बीजिंग। चीन ने कोरोना वायरस (Corona virus) पर नियंत्रण की घोषणा की कर दी है, पर इस संकट में देश में लाखों लोगों का रोजगार छिन गया है। इससे चीन में गरीबी दूर करने के सरकार के महत्वाकांक्षी लक्ष्य के राह की चुनौती बढ़ गई है।
कोरोना वायरस महामारी ने चीन की अर्थव्यवस्था में महीनों तक ठहराव पैदा कर दिया था। अर्थव्यवस्था को हुए नुकसान से निपटने के लिए चीन ने तेजी से काम करना शुरू कर दिया है। लेकिन अधिकतर कंपनियों के लिए फिर से काम शुरू करना इतना आसान नहीं है और इसका असर उनके कर्मचारियों पर भी देखा जा सकता है।
भले ही चीन में गगनचुंबी इमारतें दिखती हों और उच्च प्रौद्योगिकी निवेश हुए हों। इसके बावजूद वहां लाखों लोगों की आय बहुत कम है। चीन में करीब 55 लाख ग्रामीण लोग गरीबी रेखा के नीचे जीते हैं। चीन में सालाना 2,300 युआन (करीब 326 डॉलर) से कम आय वालों को गरीबी रेखा के नीचे माना जाता है।
अर्थव्यवस्था में इस नरमी से चीन की सत्तासीन कम्युनिस्ट पार्टी के 2020 के अंत तक देश को ‘मध्यम समृद्ध समाज’ बनाने के लक्ष्य पर दबाव बढ़ा है। इससे लोगों और पार्टी के बीच आर्थिक प्रगति के बदले नागरिक स्वतंत्रताओं के त्याग के मौन समझौते को झटका लगा है।
लंबे समय से चुनाव के अभाव में भी एक पार्टी सरकार की मान्यता को बरकरार रखने का आधार इसी मौन सहमति को बनाया गया। चीन ने सीमित मात्रा में बेरोजगार होने वाले श्रमिकों और कर्मचारियों को सामाजिक सुरक्षा लाभ पहुंचाने की कोशिश की है।
लेकिन सामाजिक सुरक्षा का यह दायरा नाकाफी है। इसका मतलब लोगों के बीच बड़े स्तर पर बेरोजगार होने का डर है। आधिकारिक आंकड़े दिखाते हैं कि बेरोजगारों की संख्या बढ़ी है। दिसंबर से फरवरी के बीच 50 लाख से अधिक लोग बेरोजगार हुए हैं।(भाषा)