Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

वैज्ञानिक बोले- नए स्ट्रेन से न घबराएं, बचाव के लिए अपनाएं ये उपाय

हमें फॉलो करें वैज्ञानिक बोले- नए स्ट्रेन से न घबराएं, बचाव के लिए अपनाएं ये उपाय
, बुधवार, 30 दिसंबर 2020 (00:48 IST)
नई दिल्ली। वैज्ञानिकों ने कहा कि ब्रिटेन से आए लोगों में मिले कोरोनावायरस के नए स्वरूप पर काबू के लिए मास्क, सैनिटाइजर, सामाजिक दूरी जैसे मानक बचाव तंत्र प्रभावी होंगे। इसके साथ ही उन्होंने आश्वासन दिया कि नए स्वरूप को लेकर चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं है तथा यह नैदानिक ​​रूप से अधिक गंभीर नहीं है। 
 
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि ब्रिटेन से हाल ही में लौटे 7 लोगों में कोरोनावायरस के नए स्वरूप (यूवीआई-202012/01) का पता लगा है। इससे यह चिंता पैदा हो गई कि इस बीमारी के खिलाफ भारत की लड़ाई और जटिल हो सकती है जबकि रोजाना नए मामलों की संख्या में कमी आ रही है।
स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार बेंगलुरु स्थित राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य एवं स्नायु विज्ञान अस्पताल (निमहांस) में जांच के लिए आए 3 नमूनों, हैदराबाद स्थित कोशिकीय एवं आणविक जीव विज्ञान केंद्र (सीसीएमबी) में 2 नमूनों और पुणे स्थित राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (एनआईवी) में एक नमूने में सार्स-सीओवी-2 के ब्रिटिश स्वरूप के जीनोम का पता लगा है। कई वैज्ञानिकों ने चिंताओं को दूर करने का प्रयास करते हुए कहा कि अब तक ऐसे कोई सबूत नहीं हैं कि वायरस का यह स्वरूप अधिक घातक है। नई दिल्ली स्थित सीएसआईआर-आईजीआईबी संस्थान के निदेशक अनुराग अग्रवाल उनमें से एक हैं।
ALSO READ: ब्रिटेन के नए स्ट्रेन से बढ़ी चिंताओं के बीच स्वास्थ्य मंत्रालय ने सुनाई खुशखबरी!
उन्होंने कहा कि सतर्क रहना और अच्छी आदतों का पालन करना (नए स्वरूप के संदर्भ में) पर्याप्त होना चाहिए। वायरस के नए प्रकार की पहचान सबसे पहले ब्रिटेन में की गई और उसने नए स्वरूप के अधिक गंभीर होने के संबंध में कोई नैदानिक ​​संकेत नहीं दिया है। 
 
यूरोपियन सेंटर फॉर डिजीज प्रिवेंशन एंड कंट्रोल (ईसीडीसी) ने कहा है कि 19 दिसंबर को ब्रिटेन द्वारा शुरू किए गए प्रारंभिक 'मॉडलिंग' परिणामों से पता चलता है कि नया प्रकार पहले की अपेक्षा 70 प्रतिशत अधिक संक्रामक है, हालांकि उसने यह भी कहा कि अधिक संक्रमण गंभीरता का कोई संकेत नहीं है। विषाणु विज्ञानी उपासना रे भी इस आकलन से सहमत थीं कि चिंता करने का कोई कारण नहीं है, क्योंकि इस संबंध में अभी तक कोई जानकारी नहीं है कि नया स्वरूप अधिक घातक है।
 
सीएसआईआर-आईआईसीबी कोलकाता की वरिष्ठ वैज्ञानिक ने यह भी कहा कि यह कहा गया है कि संक्रमण दर अधिक है। लेकिन इस संबंध में प्रयोगशाला आधारित कोई साक्ष्य नहीं हैं। रे ने कहा कि यात्रा पर प्रतिबंध पहले ही सुझाया जा चुका है और ब्रिटेन से आने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए परीक्षण की सिफारिश की गई है। रे ने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण कदम मास्क का उपयोग सहित अन्य बुनियादी सावधानियों को लागू करना है।
ALSO READ: केजरीवाल बोले, दिल्ली कोरोनावायरस के नए स्ट्रेन से निपटने के लिए तैयार
सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के विजय राघवन ने कहा कि इसका अब तक पता नहीं चल पाया है कि नए प्रकार से बीमारी की गंभीरता बढ़ जाती है। उन्होंने कहा कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि वर्तमान टीका वायरस के नए स्वरूप से बचाव में नाकाम रहेगा।
 
कोरोना संक्रमित सभी यात्रियों की 'जीनोम सीक्वेंसिंग' : वे सभी अंतरराष्ट्रीय यात्री 'जीनोम सीक्वेंसिंग' का हिस्सा होंगे, जो 9 से 22 दिसंबर तक भारत पहुंचे हैं और कोरोनावायरस से संक्रमित पाए गए हैं। केंद्र यह कवायद इसलिए कर रहा है ताकि पता लगाया जा सके कि कहीं ये लोग विषाणु के उस नए प्रकार से तो संक्रमित नहीं हैं, जो हाल में ब्रिटेन में पाया गया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के 'जीनोम सीक्वेंसिंग' पर दिशा-निर्देश के मुताबिक अन्य यात्रियों को राज्य और जिला निगरानी अधिकारी देखेंगे और उनके भारत पहुंचने के 5वें से 10वें दिन के बीच उनकी आईसीएमआर के दिशा-निर्देशों के मुताबिक जांच की जाएगी, भले ही उनमें कोई लक्षण नहीं दिख रहा हो।
 
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के 'जीनोम सीक्वेंसिंग' दिशा-निर्देश संबंधी दस्तावेज में कहा गया है कि पिछले 14 दिन (9 से 22 दिसंबर तक) में भारत पहुंचे सभी अंतरराष्ट्रीय यात्री, यदि उनमें लक्षण हैं और संक्रमित पाए गए हैं तो वे जीनोम सीक्वेंसिंग का हिस्सा होंगे। भारतीय हवाई अड्डा प्राधिकरण के मुताबिक इस साल नवंबर में कुल 10.44 लाख अंतरराष्ट्रीय यात्री भारत आए और गए हैं।
 
ब्रिटेन में पाया गया कोरानावायरस का नया प्रकार अब तक डेनमार्क, नीदरलैंड्स, ऑस्ट्रेलिया, इटली, स्वीडन, फ्रांस, स्पेन, स्विट्जरलैंड, जर्मनी, कनाडा, जापान, लेबनान और सिंगापुर में भी मिल चुका है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने प्रयोगशाला और महामारी निगरानी तथा देश में कोरोनावायरस की समूची 'जीनोम सीक्वेंसिंग' के विस्तार और यह समझने के लिए भारतीय 'सार्स-कोव-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम' स्थापित किया है कि वायरस का प्रसार किस तरह होता है एवं इसकी उत्पत्ति किस तरह होती है?
ALSO READ: कोरोनावायरस के नए स्ट्रेन से दक्षिणी राज्यों में दहशत, ब्रिटेन से लौटे लोगों की तलाश तेज
भारत ने विषाणु के उत्परिवर्तित प्रकार का पता लगाने तथा इसे रोकने के लिए एक अग्र-सक्रिय रणनीति तैयार की है। इसमें 23 दिसंबर की मध्यरात्रि से 31 दिसंबर तक ब्रिटेन से आने वाली सभी उड़ानों को अस्थायी रूप से रोकने और ब्रिटेन से लौटे सभी हवाई यात्रियों की आरटी-पीसीआर से जांच अनिवार्य करना शामिल है। केंद्र सरकार ने 10 क्षेत्रीय प्रयोगशालाओं की पहचान की है, जहां उनके कोविड-19 से संक्रमित 5 प्रतिशत नमूनों को 'जीनोम सीक्वेंसिंग' के लिए भेजा जाएगा जिससे कोरोनावायरस के नए प्रकार का पता लगाया जा सके।
 
स्वास्थ्य मंत्रालय सार्स-कोव-2 के नए प्रकार के संदर्भ में निगरानी और प्रतिक्रिया के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) पहले ही जारी कर चुका है। इस पहल का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि भारत पहुंचने वाले अंतरराष्ट्रीय यात्रियों की उचित तरीके से जांच हो ताकि विषाणु के नए प्रकार का जल्दी पता चल सके। (भाषा)

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

Weather alert : नए साल के जश्न पर शीतलहर की मार, उत्तर भारत में बढ़ेगी ठंड