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लापरवाही से जानलेवा हो सकता है ब्लैक फंगल इंफेक्शन, म्यूकोरमाइकोसिस को लेकर एडवाइजरी जारी

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, सोमवार, 10 मई 2021 (10:35 IST)
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने कहा कि अनियंत्रित मधुमेह और लंबे समय तक गहन चिकित्सा इकाई (ICU) में रहने वाले कोविड-19 मरीजों में म्यूकोरमाइकोसिस कवक संक्रमण पाया जा रहा है और अगर ध्यान नहीं दिया जाए तो यह प्राणघातक हो सकता है।
 
केंद्र ने इस संबंध में जारी परामर्श में कहा कि कवक संक्रमण खासतौर पर उन लोगों को संक्रमित करते हैं जिनका इलाज चल रहा होता है और उनमें पर्यावरण में मौजूद रोगाणुओं से लड़ने की क्षमता घट जाती है।
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क्या है ब्लैक फंगल : कोरोना से संक्रमित मरीज या कोरोना से स्वस्थ्य हुए मरीज में Black fungus infections देखा गया है। Black fungus infections आमतौर पर उन लोगों में होता है जिनका शरीर किसी बीमारी से लड़ने में कमजोर होता है। वह आदमी अक्सर दवाई लेता है और उसमें कई तरह की हेल्थ प्रॉब्लम होती है। 
 
फेफड़े हो सकते हैं संक्रमित : केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) द्वारा बीमारी की निगरानी, जांच और इलाज के लिए तथ्य आधारित परामर्श जारी किया गया है। इसमें कहा गया कि म्यूकोरमाइकोसिस का इलाज नहीं किया जाए तो यह प्राणघातक हो सकता है। हवा में मौजूद कवक के सांस के रास्ते शरीर के भीतर पहुंचने पर व्यक्ति का साइनस (विवर) और फेफड़ें प्रभावित हो जाते हैं।
क्या हैं लक्षण : परामर्श में कहा गया कि दर्द, आंखों और नाक के पास त्वचा का लाल होना, बुखार, सिरदर्द, खांसी, सांस लेने में समस्या, खून की उल्टी, मानसिक स्थिति में बदलाव जैसे इसके लक्षण हैं। केंद्र ने कहा कि मधुमेह और कमजोर प्रतिरक्षण वाले कोविड-19 मरीज में नासिका सूजन, चेहर के एक ओर दर्द, नाक की रेखा पर कालापान, दर्द के साथ धुंधला दिखाई देना, सीने में दर्द, त्वचा में बदलाव और सांस लेने में समस्या होने पर म्यूकोरमाइकोसिस का संदिग्ध मामला हो सकता है।
 
बचाव के लिए क्या करें : आईसीएमआर-स्वास्थ्य मंत्रालय के परामर्श में कहा गया इस बीमारी का सबसे बड़ा खतरा, मधुमेह का अनियंत्रित होना, स्ट्रॉयड की वजह से प्रतिरक्षण क्षमता में कमी, लंबे समय तक आईसीयू में रहना, नुकसानदेह व वोरीकोनाजोल पद्धति से इलाज है।
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परामर्श में कहा गया कि इस बीमारी से बचने के लिए कोविड-19 मरीज को छुट्टी देने के बाद भी रक्त में शर्करा की निगरानी की जानी चाहिए, स्ट्रॉयड का न्यायोचित एवं सही समय पर इस्तेमाल किया जाना चाहिए, ऑक्सीजन पद्धति के दौरान नमी के लिए साफ और संक्रमणमुक्त पानी का इस्तेमाल किया जाना चाहिए, एंटीबायोटिक और एंटीफंगल दवा का सही तरीके से इस्तेमाल किया जाना चाहिए।

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