नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने कोरोना वायरस (Corona virus) की वजह से लॉकडाउन के दौरान अत्यधिक जरूरी मामलों की श्रेणी में जमानत और सजा निलंबित करने के आवेदन सूचीबद्ध नहीं करने संबधी राजस्थान उच्च न्यायालय के आदेश पर शुक्रवार को रोक लगा दी।
न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने इस मामले की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय के एकल न्यायाधीश के 31 मार्च के आदेश पर रोक लगा दी। पीठ ने इसके साथ ही इस आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर नोटिस भी जारी किया।
अदालत के एकल न्यायाधीश ने इस आदेश में रजिस्ट्री को निर्देश दिया था कि अत्यधिक जरूरी मामलों की श्रेणी में जमानत और सजा निलंबित करने जैसे आवेदन सूचीबद्ध नहीं किए जाएं। अदालत ने कहा था कि जमानत और सजा निलंबित करने के मामलों को अत्यधिक जरूरी नहीं माना जा सकता जब देश में पूरी तरह लॉकडाउन है।
अदालत ने कहा था कि इस तरह के मामलों को देश में लॉकडाउन वापस लिए जाने के बाद सूचीबद्ध किया जाएगा। अदालत ने कहा था कि लॉकडाउन के आदेश की अनदेखी करना और अनेक जिंदगियों को जोखिम में डालने की कीमत पर दोषी को जमानत पर रिहा करना अत्यधिक जरूरी मामले की श्रेणी में नहीं आता है।
न्यायाधीश ने इस तथ्य का भी जिक्र किया था कि कुछ दिन से लेकर कुछ सप्ताह के होली, दशहरा, दीवाली और शीतकालीन अवकाश के दौरान भी उच्च न्यायालय जमानत याचिकाओं और सजा निलंबित करने जैसे आवेदनों पर विचार नहीं करता है।
अदालत ने जेल, महानिदेशक की उस रिपोर्ट का भी जिक्र किया था जिसमें कहा गया था कि जेलों में क्षमता से ज्यादा भीड़ नहीं है और जेल में कैदियों की नियमित मेडिकल जांच हो रही है।