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DRDO ने विकसित की ऑक्सीजन की कमी दूर करने वाली प्रणाली, कोरोना महामारी में बन सकती है वरदान

हमें फॉलो करें DRDO ने विकसित की ऑक्सीजन की कमी दूर करने वाली प्रणाली, कोरोना महामारी में बन सकती है वरदान
, सोमवार, 19 अप्रैल 2021 (23:39 IST)
नई दिल्ली। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने दुर्गम पहाड़ियों में अत्यधिक ऊंचाई वाले इलाकों पर तैनात सैनिकों के लिए एसपीओ2 यानी ब्लड ऑक्सीजन सैचुरेशन आधारित पूरक ऑक्सीजन वितरण प्रणाली विकसित की है जो कोरोनावायरस (Coronavirus) की महामारी में वरदान साबित हो सकती है।

यह प्रणाली डीआरडीओ की डिफेन्स बायो-इंजीनियरिंग एंड इलेक्ट्रो मेडिकल लैबोरेट्री (डीईबीईएल) बेंगलुरु ने विकसित की है और यह अतिरिक्त मात्रा में ऑक्सीजन आपूर्ति करती है तथा व्यक्ति को ऐसी बेहोशी- हाईपोक्सिया में जाने से बचाती है जो कई स्थितियों में घातक सिद्ध होती है। यह स्वचालित प्रणाली वैश्विक महामारी कोविड-19 की परिस्थितियों में भी एक वरदान सिद्ध हो सकती है।

हाईपोक्सिया वह स्थिति है जब शरीर के ऊतकों में पहुंच रही ऑक्सीजन की मात्रा शरीर की आवश्यकता पूरी करने के लिए अपर्याप्त हो, ठीक ऐसी ही स्थिति वायरस संक्रमण से ग्रस्त कोविड रोगियों में दिखती है और इस समय चल रही संकटपूर्ण स्थिति का प्रमुख कारण भी है।

इस प्रणाली का इलेक्ट्रोनिक हार्डवेयर अत्यधिक ऊंचाई वाले पहाड़ी स्थानों के कम बैरोमेट्रीक दवाब, कम तापमान और आर्द्रता वाली स्थितियों में काम करने के लिए बनाया गया है। इसमें लगाए गए सॉफ्टवेयर सिक्योरिटी चेक्स (अवरोधक) जमीनी परिस्थितियों में इस प्रणाली की कार्यात्मक विश्वसनीयता को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक रूप से महत्वपूर्ण हैं।

इस प्रणाली में ऑक्सीजन की आपूर्ति एक पोर्टेबल कम भार वाले ऑक्सीजन सिलेंडर से नाक में की जाती है। यह प्रणाली एक लीटर से एक किलोग्राम भार वाले सिलेंडर जिसमें 10 लीटर से 150 लीटर तक की ऑक्सीजन आपूर्ति से लेकर 10 लीटर एवं 10 किलोग्राम भार वाले 1500 लीटर की ऑक्सीजन को दो लीटर प्रति मिनट (एलपीएम) की दर से 750 मिनट तक ऑक्सीजन की आपूर्ति करने में सक्षम है।
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चूंकि यह प्रणाली क्षेत्रीय स्थितियों में काम करने के लिए स्वदेश में ही विकसित की गई है इसलिए इसका मजबूत, दुरुस्त और कम लागत वाला होना इसकी विशेषता है। इसका उद्योग जगत पहले से ही बड़ी मात्रा में उत्पादन भी कर रहा है।
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वैश्विक महामारी की परिस्थितियों में यह प्रणाली एक वरदान ही है, क्योंकि 2/5/7/10 एलपीएम के नियंत्रित ऑक्सीजन बहाव के साथ इसे मध्यम श्रेणी के कोविड रोगियों को उनके घरों में ही ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए प्रयोग किया जा सकता है। इसका स्वचालित होना ही घरों में सबसे अधिक लाभकारी है, क्योंकि एसपीओ2 स्तर कम होते ही इसका ऑक्सीमीटर चेतावनी (अलार्म) देने लगता है।
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एसपीओ2 सेटिंग पर आधारित इसका प्रवाह स्वयं ही ऑक्सीजन की मात्रा को घटा/ बढ़ा सकता है और इसे 2,5,7,10 एलपीएम दर पर एडजस्ट किया जा सकता है। सर्वश्रेष्ठ ऑक्सीजन प्रवाह शरीर में ऑक्सीजन के स्रोत/ प्रबंधन को सुरक्षित रखता है और व्यक्ति की सहनशक्ति को बहुत बढ़ा देता है।

इस स्वचालित आसानी से प्रयोग की जा सकने वाली ऑक्सीजन आपूर्ति प्रणाली का ऐसे संकट के समय उपलब्ध हो जाना किसी वरदान जैसा ही है जब उपलब्ध चिकित्सीय संसाधनों का उनकी अधिकतम सीमा तक उपयोग कर लिया गया हो। इसकी उपलब्धता को बढ़ाने से देशभर में बहुत बड़ी संख्या में सामने आ रहे कोविड-19 रोगियों के उपचार का प्रबन्धन करने में आ रही कठिनाइयों से निजात मिल सकेगी।(वार्ता)

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