नई दिल्ली। 22 मार्च का दिन हिंदुस्तान की तारीख में एक यादगार दिन इसलिए कहा जाएगा क्योंकि पूरे हिंदुस्तान ने सुबह 7 बजे से 'जनता कर्फ्यू' का पालन किया और दुनिया का यह अब तक का सबसे बड़ा बंद मुकम्मल सफल रहा। शाम 5 बजे लोग अपने घरों से बाहर निकले और उन्होंने तालियां, घंटी और थालियां बजाकर कोराना से लड़ रहे 'नायकों' को सलाम किया।
यूं देखा जाए तो शनिवार रात से ही पूरे देश में बंद की तैयारियां शुरू हो गई थीं। सुबह 7 बजे से रात 9 बजे तक लोगों को अपने घरों में रहना है, ताकि कोरोना वायरस के संक्रमण से खुद को बचाया जा सके।
शाम को जैसे ही घड़ी की सुइयों ने 5 बजाए, लोग उन लोगों के सम्मान में बाहर खड़े हो गए, जो इस जानलेवा बीमारी को हराने में अपने कर्तव्य का निर्वहन कर कर रहे हैं। डॉक्टर्स, नर्स, नर्सिंग स्टाफ, सफाईकर्मी, मीडियाकर्मी, पुलिस प्रशासन, सरकारी कर्मचारी, सुरक्षाकर्मी आदि लोगों के लिए उन्होंने तालियां बजाईं। यही नहीं, लोग थाली और बिगुल भी बजा रहे थे और एक तरह से उनकी सेवा को सलाम कर रहे थे।
यह नजारा ठीक इटली की तरह था, जहां लोग रोजाना यह क्रम कर रहे हैं, ताकि कोरोना को हराया जा सके और उन लोगों का मनोबल बढ़ाया जा सके, जो अपनी जान की परवाह किए बगैर कर्तव्य का पालन कर रहे हैं।
भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी भले ही उम्रदराज हो गए हों लेकिन उन्होंने अपने सरकारी बंगले में घंटी बजाई। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और योगगुरु बाबा रामदेव ने भी घंटी बजाकर कर्तव्यनिष्ठ लोगों का अभिवादन किया। राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी ताली बजा रहे थे। कुछ जगह बच्चे गीत गा रहे थे जबकि कई लोगों ने पटाखे छोड़े। देश में अधिकांश लोगों ने पूजाघर की घंटी बजाई।
अमिताभ बच्चन ने बजाई तालियां : बॉलीवुड अभिनेता और सदी के महानायक अमिताभ बच्चन ने मुंबई में अपने बंगले की छत पर जाकर तालियां बजाईं। उनके साथ अभिषेक बच्चन, ऐश्वर्या राय और श्वेता नंदा बच्चन भी नजर आईं, जिनके हाथों में घंटी थी। अनुपम खेर ने अकेले थाली बजाई क्योंकि उन्होंने खुद को आइसोलेट कर रखा है।
भाजपा का ध्वज लहराना गलत : 'जनता कर्फ्यू' का आह्वान भले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया हो लेकिन शाम 5 बजे ऐसी तस्वीरें भी दिखाई दीं, जब कुछ लोग भाजपा का झंडा लहरा रहे थे। असल में यह गलत है क्योंकि आज देश की एकजुटता की जीत हुई है, जिसमें किसी भी पार्टी को श्रेय नहीं दिया जा सकता। यह मोदी की नहीं बल्कि देश की जनता की जीत है, जिन्होंने कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए खुद को पूरी तरह घर में बंद रखा। कई जगह राष्ट्रीय ध्वज भी लहराए गए, क्योंकि इस लड़ाई में देश जीता है।
यह तो शुरुआत है, आगे और लड़ाई : भारत की 125 करोड़ से ज्यादा की जनसंख्या ने 22 मार्च को दुनिया के सबसे बड़े बंद को सफल बनाया। सिर्फ 1 दिन के बंद के मायने यह नहीं हैं कि देश ने कोरोना पर विजय हासिल कर ली। एक जानकारी के मुताबिक सबसे बड़ी चिंता कोरोना वायरस की शुरुआत के बाद देश में आ चुके वो ढाई लाख लोग हैं, जो पता नहीं कहां-कहां जा चुके हैं। दुनिया में जब मौतों का आंकड़ा बढ़ा, तब सरकार जागी और सख्ती हुई लेकिन उससे पहले आ चुके लोगों का क्या होगा?