नई दिल्ली। कोरोना वायरस महामारी से पस्त पड़ी अर्थव्यवस्था में नई जान डालने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को 20 लाख करोड़ रुपए के भारी-भरकम प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा की। इसका ब्योरा अगले कुछ दिेनों में जारी किया जाएगा।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस ने भारत को आत्मनिर्भर बनने और दुनिया में आगे बढ़ने अवसर उपलब्ध कराया है।
राष्ट्र के नाम टेलीविजन पर संबोधन में मोदी ने यह भी कहा कि 18 मई से लॉकडाउन का चौथा चरण भी लागू किया जाएगा, यह पहले के 3 चरणों से काफी अलग होगा। लॉकडाउन का तीसरा चरण 17 मई को समाप्त होने जा रहा है। तीसरे चरण में भी कारोबारी गतिविधियों के मामले में कई तरह की रियायतें दी गईं। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के चौथे चरण के बारे में जानकारी 18 मई से पहले दे दी जाएगी।
वित्तीय पैकेज के बारे में उन्होंने कहा कि सरकार के हाल के निर्णय, रिजर्व बैंक की घोषणाओं को मिलाकर यह पैकेज करीब 20 लाख करोड़ रुपए का होगा जो देश के सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 10 प्रतिशत है। यह पैकेज भारत को आत्मनिर्भर बनाने के अभियान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इससे पहले केंद्र सरकार ने गरीबों, बुजुर्गों और किसानों के लिए 1.74 लाख करोड़ रुपए के राहत पैकेज की घोषणा की है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि यह आर्थिक पैकेज हमारे श्रमिकों, किसानों, ईमानदार करदाताओं सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों और कुटीर उद्योगों के लिए होगा। पैकेज में भूमि, श्रम, नकदी और कानून सभी क्षेत्रों पर ध्यान दिया गया है। यह पैकेज भारतीय उद्योग जगत के लिए है, उसे बुलंदी पर पहुंचाने के लिए है।
प्रधानमंत्री ने बड़े आर्थिक सुधारों का संकेत देते हुए कहा कि आर्थिक पैकेज के बारे में विस्तृत ब्योरा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बुधवार से अगले कुछ दिनों तक देंगी। प्रधानमंत्री ने देश को आगे बढ़ने के लिए ‘साहसिक’ सुधारों का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि ये सुधार खेती से जुड़ी पूरी आपूर्ति श्रृंखला, कर प्रणाली को युक्तिसंगत बनाने, नियम-कानून को सरल और स्पष्ट बनाने, बुनियादी ढांचा को गति देने और व्यापार तथा निवेश को प्रोत्साहित करने वाले होंगे।
उन्होंने कहा कि देश का लक्ष्य आत्मनिर्भर बनना है और उन्होंने इसके लिए अर्थव्यवस्था और बुनियादी ढांचे को महत्वपूर्ण बताया। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की आत्मनिर्भरता पांच स्तंभों पर आधारित होगी। इसमें उन्होंने -अर्थव्यवस्था की ऊंची छलांग, बेहतर बुनियादी ढांचा, 21वीं सदी का प्रौद्योगिकी आधारित नया शासन तंत्र, गतिशील जनसांख्यकीय और अर्थव्यवस्था की मजबूत मांग एवं आपूर्ति श्रृंखला का जिक्र किया।
स्थानीय उत्पादों के विनिर्माण को बढ़ावा देने पर जोर देते हुए उन्होंने लोगों से ‘लोकल पर वोकल बनने’ यानी स्थानीय उत्पादों को महत्व देने और उनकी मांग बढ़ाने के साथ ही उनका प्रचार करने पर भी जोर दिया।
मोदी ने कहा कि एक वायरस ने पूरी दुनिया को तहस-नहस कर दिया है। सारी दुनिया जिदंगी बचाने की जंग में जुटी है। यह मानव जाति के लिए अकल्पनीय है- लेकिन थकना, हारना, टूटना, बिखरना - मनुष्य को मंजूर नहीं, हमें बचना भी है और आगे भी बढ़ना है। हमें आत्मनिर्भर भारत बनाना है। यह आपदा भारत के लिए एक संदेश, एक अवसर भी है। 21वीं सदी को भारत की सदी बनाना है।
उन्होंने कहा कि भारत की संस्कृति, भारत की आत्मा 'वसुधैव कुटुम्बकम' की रही है। भारत का चिंतन जीवमात्र का कल्याण रहा है। यह पूरे विश्व को परिवार मानता है। भारत भूमि जब आत्मनिर्भर होती है तो पूरे विश्व पर इसका प्रभाव होता है। भारत की दवाइयां दुनिया में नई आशा लेकर पहुंचती हैं। इसकेा लेकर भारत की भूरि-भूरि प्रशंसा होती है तो भारतीयों को गर्व होता है। दुनिया मानती है कि भारत कुछ अच्छा कर सकता है।
प्रधानमंत्री का यह संबोधन विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ सोमवार को करीब 6 घंटे चली बैठक के एक दिन बाद हुआ है। मुख्यमंत्रियों के साथ यह बैठक 17 मई के बाद 54 दिन का लॉकडाउन समाप्त होने के बाद आगे की स्थिति को लेकर हुई।
हाल के दिनों में उद्योगों, कामगारों और कई राजनीतिक नेताओं ने लॉकडाउन हटाने की मांग की है। उनका कहना है कि लॉकडाउन की वजह से अर्थव्यवस्था और लोगों के एक बड़े वर्ग की जीविका पर बुरा असर पड़ रहा है। (भाषा)