Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

'तीसरी लहर' से एयरलाइंस को हो सकता है 20 हजार करोड़ रुपए का घाटा, क्रिसिल रिपोर्ट में दी चेतावनी

हमें फॉलो करें 'तीसरी लहर' से एयरलाइंस को हो सकता है 20 हजार करोड़ रुपए का घाटा, क्रिसिल रिपोर्ट में दी चेतावनी
, मंगलवार, 18 जनवरी 2022 (00:06 IST)
मुंबई। कोरोनावायरस (Coronavirus) कोविड-19 की तीसरी लहर और विमान ईंधन (एटीएफ) की कीमतों में वृद्धि से एयरलाइन कंपनियों का घाटा चालू वित्त वर्ष में बढ़कर रिकॉर्ड 20 हजार करोड़ रुपए पर पहुंच सकता है। एक रिपोर्ट में यह चेतावनी दी गई है।

क्रिसिल की एक रिपोर्ट के अनुसार, विमानन कंपनियां इस वित्त वर्ष 20,000 करोड़ रुपए से अधिक के अपने अब तक के सबसे बड़े शुद्ध घाटे की ओर बढ़ रही हैं। यह घाटा पिछले वित्त वर्ष में 13,853 करोड़ रुपए के घाटे से 44 प्रतिशत अधिक होगा।

घरेलू उड़ानों में कुल मिलाकर 75 प्रतिशत हिस्सेदारी रखने वाली इंडिगो, स्पाइसजेट और एयर इंडिया पर आधारित रिपोर्ट में चेताया गया है कि इस घाटे से एयरलाइन कंपनियों का पुनरुद्धार वित्त वर्ष 2022-23 तक टल जाएगा।

रिपोर्ट के अनुसार, कोरोनावायरस की दूसरी लहर के बाद हवाई यातायात में तेजी से सुधार हुआ था। दिसंबर, 2019 की तुलना में दिसंबर, 2021 में हवाई यातायात का स्तर कोरोना से पूर्व स्तर के 86 प्रतिशत तक पहुंच गया था।

रिपोर्ट कहती है कि महामारी की तीसरी लहर के कारण जनवरी के पहले सप्ताह में घरेलू हवाई यातायात में 25 प्रतिशत की गिरावट आ चुकी है। अप्रैल-मई, 2021 में दूसरी लहर के दौरान भी इसी तरह की प्रवृत्ति देखी गई थी। तब हवाई यातायात तिमाही आधार पर 66 प्रतिशत तक घट गया था।

एजेंसी के निदेशक नितेश जैन के अनुसार, तीन बड़ी एयरलाइन कंपनियों को चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में पहले ही 11,323 करोड़ रुपए का शुद्ध घाटा हो चुका है। उन्होंने कहा कि घरेलू हवाई यातायात में तेज उछाल ने चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में घाटे को कम कर किया था। हालांकि कोरोना की तीसरी लहर के कारण यात्रा संबंधी प्रतिबंधों से चौथी तिमाही में शुद्ध घाटा काफी बढ़ जाएगा।

यात्रा में कमी के अलावा ईंधन के दामों में तेजी से भी कंपनियों के लाभ पर काफी प्रभाव पड़ा है। ईंधन पर विमानन कंपनियों के परिचालन का एक-तिहाई खर्च होता है। नवंबर, 2021 में एटीएफ का दाम 83 रुपए प्रति लीटर के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया था। यह वित्त वर्ष 2020-21 के औसत दाम 44 रुपए प्रति लीटर से कहीं अधिक है।

कारोबारी गतिविधियों में आई तेजी प्रभावित : कोरोनावायरस की तेजी से फैलने वाली तीसरी लहर ने महामारी की दूसरी लहर खत्म होने के बाद कारोबारी गतिविधियों में आई तेजी के लाभ को प्रभावित किया है। जापान की ब्रोकरेज कंपनी नोमुरा की सोमवार को जारी एक रिपोर्ट में यह निष्कर्ष निकाला गया है।

नोमुरा इंडिया का ‘बिजनेस रिजम्पशन इंडेक्स’ 16 जनवरी को समाप्त सप्ताह के लिए गिरकर 102.9 पर गया, जबकि पिछले सप्ताह में यह 107.9 पर था। यह कारोबारी गतिविधियों की मार्च, 2020 के महामारी-पूर्व के स्तर से तुलना करता है।

रिपोर्ट के अनुसार, नए साल की शुरुआत में तीसरी लहर आने के बाद से इसमें 17.4 प्रतिशत अंक (पीपी) की गिरावट आई है। नोमुरा ने कहा, कोरोनावायरस की तीसरी लहर में प्रतिदिन 2.5 लाख से अधिक नए मामले देखे जा रहे हैं। पिछले सप्ताह तक 1.70 तक मामलों की पुष्टि हो रही थी। तीसरी लहर ने कोरोना की दूसरी लहर के बाद व्यापार में फिर से वृद्धि को प्रभावित किया है।

रिपोर्ट कहती है कि कई राज्यों ने संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए आवाजाही पर प्रतिबंध लगाया है। इसी के साथ कई अर्थशास्त्री तीसरी लहर के कारण सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 0.40 प्रतिशत तक के नुकसान का अनुमान लगा रहे हैं।(भाषा)

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

दिल्ली में जनवरी में 2500 पुलिसकर्मी हुए कोरोना संक्रमित, 767 स्‍वस्‍थ होकर काम पर लौटे