नई दिल्ली। कोरोनावायरस महामारी के खिलाफ वैक्सीनेशन भी युद्ध स्तर पर चल रहा है। हालांकि दुनिया के कई देशों मे मामले एक बार फिर बढ़ रहे हैं। इस बीच महामारी को लेकर वैज्ञानिकों ने फिर चेतावनी दी है। जॉन हॉप्किन्स की वैज्ञानिक अमिता गुप्ता का कहना है कि असमान टीकाकरण भारत सहित पूरी दुनिया के लिए मुद्दा है और भारत में जहां अभी तक दो फीसद से भी कम आबादी को बूस्टर खुराक दी गई है वहीं दुनिया के 56 देशों में अभी तक 10 प्रतिशत लोगों का भी टीकाकरण नहीं हुआ है।
जॉन हॉप्किन्स यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन में संक्रामक रोग विभाग की प्रमुख और मेडिसिन की प्रोफेसर गुप्ता ने इस बात पर जोर दिया कि जब तक सभी का टीकाकरण नहीं हो जाता है कोई कोविड से सुरक्षित नहीं है। उन्होंने कहा कि अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों पर नजर रखने से बीमारी की गंभीरता का स्तर पता चल सकता है। उन्होंने अपनी बात के समर्थन में कोरोनावायरस के ओमीक्रॉन वैरिएंट का उदाहरण दिया।
गुप्ता ने कहा कि ऐसा माना जा रहा है कि टीकाकरण की कमी के कारण यह बेहद संक्रामक स्वरूप दक्षिण अफ्रीका और बोत्सवाना में पिछले साल नवंबर में सामने आया और वहां से पूरी दुनिया में फैला। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस के अन्य स्वरूप भी ऐसी ही प्रवृत्ति दर्शाएंगे।
ई-मेल के माध्यम से दिए गए इंटरव्यू में गुप्ता ने कहा कि दुनियाभर में टीकाकरण में असमानता भारत और विश्व दोनों ही जगह मुद्दा है। उदाहरण के लिए अफ्रीका महाद्वीप में फिलहाल 20 फीसद से भी कम आबादी का टीकाकरण हुआ है और अफ्रीका में ऐसे देश भी हैं जहां दो प्रतिशत से भी कम आबादी को टीका लगा है।
उन्होंने कहा कि ऐसे में जबकि रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो रही है और कोविड के नए स्वरूप सामने आ रहे हैं, समस्त लोगों का पूर्ण टीकाकरण और बूस्टर खुराक लगवाना पहले से ज्यादा जरूरी हो गया है।
उन्होंने कहा कि सिर्फ कुछ देशों में पूर्ण टीकाकरण पर्याप्त नहीं है। महामारी को रोकने के लिए सभी देशों के स्वास्थ्य कर्मियों और ज्यादा संवेदनशील आबादी का पूर्ण टीकाकरण आवश्यक है। अमिता गुप्ता ने कहा कि भारत में कुछ ऐसी जगहें हैं जहां तक पहुंचना मुश्किल है और जो लोग पात्र हैं उन्हें तत्काल बूस्टर डोज लगाना जरूरी है।