नई दिल्ली। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने उत्तरप्रदेश और बिहार में गंगा नदी में कई लाशें मिलने की शिकायतों के बाद गुरुवार को केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय और दोनों राज्यों को नोटिस जारी किया। आयोग ने बयान में कहा कि इसने (एनएचआरसी) दोनों राज्यों के मुख्य सचिवों और केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय के सचिव को आज नोटिस जारी कर चार सप्ताह में कार्रवाई रिपोर्ट मांगी है।
उत्तरप्रदेश के बलिया जिले के रहने वाले लोगों के मुताबिक नरही इलाके के उजियार, कुल्हड़िया और भरौली घाट पर कम से कम 52 लाशें बहती हुई दिखाई दी हैं। इसी तरह गंगा नदी में लाशों के बहने की खबर बिहार से भी मिली है।
बयान में एनएचआरसी ने कहा कि ऐसा लगता है कि प्रशासनिक अधिकारी जनता को जागरूक करने और गंगा नदी में अधजली या बिना जली लाशों को बहाने से रोकने में असफल हुए हैं।
उल्लेखनीय है कि भारत कोरोना वायरस महामारी से बुरी तरह से प्रभावित है और देशभर के श्मशान और कब्रिस्तान पर क्षमता से अधिक बोझ है। एनएचआरसी ने बयान में कहा कि शवों को हमारी पवित्र गंगा नदी में प्रवाहित करना स्पष्ट रूप से जल शक्ति मंत्रालय के राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन है।
आयोग ने बताया कि उसे 11 मई 2021 को मीडिया में आई खबरों के हवाले से शिकायत मिली और उसमें आशंका जताई गई कि नदी में बह रहे शव कोविड-19 संक्रमितों के हैं। एनआरसी ने उल्लेख किया कि शिकायत में इंगित किया गया कि इस तरह से शवों को बहाए जाने से उन लोगों पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा जो दैनिक कार्यों के लिए गंगा नदी पर निर्भर हैं।
आयोग ने कहा कि इसमें (शिकायत) में आगे कहा गया कि अगर ये शव कोविड-19 संक्रमितों के नहीं भी हैं तो ऐसी घटना समाज के लिए शर्मनाक है और यहां तक कि मृतकों के मानवाधिकार का भी उल्लंघन है।
सुप्रीम कोर्ट में याचिका : सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को याचिका दायर कर ऐसे कई लोगों की मौत की जांच की मांग की गई जिनके शव बिहार और उत्तरप्रदेश में गंगा नदी में बहते पाए गए थे। याचिका में मौत की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के वर्तमान या सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में विशेष जांच टीम गठित करने का आग्रह किया गया।
याचिका में केंद्र, उत्तरप्रदेश और बिहार के अधिकारियों को निर्देश देने का अनुरोध किया गया कि नदी में बहते पाए गए शवों का पोस्टमार्टम कराया जाए ताकि मौत के कारणों का पता चल सके।
वकील प्रदीप कुमार यादव और विशाल ठाकरे ने याचिका दायर कर दावा किया कि क्षत-विक्षत शवों की बरामदगी गंभीर चिंता का विषय है क्योंकि नदी कई इलाकों के लिए जल स्रोत का काम करती है और अगर शव कोविड-19 से संक्रमित पाए गए तो यह दोनों राज्यों के गांवों तक फैल सकता है।
जिम्मेदारी से भाग रही हैं सरकारें : इसमें दावा किया गया कि उत्तरप्रदेश और बिहार की सरकारें जिम्मेदारी से भाग रही हैं और यह पता लगाने के बजाए कि किस तरह से इन शवों को नदी में फेंका गया, उनके बीच आरोप-प्रत्यारोप चल रहा है और इसलिए सुप्रीम कोर्ट के वर्तमान या सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एसआईटी का गठन करने की जरूरत है ताकि मौत की जांच की निगरानी की जा सके। याचिका में आरोप लगाया गया कि गंगा नदी में करीब 100 शव बहते पाए गए जिनमें से 71 शव बिहार के बक्सर जिले में निकाले गए, जबकि उत्तरप्रदेश के गाजीपुर जिले में भी ऐसे शव पाए गए।