कोरोना महामारी (Coronavirus) में करीब 6 लाख से ज्यादा लोगों को गंवाने वाले अमेरिका में अब हालात तेजी से सुधर रहे हैं। सड़कों पर वाहन नजर आने लगे हैं। धीरे-धीरे मास्क उतरने लगे हैं, वहीं वैक्सीनेशन (Vaccination) भी तेजी से हुआ है। 37 फीसदी से ज्यादा लोगों को यहां टीके के दोनों डोज लग चुके हैं। बावजूद इसके ग्रोसरी स्टोर हो, रेस्टोरेंट हो या फिर पार्क, लोग पूरी सतर्कता भी बरत रहे हैं।
अमेरिका में टेनेसी राज्य के मेंफिस निवासी और आईटी कंपनी एटॉस-सिंटेल (Atos Syntel) में सीनियर कंसल्टेंट धीरज पुरे ने वेबदुनिया से बातचीत में बताया कि कोरोना काल में काफी बदलाव देखने को मिले हैं। वे स्वयं वर्क फ्रॉम होम कर रहे हैं, वहीं बच्चों की शिक्षा भी ऑनलाइन हो गई है। वे कहते हैं कि पार्कों में वॉक करते समय जब लोगों से आमना-सामना होता है तो एक दूसरे को क्रॉस करते समय दूरी बना लेते हैं, लेकिन हाथ उठाकर अभिवादन करना नहीं भूलते। जिन लोगों को वैक्सीन के दोनों डोज लग चुके हैं, उन्हें बिना मास्क रहने की अनुमति है, भीड़भाड़ वाली जगहों पर मास्क जरूरी होगा।
कॉन्टेक्टलेस खरीदी : पुरे कहते हैं कि रोजमर्रा का सामना ग्रोसरी स्टोर से स्वयं जाकर ला सकते हैं साथ ही घर भी मंगाया जा सकता है। हालांकि घर पहुंच सेवा के लिए अतिरिक्त शुल्क चुकाना पड़ता है। ग्रोसरी स्टोर पर सामान ऑर्डर करने के बाद अपना वाहन पिकअप पार्किंग में खड़ा कर लें और स्टोर को सूचित कर दें। वहां से व्यक्ति आकर आपकी डिक्की में सामान रख देगा। आपको उससे बात करने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी। इसी तरह से आप रेस्टोरेंट, पिज्जा स्टोर आदि स्थानों पर भी ऑर्डर कर सकते हैं।
पहले जब संक्रमण ज्यादा था तब रेस्टोरेंट में टेक होम की सुविधा ही थी, लेकिन धीरे-धीरे डिस्टेंस के साथ चीजें नॉर्मल हो गईं। हालांकि ग्रोसरी स्टोर, सरकारी दफ्तरों में बिना मास्क प्रवेश नहीं दिया जाता। लेकिन, जल्द ही मास्क से पूरी तरह मुक्ति मिलने की उम्मीद है। पहले कर्फ्यू और लॉकडाउन के दौरान सख्ती थी, लेकिन अब परिचित लोग एक-दूसरे के यहां आते-जाते हैं। मनोरंजन, टूरिस्म, बार्बर शॉप आदि पर जरूर लॉकडाउन का ज्यादा असर देखा गया।
चिकित्सा सुविधाएं बेहतर : धीरज कहते हैं कि मेंफिस (शेल्बी काउंटी) भी पहले संक्रमित इलाकों में शामिल था। इसमें कोई शक नहीं कि पहले स्थिति ठीक नहीं थी, अस्पतालों पर भी दबाव था। इन्फ्रास्ट्रक्चर बेहतर होने के चलते अब सब कुछ कंट्रोल में है।
बच्चों की शिक्षा : पुरे कहते हैं कि बच्चों की शिक्षा पर भी कोरोना का असर पड़ा है। ऑनलाइन एजुकेशन होने के कारण बच्चों का स्क्रीन टाइम बढ़ गया, जिसका उनकी आंखों पर भी असर हो रहा है। हालांकि स्कूलों ने एजुकेशन के लिए दो सिस्टम डेपलप किए हैं। एक वर्चुअल और दूसरा हाईब्रिड। हाईब्रिड में अल्टरनेट डे (सोमवार, बुधवार और शुक्रवार) क्लासेस लगती हैं। मिडिल और हाईस्कूल के बच्चे लैपटॉप पर पढ़ाई करत हैं, जबकि प्राइमरी और एलीमेंट्री के बच्चे टैबलेट की मदद से पढ़ाई करते हैं। टेस्ट पोर्टल पर अपलोड कर दिए जाते हैं। मैंने अपने बच्चों के लिए वर्चुअल क्लास को ही चुना है। हालांकि 4 पेपर के लिए स्कूल जाना जरूरी होता है।
पुरे कहते हैं कि कोरोना के डर से जब मैंने बच्चों को 4 पेपर के लिए असमर्थता जताई तो स्कूल वालों ने मुझे भरोसा दिलाया कि हमने बच्चों की सुरक्षा के उद्देश्य से अलग कॉलेज बुक किया है और एक बेंच पर एक ही बच्चा बैठेगा। इसके लिए मेरे पास मेल के साथ ही सेंटर का व्यवस्थित नक्शा भी भेजा गया। वहां टीचर्स बोर्ड लेकर खड़ी थीं, जिन पर लिखा था- वी लव अवर किड्स।
स्कूल में भी बच्चों को हम्बलनेस, काइंडनेस, सपोर्ट, लीडरशिप, कम्युनिकेशन आदि पर खास ध्यान दिया जाता है। इनके आधार पर उन्हें स्टार और मार्क्स भी मिलते हैं। जब आप स्कूल जाते हैं तो एक छोटा बच्चा आपके लिए दरवाजा खोलकर खड़ा हो जाता है। खासकर हम भारतीयों के लिए तो यह किसी सुखद आश्चर्य से कम नहीं होता।
सतर्कता पूरी : पुरे कहते हैं कि 5 मई को वीजा एक्सटेंशन के लिए मैं एक दफ्तर में गया था, जहां एंट्री से पहले मुझसे पूरी जानकारी ली गई। जैसे- मुझे 14 दिन से बुखार तो नहीं आया है या फिर कोरोना संक्रमण से जुड़े कोई लक्षण तो नहीं है। फिर सैनेटाइजेशन के बाद ही दफ्तर में प्रवेश दिया जाता है।
उल्लेखनीय है कि अमेरिका में 17 मई तक 3 करोड़ 37 लाख 15 हजार 951 लोग संक्रमित हो चुके हैं, जबकि 6 लाख 147 लोगों की मौत हो चुकी है। (फोटो : धीरज पुरे)