वॉशिंगटन। एक अध्ययन के अनुसार कोविड-19 के गंभीर रोगियों की रोग प्रतिरोधक क्षमता पर सबसे ज्यादा असर पड़ता है और ऐसे मरीजों के इलाज के वास्ते डेक्सामेथासोन जैसी स्टेरॉयड दवाओं को बचाकर रखा जाना चाहिए।
वैज्ञानिकों का कहना है कि कई तरह के स्टेरॉयड कोरोना वायरस के गंभीर मरीजों के इलाज में कारगर है और इससे जान जाने का जोखिम बहुत हद तक कम किया जा सकता है।
अमेरिका में सेंट जूड चिल्ड्रन रिसर्च अस्पताल के वैज्ञानिकों और अन्य वैज्ञानिकों ने कोविड-19 से ग्रस्त 168 वयस्कों, फ्लू के 26 वयस्कों और 16 स्वस्थ स्वयंसेवियों में प्रतिरक्षा प्रणाली प्रोटीन साइटोकिन्स और अन्य स्वास्थ्य मानकों के स्तर का आकलन किया।
उन्होंने कहा कि कोविड-19 के 90 प्रतिशत से अधिक मरीज अस्पताल में भर्ती थे जबकि आधे से अधिक फ्लू रोगियों को इलाज के लिए भर्ती कराया गया था और 35 प्रतिशत आईसीयू में थे।
जर्नल साइंस एडवांस में प्रकाशित शोध के अनुसार कोविड-19 रोगियों में से 5 प्रतिशत से कम, जिनमें कुछ गंभीर रूप से बीमार व्यक्ति भी शामिल थे, को साइटोकिन स्टॉर्म सिंड्रोम के रूप में जानी जाने वाली हाइपरइन्फ्लेमेटरी प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया थी।
जब हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता ज़रूरत से ज्यादा सक्रिय होकर रोगों से लड़ने की बजाय हमारे शरीर को ही नुकसान पहुंचाने लगती है, तो उसे साइटोकाइन स्टॉर्म कहते हैं।
हालांकि डेक्सामेथासोन और अन्य स्टेरॉयड की साइटोकिन स्टॉर्म इलाज के लिए सिफारिश की जाती है लेकिन उन मरीजों में ये दवाएं उल्टा असर कर सकती हैं जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता पहले ही कमजोर हो चुकी है। (भाषा)