Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

नो स्‍टे होम, नो सोशल डिस्‍टेंसिंग… ‘कम्‍युनिटी ट्रांसमिशन’ हुआ तो भारत का होगा क्‍या?

हमें फॉलो करें नो स्‍टे होम, नो सोशल डिस्‍टेंसिंग… ‘कम्‍युनिटी ट्रांसमिशन’ हुआ तो भारत का होगा क्‍या?
webdunia

नवीन रांगियाल

अब तक भारत ने कोरोना वायरस को दूसरे चरण में रोक रखा है। यानी जो हाल चीन, इटली, स्‍पेन और इरान का हो चुका है, वो स्‍थिति भारत में अब तक नहीं पहुंची है।

प्रधानमंत्री का एक दिन का ‘जनता कर्फ्यू’ एक सफल प्रयोग रहा, लेकिन अब जिस तरह से भारत में लोग ‘स्‍टे होम’ के कॉन्‍सेप्‍ट का उल्‍लंघन कर रहे हैं, ‘सोशल डिस्‍टेंसिंग’ को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं, ऐसे में यहां वैसे हालत पैदा हो जाए इसकी पूरी आशंका नजर आ रही है। ऐसे में ‘कम्‍युनिटी ट्रांसमिशन’ यानी मास में यह संक्रमण पसरता है तो भारत की क्‍या स्‍थिति होगी। क्‍या भारत के पास इस स्‍थिति से निपटने के लिए संसाधन और सुविधा है।

आइए जानते हैं, स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं में भारत की क्‍या स्‍थिति है।

नेशनल हेल्‍थ प्रोफाइल की रिपोर्ट के मुताबिक देश में करीब 26 हजार सरकारी अस्‍पताल हैं। इनमें से भी 21 हजार ग्रामीण क्षेत्रों में तो शेष 5 हजार शहरों में हैं। प्राइवेट अस्‍पतालों की संख्‍या अलग है। सेना और रेलवे के अस्‍पताल अलग हैं।

इसी रिपोर्ट के मुताबिक देश में करीब 11 लाख एलोपैथिक डॉक्‍टर हैं। डब्‍लूएचओ के निर्देशों के मुताबिक डॉक्‍टर और मरीजों  का अनुपात हर 1 हजार मरीजों पर 1 डॉक्‍टर होना चाहिए। लेकिन डब्‍लूएचओ के मानकों पर भारत भी बिल्‍कुल भी खरा नहीं उतरता है। क्‍योंकि यह 135 करोड लोगों का देश है। अगर डॉक्‍टरों की इतनी संख्‍या में से 80 प्रतिशत डॉक्‍टर भी मौजूद रहते हैं तो भी एक डॉक्‍टर पर करीब 1500 मरीजों के इलाज की जिम्‍मेदारी होगी। ठीक इसी तरह एक अस्‍पताल के पलंग पर 1 हजार 700 मरीजों का भार है।

स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं में बिहार की स्‍थिति बेहद खराब है।

एक अन्‍य रिपोर्ट के मुताबिक देशभर में करीब 70 हजार आईसीयू पलंग हैं। जबकि करीब 40 हजार वेंटिलेटर हैं। इनमें से ज्‍यादातर मेट्रो सिटी, मेडिकल कॉलेज और निजी अस्‍पतालों में रखे हुए हैं।

वायरस की जांच के लिए हमारे पास लैब की संख्‍या भी चीन और इटली जैसे देशों से बेहद कम है। सबसे चौंकाने वाली बात तो यह है कि इटली जहां सबसे ज्‍यादा मौतें हुई हैं, उसे डब्‍लूएचओ ने स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं की रैंकिंग में 2 नंबर पर रखा हुआ था, जबकि भारत इस रैंकिंग में 112 नंबर पर आता है। ऐसे में कोरोना वायरस के ‘कम्‍युनिटी ट्रांसमिशन’ के स्थिति क्‍या होगी इसका अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

खेल जगत ने कोरोना से जंग में बढ़ाए मदद के हाथ : गौतम गंभीर