लंदन। इंपीरियल कॉलेज लंदन के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित कोरोना वायरस के एक टीके का इस सप्ताह क्लीनिकल अनुसंधानकर्ताओं ने मनुष्य पर परीक्षण शुरू कर दिया है।
पहली बार टीके का परीक्षण मनुष्य पर किया जा रहा है जिसमें पता लगाया जाएगा कि क्या यह कोविड-19 के खिलाफ प्रभावी प्रतिरक्षा तंत्र प्रदान करता है या नहीं।
इंपीरियल कॉलेज में संक्रामक रोग विभाग के प्रोफेसर रॉबिन शटोक ने कहा कि कोविड-19 महामारी ने हजारों लोगों की जान ले ली है और रोजमर्रा के जीवन पर बहुत असर डाला है। दीर्घकालिक दृष्टि से, एक व्यवहार्य टीका सबसे ज्यादा अरक्षित लोगों को बचाने के लिए महत्त्वपूर्ण होगा, जो प्रतिबंधों में ढील देने और लोगों को सामान्य जीवन की तरफ लौटने में मदद करेगा।
उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से नई तकनीकों का आशय है कि हम अभूतपूर्व गति से एक प्रभावशाली टीके के लिए आगे बढ़ पा रहे हैं। हम एक टीका विकसित करने और कुछ ही महीनों के अंदर उसका मनुष्य पर परीक्षण करने में सफल हो सकते हैं। इस तरह के टीके के साथ पहले कभी ऐसा नहीं हुआ।
उन्होंने कहा कि अगर हमारे प्रयास सफल हुए और टीका महामारी के खिलाफ प्रभावी तरीके से संरक्षण प्रदान करता है तो भविष्य में महामारी के प्रकोप से निपटने में यह क्रांतिकारी साबित हो सकता है।
अनुसंधानकर्ताओं को उम्मीद है कि एक बार सुरक्षित आंकड़े प्राप्त हो जाएं तो अध्ययन को प्रकाशित किया जा सकेगा तथा 2021 की पहली छमाही में एक व्यवहार्य टीका उपलब्ध होगा।
उनका कहना है कि टीके के क्लीनिक-पूर्व कई सुरक्षा परीक्षण हो चुके हैं और पशुओं पर अध्ययन में यह सुरक्षित रहा तथा प्रभावी प्रतिरक्षा प्रणाली के उत्साहजनक संकेत देखने को मिले।
ब्रिटिश सरकार ने सोमवार को एक बयान में कहा कि परीक्षण में शामिल 300 स्वस्थ लोगों को टीके की दो खुराक दी जाएंगी। अगर टीका सुरक्षित पाया जाता है और मनुष्यों में उत्साहजनक परिणाम देता है तो साल के अंत में बड़े स्तर पर तीसरे चरण के परीक्षण की योजना बनाई जाएगी जिसमें करीब 6,000 स्वस्थ प्रतिभागियों को टीके की जांच के लिए शामिल किया जाएगा।
वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि अगर क्लीनिकल परीक्षण सफल हुए तो अंतत: यह टीका ब्रिटेन के साथ ही पूरी दुनिया में कोविड-19 के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करेगा। (भाषा)