ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी हर साल वर्ड ऑफ द ईयर का चयन करती है, लेकिन इस वो ऐसा नहीं कर पाई। क्योंकि इस साल शब्दों को लेकर इतना कन्फ्यूजन था कि खुद ऑक्सफोर्ड साल का शब्द नहीं चुन पाई। दरअसल, इस साल ऑक्सफोर्ड ने कोई एक शब्द चुनने की बजाए शब्दों की एक पूरी सूची जारी की है।
साल 2020 में जहां कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया को हैरान कर दिया, वहीं इसने अंग्रेजी भाषा पर भी बेहद ज्यादा प्रभाव डाला है। ऐसे कई शब्द हैं जो इस साल बहुत ज्यादा प्रयोग किए गए, जबकि कई शब्द इस्तेमाल में पीछे रह गए।
ऑक्सफोर्ड शब्दकोश प्रकाशित करने वाली कंपनी ऑक्सफोर्ड लैंग्वेजेस ने माना है कि वायरस के इस संक्रमण ने दुनिया के साथ अंग्रेजी पर भी प्रभावित कर दिया।
इस बारे में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक प्रेसिडेंट कास्पर ग्रैथव्होल कहते हैं,
हमने भाषा की दृष्टि से ऐसा साल कभी नहीं देखा। हर साल हमारी टीम सैकड़ों नए शब्दों और उनके प्रयोगों को लेकर रिसर्च करती है और फिर ऐसे शब्दों की पहचान करती है, लेकिन साल 2020 ने ऑक्सफोर्ड को भी निशब्द कर दिया
उनका कहना है कि इस साल ने इतने शब्द दिए कि यह चुनना मुश्किल हो गया कि किसे बाहर रखें और किसे शब्दकोश में शामिल किया जाए।
नतीजा यह हुआ कि इस साल ऑक्सफोर्ड को अपना शब्द नहीं मिला और उसे एक पूरी सूची ही निकालना पडी।
दरअसल, ऑक्सफोर्ड लैंग्वेजेस हर साल अंग्रेजी भाषा का एक ऐसा शब्द चुनती है, जिसका दुनियाभर में बहुत ज्यादा और व्यापक प्रयोग हुआ हो। यह ऑक्सफोर्ड के 1100 करोड़ शब्दों के कलेक्शन में से चुना जाता है।
अब तक सेल्फी, वैप, अनफ्रेंड और टॉक्सिक शब्दों को डिक्शनरी में चुना गया। पिछले साल क्लाइमेट इमरजेंसी था, लेकिन 2020 में कंपनी ने एक शब्द चुनने की बजाए कई शब्दों की सूची जारी की।
टाइम से आगे निकला कोरोनावायरस
रिपोर्ट के मुताबिक इस साल कोरोनावायरस शब्द का प्रयोग 57 हजार प्रतिशत बढ़ गया। कोरोनावायरस शब्द सबसे पहले 1968 में इस्तेमाल हुआ था, हालांकि चिकित्सीय संदर्भ से बाहर बहुत कम प्रयोग हुआ, लेकिन इस साल इसका प्रयोग बढ़ गया। अप्रैल में इस शब्द का सबसे ज्यादा प्रयोग या इस्तेमाल किया गया। इस तरह यह सबसे ज्यादा इस्तेमाल किए जाने वाले शब्द टाइम से भी आगे निकल गया।
जनवरी में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प पर महाभियोग की खबरों के चलते इम्पीचमेंट शब्द प्रचलित था, लेकिन अप्रैल आते-आते कोरोनावायरस आगे निकल गया। वहीं मई के आखिर में ब्लैक लाइव्ज, मैटर, जूनटेंथ जैसे शब्दों का प्रयोग बढ़ गया।
उस समय पैनडेमिक शब्द का इस्तेमाल नहीं हो रहा था। वहीं पिछले साल के वर्ड ऑफ ईयर क्लाइमेट इमरजेंसी का इस्तेमाल संक्रमण महामारी के चलते करीब 50 प्रतिशत तक गिर गया।
इस महामारी में सोशल डिस्टेंसिंग या फ्लैटन द कर्व जैसे शब्द भी घर-घर में इस्तेमाल किए जाने लगे। लॉकडाउन और स्टे-एट-होम जैसे वाक्य बहुत इस्तेमाल हुए। पहले रिमोट, विलेज, आइलैंड और कंट्रोल जैसे शब्द साथ-साथ नजर आते थे, लेकिन अब लर्निंग, वर्किंग और वर्क फोर्स साथ नजर आने लगे।
इन शब्दों पर हुआ प्रभाव
वर्केशन, ट्विंडेमिक, अनम्यूट, जूमबॉम्बिंग जैसे शब्दों पर भी ऑक्सफोर्ड की सूची पर कोरोना का प्रभाव है। इसमें एंटी-वैक्सर, एंटी-मास्कर, एंथ्रोपॉज (घूमने पर वैश्विक पाबंदी), बीसी (बिफोर कोविड), ब्लैक लाइव्ज मैटर, बबल, कोविडिएट (कोरोना गाइडलाइन न मानने वाला), फ्लैटन द कर्व, ट्विंडेमिक (दो महामारी एक साथ आना), अनम्यूट (माइक्रोफोन ऑन करना), वर्केशन (छुटि्टयों में काम करना) जूमबॉम्बिंग (वीसी कॉल में घुसपैठ करना) जैसे शब्द हैं।