बलरामपुर (यूपी)। बलरामपुर जिले में कोरोना से संक्रमित मरीज की मौत के बाद परिवार वालों के अंतिम संस्कार के लिए आगे नहीं आने पर कुछ रोजेदार मुस्लिम युवाओं ने इंसानियत का फर्ज निभाते हुए मृतक की अंत्येष्टि की।
बलरामपुर नगर के पुरैनिया निवासी मुकुंद मोहन पांडेय (60) की 3 मई को कोरोना से मौत हो गई। संक्रमण के डर से उनके परिवार के लोगों और पड़ोसियों ने अंतिम संस्कार करने से किनारा कर लिया। इस बात की जानकारी नगर पालिका परिषद के चेयरमैन के प्रतिनिधि शाबान अली को मिली तो उन्होंने अपने कुछ मित्रों को बुलाया। इन लोगों ने अर्थी और कफन तैयार कराया फिर उनके शव को श्मशान ले गए।
शाबान अली ने बताया कि मुकुंद पांडेय के बड़े भाई ललित पांडेय का 30 अप्रैल को कोरोना से निधन हो गया था और इस सदमे से परिजन उबर भी नहीं पाए थे कि 2 दिन बाद मुकुंद की भी कोरोना से मौत हो गई। उन्होंने बताया कि 2 दिन में 2 मौतों से पूरा परिवार दहशत में आ गया और कोई भी शव के पास जाने को तैयार नहीं था।
अली ने बताया कि इस बात की जानकारी मिलने पर उन्होंने अपने मित्रों तारिक, अनस, गुड्डू, शफीक तथा 2 अन्य साथियों को बुलाया। वे सभी रोजेदार थे। उन्होंने पांडे के घर जाकर मुकुंद का कफन तैयार किया और उनके शव को गाड़ी से राप्ती नदी श्मशान घाट पर पहुंचाया। वहां चिता पर लिटाकर उनके बेटों को फोन करके बुलाया जिन्होंने आकर अपने पिता को मुखाग्नि दी। रोजेदार युवाओं द्वारा पेश की गई इंसानियत की मिसाल की क्षेत्र में खासी चर्चा हो रही है। (भाषा)