मुंबई। महाराष्ट्र के मुख्य सचिव देवाशीष चक्रवर्ती ने गुरुवार को कहा कि राज्य सरकार कोविड-19 पर यात्रा संबंधी अपने दिशा-निर्देशों में संशोधन करने पर विचार कर रही है। इससे एक दिन पहले केंद्र सरकार ने राज्य को लिखा था कि उसका (राज्य) आदेश, केंद्र सरकार द्वारा जारी मानक संचालन प्रक्रिया और दिशा-निर्देशों के अनुरूप नहीं है।
कोरोनावायरस के नए स्वरूप 'ओमिक्रॉन' पर दुनियाभर में व्याप्त चिंता के मद्देनजर महाराष्ट्र सरकार ने 'खतरे वाले' देशों से राज्य में आने वाले यात्रियों के लिए 7 दिन क्वारंटाइन अनिवार्य कर दिया है। मंगलवार रात को राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की ओर से इस बाबत दिशा निर्देश जारी किए गए थे।
निर्देशों के अनुसार ऐसे यात्रियों को आगमन के 2रे, 4थे और 7वें दिन आरटी पीसीआर जांच करानी होगी। संक्रमित पाए जाने पर यात्री को अस्पताल में भर्ती किया जाएगा। जांच रिपोर्ट 'निगेटिव' आने पर भी यात्री को 7 दिन के क्वारंटाइन में रखना होगा। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने बुधवार को महाराष्ट्र स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव प्रदीप कुमार व्यास को पत्र लिखकर कहा है कि राज्य सरकार को केंद्र की मानक संचालन प्रक्रिया के अनुरूप आदेश जारी करना चाहिए।
संपर्क किए जाने पर राज्य के मुख्य सचिव चक्रवर्ती ने कहा कि दिशा-निर्देशों में संशोधन पर विचार किया जा रहा है और आज गुरुवार शाम तक तस्वीर साफ हो जाएगी। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से 28 नवंबर को जारी नए दिशा-निर्देशों के तहत 'खतरे वाले' देशों से आने वाले यात्रियों को आगमन के पश्चात आरटी-पीसीआर जांच करानी होगी और नतीजे आने तक हवाई अड्डे पर इंतजार करना होगा।
निर्देशों के अनुसार जो यात्री 'खतरे वाले' देशों से नहीं आ रहे हैं, उन्हें हवाई अड्डा छोड़ने की अनुमति होगी और उन्हें आगमन के 14 दिन बाद तक खुद के स्वास्थ्य की जांच करनी होगी। केंद्र के निर्देशों में कहा गया है कि उड़ान के यात्रियों की कुल संख्या के 5 प्रतिशत लोगों को हवाई अड्डे पर आगमन के बाद 'औचक' जांच से गुजरना होगा, वहीं महाराष्ट्र सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार जो यात्री 'खतरे वाले' देशों से नहीं आ रहे हैं, उन्हें हवाई अड्डे पर अनिवार्य रूप से आरटी-पीसीआर जांच करानी होगी। जांच रिपोर्ट निगेटिव आने के बावजूद उन्हें 14 दिन के क्वारंटाइन में रहना होगा।