Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

कोरोना ने बचाई जिंदगी, फांसी पर जज ने लिया बड़ा फैसला

हमें फॉलो करें कोरोना ने बचाई जिंदगी, फांसी पर जज ने लिया बड़ा फैसला
, मंगलवार, 9 नवंबर 2021 (19:30 IST)
सिंगापुर। सिंगापुर की शीर्ष अदालत ने मादक पदार्थ की तस्करी के अपराध में दोषी ठहराए गए भारतीय मूल के 33 वर्षीय व्यक्ति के कोविड-19 से संक्रमित पाए जाने के बाद उसकी मौत की सजा के अमल पर मंगलवार को रोक लगा दी। समझा जाता है कि दोषी मानसिक रूप से अस्वस्थ है।
 
नागेंद्रन के धर्मालिंगम को मादक पदार्थ की तस्करी के अपराध में बुधवार को फांसी पर चढ़ाया जाना था, किंतु सिंगापुर के हाईकोर्ट ने उसे फांसी पर लटकाने की निर्धारित तिथि को तब तक के लिए निलंबित कर दिया जब तक कि उसकी अपील पर ऑनलाइन सुनवाई पूरी नहीं हो जाती।
 
चैनल न्यूज एशिया ने बताया कि धर्मालिंगम को उसके मृत्युदंड के विरुद्ध आखिरी अपील पर सुनवाई के लिए अपीलीय न्यायालय में लाया गया। उसे 11 साल पहले यह सजा सुनाई गई थी। उसे कुछ ही देर में वापस ले जाया गया और एक न्यायाधीश ने अदालत में कहा कि धर्मालिंगम कोविड-19 संक्रमित पाया गया है।
 
न्यायमर्ति एंड्रू फांग, न्यायमूर्ति जूदिथ प्रकाश और न्यायमूर्ति कन्नन रमेश ने कहा कि यह तो अप्रत्याशित है। न्यायाधीश ने कहा कि अदालत का मत है कि ‘वर्तमान परिस्थितियों’ में मृत्युदंड पर अमल करने की दिशा में बढ़ना उपयुक्त नहीं है।
 
न्यायमूर्ति फांग ने कहा कि यदि आवेदक कोविड-19 से संक्रमित हो गया है तो हमारी राय है कि उसे फांसी पर नहीं चढ़ाया जा सकता। उन्होंने मामले की सुनवाई टाल दी लेकिन अगली तारीख अभी तय नहीं की गई। उन्होंने कहा कि जब तक सुनवाई चलेगी आवेदक को फांसी नहीं दी जाएगी। वैसे चैनल ने कहा कि धर्मालिंगम कब कोविड-19 से संक्रमित पाया गया, उसका ब्योरा नहीं दिया गया।
 
धर्मालिंगम को 2009 में 42.75 ग्राम हेरोइन सिंगापुर लाने के अपराध में 2010 में मौत की सजा सुनायी गई थी। वह 2011 में उच्च न्यायालय में, 2019 में शीर्ष अदालत में तथा 2019 में राष्ट्रपति से राहत पाने में नाकाम रहा।
 
धर्मालिंगम को फांसी पर चढ़ाने के दिन समय नजदीक आने पर यह मामला अंतरराष्ट्रीय सुर्खियों में आया। मलेशिया के प्रधानमंत्री इस्माइल सबरी याकोब ने अपने सिंगापुर समकक्ष ली सीन लूंग को पत्र लिखा एवं मानवाधिकार संगठनों एवं वर्जिन ग्रुप के संस्थापक रिचार्ड ब्रॉनसन ने इस मामले में उसे राहत दिलाने के लिए प्रयास किया। उसे माफी देने की मांग संबंधी ऑनलाइन याचिका पर 70000 से अधिक लोगों ने हस्ताक्षर किए हैं। इस आवेदन में कहा गया है कि उसने यह अपराध दबाव में किया एवं उसका आईक्यू भी बस 69 है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

जोधपुर में ऑडी कार की टक्कर से 1 की मौत, 8 घायल