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Ground Report : कोरोना से लड़ने में नाकामी और बढ़ती बेरोजगारी छीन सकती है ट्रंप की सत्ता

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डॉ. रमेश रावत

, शुक्रवार, 19 जून 2020 (11:42 IST)
अमेरिका में कोरोनावायरस (Coronavirus) ने जनजीवन को पूरी तरह अस्त-व्यस्त कर दिया है, वहीं इसका सीधा असर वहां की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ा है। बढ़ती बेरोजगारी का नकारात्मक असर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दूसरे चुनाव पर पड़ सकता है। कोरोना का असर न सिर्फ लोगों की जीवनशैली बल्कि कार्यशैली पर भी पड़ा है। इन्हीं सब चुनौतियों के संबंध में छत्तीसगढ़ के भिलाई शहर की रहने वाली एवं भारतीय प्रवासी स्प्रिंगबोर्ड में डेटा विश्लेषक दिव्या सोनी ने वेबदुनिया से खास बातचीत की। 
 
बदली दिनचर्या : दिव्या कहती हैं कि कोरोना के कारण दिनचर्या बदल गई है। इससे पहले बेटी को उसकी कक्षा, तैराकी एवं पुस्तकालय सहित अनेक गतिविधियों के लिए बाहर ले जाती थी, लेकिन अभी ज्यादा समय घर पर ही व्यतीत होता है। मुझे अपनी खुद की पढ़ाई, बेटी एवं परिवार के बीच तालमेल बैठाना पड़ रहा है। मैं एवं मेरे पति वर्किंग डे के दिन घर से ही कार्य करते हैं। है। बेटी खुश है, लेकिन अपनी स्कूली गतिविधियों को मिस करती है। 
 
केलिफोर्निया में अभी समर आरंभ हुआ है। इस समय लोग यहां पर लंबी पैदल यात्रा, समुद्र तट एवं अन्य बाहरी गतिविधियों के लिए जाना पसंद करते हैं। सार्वजनिक स्थान लॉकडाउन के कारण बंद हैं। हम कभी-कभी कार से लांग ड्राइव पर जाते हैं, मगर कार से बाहर निकले बिना ही घर लौट आते हैं। 
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हम घर में रहकर नई-नई ‍चीजें सीख रहे हैं। स्वयं को नौकरी के लिए तैयार कर रही हूं। कुछ तकनीकी एवं शैक्षणिक स्किल्स को डेवलप करने के साथ ही मैं रसोई में नए-नए व्यंजन बनाने में पारंगत हो गई हूं। घर पर ही हेयर स्टाइल में परिवर्तन, कटिंग आदि स्किल्स भी सीखी हैं। पति को नए हेयर कट के साथ नया लुक भी दिया है। परिजन एवं दोस्तों के साथ ऑनलाइन बातचीत के जरिए संपर्क में हूं, वहीं हम ऑनलाइन शॉपिंग को ज्यादा महत्व देते हैं। कभी-कभी खरीदारी के लिए बाहर भी जाती हूं। 
 
सेमीनार एवं यात्राएं रद्द : मैं अपाचे ड्रयूड की ओर से 13-14 अप्रैल को एक सम्मेलन में भाग लेने वाली थी, लेकिन घर पर ही रहने के आदेश के कारण इसे रद्द कर दिया गया। मेरे पति की भी भारत जाने की योजना थी एवं मेरे माता-पिता दो साल बाद यहां आने वाले थे। सभी की यात्राएं रद्द हो गईं। 
 
घर से बाहर जब भी निकलते हैं तो ज्यादा लोग दिखाई नहीं देते। सड़कों पर ट्रैफिक नहीं है। हालांकि लॉकडाउन के शुरुआती दिनों की तुलना में अब लोग घरों से बाहर निकलना आरंभ कर रहे हैं। ऐसा लगता है कि हर कोई घर में रहकर निराश सा हो गया है। लोग घूमते हुए एवं पार्क में भी दिखाई दे रहे हैं। 
 
काश सरकार ने शुरू में ही कदम उठाए : कैलिफोर्निया में सरकार ने काफी अच्छे कदम उठाए हैं। कैलिफोर्निया और वॉशिंगटन लॉकडाउन की घोषणा करने वाले पहले राज्य थे। यदि सरकार ने इस महामारी के संदर्भ में आरंभ से ही कड़े कदम उठाए होते एवं इसे गंभीरता से लिया होता तो स्थिति शायद इतनी बुरी नहीं होती। ऐसे में प्रत्येक व्यक्ति का दायित्व है कि जो डाक्टर्स सुझाव दे रहे हैं हम उनका पालन करें। 
 
स्थानीय मीडिया न केवल कोविड-19 के बारे में जागरूकता पैदा कर रहा है, बल्कि इस वायरस के बारे में गलत धारणाओं को भी दूर कर रहा है। ज्यादातर समाचार संगठन जैसे सीएनएन, न्यूयॉर्क टाइम्स, एमएसएनबीसी, वॉशिंगटन पोस्ट आदि भी कोरोना को लेकर नियमित रूप से रिपोर्ट दे रहे हैं। हम अपडेट रहने के लिए कुछ यूट्यूब चैनल का भी उपयोग कर रहे हैं। 
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महामारी के आरंभ में इस वायरस के संबंध में बहुत से भ्रामक एवं फर्जी समाचार भी देखने को मिले थे। इन फेक समाचारों में बहुत सी दवाइयों के संबंध में जानकारी थी। आरंभ में सोशल मीडिया के माध्यम से यह भी कहा गया कि कोरोनावायरस से केवल चीनी एवं एशियाई देशों के लोग ही ग्रसित हैं। व्हाट्‍स ऐप पर बहुत सी भारतीय पारंपरिक दवाओं के बारे में भी जानकारी मिली, लेकिन कोई भी दवा आधिकारिक रूप से सत्यापित नहीं थी। 
 
अमेरिका ने नहीं दिखाई गंभीरता : अमेरिका को इसे आरंभ से ही गंभीरता से लेना चाहिए था, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। आरंभ में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने बयान दिए थे कि गर्मी आने के साथ ही यह बीमारी गायब हो जाएगी। लेकिन इसके उलट यहां कोरोना संक्रमण फैला एवं मामलों में वृद्धि हुई। कैलिफोर्निया एवं वॉशिंगटन जैसे राज्यों ने राज्य स्तर पर सक्रिय कदम उठाए एवं अन्य राज्यों की तुलना में इस महामारी से निपटने में सक्षम हुए। इसके साथ ही कई राज्यों ने यहां पर वेंटिलेटर, मास्क सहित अन्य महत्वपूर्ण सामग्रियों की कमी का भी अनुभव किया। हालांकि बाद में अमेरिकी सरकार ने संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए कारगर एवं सराहनीय कदम उठाए। 
 
भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रशंसा करते हुए दिव्या कहती हैं कि उन्होंने समय रहते तत्परता दिखाई और महामारी को नियंत्रित करने में काफी हद तक सफलता भी मिली। डब्ल्यूएचओ ने भी पीएम मोदी के कार्यों की प्रशंसा की है। 
 
बढ़ती मौतों से गंभीर हुए लोग : मौतों की बढ़ते आंकड़े के बाद लोग काफी गंभीर हो गए एवं नियमों का पालन करने लगे। अब स्वेच्छा से लोग दिशानिर्देशों का पालन कर रहे हैं। एक सकारात्मक पहलू यह भी है कि लोगों के घरों पर रहने से अपराध कम हो गए हैं। लेकिन, हाल ही में पुलिस क्रूरता अर्थात मिनियापोलिस में जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद माहौल जरूर खराब हुआ। 
 
दूसरी ओर, लोग जब भी बाहर जाते है मास्क एवं दस्ताने जरूर पहनते हैं। अजनबियों के साथ बातचीत से परहेज करने लगे हैं। भीड़ में आने से बचने के लिए लोग लंबे रास्ते तय कर रहे हैं। यहां तक कि पड़ोसियों से मिलना भी बंद हो गया है। किराने की दुकानों पर सब कुछ साफ रखने के लिए उपाय किए जा रहे हैं। अमेरिका में लगभग हर किराने की दुकान पर बुजुर्ग व्यक्तियों के लिए निश्चित घंटे तय हैं, जो कि एक अच्छा कदम है। कई अस्पतालों ने रोगियों के लिए वीडियो विजिट की व्यवस्था की है। मरीज डॉक्टर्स के साथ में वीडियो अपॉइंटमेंट बुक कर सकते हैं। 
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अर्थव्यवस्था पर असर : कोविड-19 ने अमेरिका की अर्थव्यवस्था को बहुत प्रभावित किया है। एक बड़े अवसाद के बाद अब अमेरिका में बेरोजगारी की दर बढ़ रही है। विशेष रूप से रिटेल स्टोर, पर्यटन, रेस्टोरेंट एवं लक्जरी सेवाओं के लाभ में बड़ी गिरावट देखने को मिली है। इस नुकसान से उबरने में कुछ साल लगेंगे। सरकार ने कुछ कदम उठाए हैं, लेकिन बहुत से ऐसे लोग भी हैं जो कि महामारी और तालाबंदी के परिणामस्वरूप सीमित आर्थिक स्थिति के कारण कठिनाइयों का भी सामना कर रहे हैं। 
 
जीडीपी में दिखेगी गिरावट : कोविड-19 ने अमेरिका के उद्योगों को बुरी तरह से प्रभावित किया है। यात्रा, खुदरा, भोजन जैसे कुछ उद्योग विशेष रूप से कठिन हो गए हैं। यूएस की जीडीपी में आगामी तिमाहियों में गिरावट देखने को मिल सकती है। वहीं बेरोजगारी के चलते पहले ही डिप्रेशन लेवल हाई है। बॉटम लाइन को बचाने के प्रयास में कई कंपनियों ने कर्मचारियों को हटा दिया है।  
 
रिटेल स्टोर, मॉल एवं आवागमन की सेवाओं में कमी हुई है। अमेरिका में कुछ बड़े स्टोर्स ने अप्रैल और मई के महीने में दिवालियापन के लिए आवेदन किया है। वहीं, ऑनलाइन कारोबार जैसे अमेजॉन, यूट्यूब, फेसबुक, जूम इत्यादि के उपयोग में वृद्धि के साथ ही इनके कारोबार में भी बढ़ोतरी हुई है। 
 
अमेरिका में पर्यटन व्यवसाय अच्छा नहीं है। लॉकडाउन के बाद से कंपनियों में बहुत अधिक छंटनी हुई है। लॉकडाउन खत्म होने के बाद भी स्थिति सामान्य होने में समय लगेगा। कई लोकप्रिय पर्यटन स्थल जैसे वेगास, फ्लोरिड़ा के कुछ हिस्से, कैलिफोर्निया के कुछ हिस्से, जो कि पर्यटन पर निर्भर हैं, वहां अधिक समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। 
 
पूरे अमेरिका पर कोरोना का प्रकोप : कोरोना वायरस का प्रकोप पहले संयुक्त राज्य अमेरिका के घनी आबादी वाले शहरी क्षेत्रों में था। ग्रामीण क्षेत्रों में प्रकोप कम था। अब चीजें तेजी से बदल रही हैं। अमेरिका में अत्यधिक प्रभावित क्षेत्र न्यूयॉर्क और न्यूजर्सी हैं, जो घनी आबादी वाले क्षेत्र हैं। अमेरिका में पहले कुछ मामले कैलिफोर्निया और वॉशिंगटन में पाए गए थे। ये दोनों राज्य ही पहले राज्य थे, जिन्होंने 'स्टे एट होम' ऑर्डर दिया था। 
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ट्रंप के चुनाव पर नकारात्मक असर : सभी का मानना है कि अमेरिकी सरकार के कोरोनवायरस से निपटने के प्रयास अपर्याप्त रहे हैं। इसके साथ ही इस बंद के कारण पिछले कुछ हफ्तों में लगभग 40 मिलियन लोगों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ सकता है। माना जाता है कि ये दोनों ऐसे कारक हैं जो राष्ट्रपति ट्रंप के दोबारा सत्ता में आने की राह में रोड़ा बन सकते हैं। 
 
आईटी कंपनियों को वर्क फ्रॉम होम : महामारी के कारण बहुत सी आईटी कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को इस साल के अंत तक अपने घर से ही काम जारी रखने की सिफारिश की है। इस लॉकडाउन के खत्म होने के बाद भी, कई कंपनियां वर्क फ्रॉम होम कल्चर के साथ काम करती रहेंगी। कैलिफोर्निया स्वास्थ्य विभाग अधिक से अधिक लोगों के कोरोना टेस्ट के लिए युद्ध स्तर पर काम कर रहा है। 
कौन हैं दिव्या सोनी : छत्तीसगढ़ के एक छोटे शहर भिलाई से हैं दिव्या। एनआईटी रायपुर से बीटेक एवं आईआईटी मुंबई से एमटेक के बाद तीन साल तक इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड में काम किया। 2013 में अमेरिका आ गईं। वॉशिंगटन डीसी में 3 साल, फिर सिएटल में एवं इसके बाद अपने पति शुभंकर बनर्जी एवं अपनी बेटी आहना के साथ सैन फ्रांसिस्को बे एरिया में रह रही हैं। वर्तमान में स्प्रिंगबोर्ड में डेटा विश्लेषक छात्रा हैं। 

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