरिका में कंपनी ने पाया कि कुल 59 फीसदी लोग एक साल के अंदर टीका लगवाने के इच्छुक हैं और 33 प्रतिशत जल्द से जल्द टीके की खुराक लेना चाहते हैं।उसने बताया कि सबसे ज्यादा विश्वास भारत में दिखा जहां 51 प्रतिशत लोग तत्काल टीका लगवाने के लिए राजी थे और अन्य 29 फीसदी लोग एक साल के अंदर टीका लगवा लेना चाहते हैं। कुल मिलाकर भारत में 80 फीसदी लोग टीका लगवाने के इच्छुक हैं।

दुनियाभर की सरकारें और स्वास्थ्य कर्मियों को उम्मीद है कि सुचारू रूप से टीकाकरण शुरू करने से यह संशय खत्म हो जाएगा। टीकों को लेकर संकोच दिखने के बावजूद एडेलमेन ने पाया कि व्यवसाय सबसे अधिक विश्वस्त संस्थानों के तौर पर उभरे हैं, क्योंकि किसी हद तक उन्होंने सीमित समय में टीके विकसित किए हैं। उनकी विश्वसनीयता इसलिए भी बढ़ी है कि उन्होंने कोरोनावायरस के कारण लगी पाबंदियों के बावजूद घर से काम करने का तरीका खोजा।

सर्वेक्षण में शामिल करीब 61 प्रतिशत लोगों ने व्यवसायों पर विश्वास जताया है। सरकारें विश्वास के शीर्ष स्थान से हट गई हैं। उन पर 53 प्रतिशत लोगों का विश्वास है। कंपनी ने पाया कि सरकारों में यकीन 2020 के मध्य से तेजी से गिरा। महामारी के शुरुआती महीनों में लोग अपने राजनीतिक नेताओं के साथ खड़े रहे। उसके बाद से विश्वास तेजी से कम हो गया, खासकर अमेरिका और चीन में।

यह ऑनलाइन सर्वेक्षण 33,000 से ज्यादा लोगों पर 19 अक्टूबर से 18 नवंबर के बीच किया गया था। यह विश्व आर्थिक मंच की बैठक के दौरान जारी किया जाता है लेकिन महामारी की वजह से इस बैठक को रद्द कर दिया गया है। मगर आयोजक 25-29 जनवरी के बीच ऑनलाइन चर्चा का आयोजन करेंगे।(भाषा)

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

कौन हैं रेखा गुप्ता, जो बनीं दिल्ली की चौथी महिला मुख्यमंत्री

Maha Kumbh 2025 : महाकुंभ भगदड़ पर विपक्ष पर यूं बरसे योगी आदित्यनाथ, समाजवादी जिस थाली में खाते हैं, उसी में करते हैं छेद

खुशखबरी, भारत के कर्मचारियों की सैलरी 9.2 प्रतिशत बढ़ेगी, रिसर्च में खुलासा

Lic smart pension plan : क्या है एलआईसी की स्मार्ट पेंशन योजना, कैसे ले सकते हैं लाभ

क्या जॉर्ज सोरोस के लिए काम करती थीं स्मृति ईरानी? कांग्रेस के सवाल पर भाजपा का पलटवार

सभी देखें

नवीनतम

कितनी पढ़ी लिखी हैं दिल्ली की नई मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता, जानिए कौन सी हैं डिग्रियां और कैसे शुरू हुआ राजनीतिक जीवन

LIVE: रेखा गुप्ता बनीं दिल्ली की मुख्यमंत्री, भाजपा की दूसरी महिला CM

शीशमहल में नहीं रहेंगी दिल्ली सीएम रेखा गुप्ता

भोपाल में दूल्हे के सामने दुल्हन का अपहरण, शादी से पहले था अफेयर

Petrol Diesel Prices: पेट्रोल और डीजल की ताजा कीमतें बरकरार, जानें आपके नगर में नए भाव

अगला लेख
More