जो दुनिया अभी नजर आ रही है, उसकी किसी ने कल्पना तक नहीं की थी। पिछले कुछ महीनों में कई तरह की चीजें बदल चुकी हैं। बाजार बंद हैं। सड़कें सुनसान हैं। लोग घरों में कैद हैं जबकि जानवर जंगलों से शहरों में आ चुके हैं। दुनिया के कई शहरों में पॉल्यूशन का स्तर घट गया है। वाहनों और उनके हॉर्न के शोर की बजाए अब चीड़ियां, कबूतर, मोर और कौओं की आवाजें आ रही हैं।
इंटरनेट पर कई तरह के मीम्स वायरल हैं। इनमें से एक मीम इस पूरी कहानी को बेहद की स्पष्ट तौर से परिभाषित कर रहा है।
जू में रखा जानवरों का एक पिंजरा है। उस पिंजरे में इंसान कैद हैं और बाहर से जानवर उन्हें निहार रहे हैं। ठीक उसी तरह जैसे कभी इंसान जू में जाकर पिंजरे में बंद जानवरों को निहारता था और सेल्फी लेता था।
क्या यह दुनिया की परिभाषा बदलने वाला दृश्य है। या यूं कहें कि प्रकृति धीरे-धीरे जीवन का कॉन्सेप्ट बदल रही है।
इस सबके केंद्र में कोरोना वायरस है। कोरोना ने जिस तरह से दुनिया में कहर बरपाया है, उससे सबकुछ बदल गया है।
सबसे चौंकाने वाली खबर यह है कि चीन के कई शहरों में तलाक के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। इसके पीछे जो कारण बताया जा रहा है, वो पति-पत्नी का ज्यादा समय तक साथ रहना है। यानी ज्यादा वक्त तक साथ रहने से अनबन बढ़ रही।
दूसरी चिंता वाली खबर भारत से आ रही है। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक लॉकडाउन पीरियड में घरेलू हिंसा के मामलों में इजाफा हुआ है। इसके पीछे भी कारण यही बताया जा रहा है कि अब लोग ज्यादा साथ में रह रहे हैं, इसलिए यह दिक्कत आ रही है। तो ऐसे में सवाल है कि इंसान अब सामाजिक नहीं रह गया है।
लॉकडाउन को लेकर कुछ मजेदार बातें भी सामने आ रही हैं। इसको लेकर कई मीम्स और धारणाएं सामने आ रही हैं।
कहा जा रहा है कि कोविड-19 के दौर में होने वाले तलाक को कोवि-डिवोर्स कहा जाएगा। वहीं इस समय में यानी कोरोना के समय में पैदा हुए बच्चों को आने वाले समय में कोरोना-बेबीज कहा जाएगा। इसी तरह इस दौर में वयस्क हो रहे टीनएजर्स को क्वारन-टीन के तौर पर जाना जाएगा।