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एक्सप्लेनर:कोरोना वैक्सीन के ग्लोबल टेंडर से पूरी होगी आस या सिर्फ बनेगा अफसाना ?

हमें फॉलो करें एक्सप्लेनर:कोरोना वैक्सीन के ग्लोबल टेंडर से पूरी होगी आस या सिर्फ बनेगा अफसाना ?
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विकास सिंह

, शुक्रवार, 14 मई 2021 (13:15 IST)
कोरोना को हराने के सबसे बड़े हथियार वैक्सीन को लेकर राज्यों में हायतौबा मची हुई है। वैक्सीन की कमी से जूझते राज्यों में अब वैक्सीनेशन कार्यक्रम बुरी तरह से प्रभावित हो चुका है। वैक्सीन की एक डोज के लिए वैक्सीनेशन सेंटर के बाहर लोगों की कतारें लग रही है तो ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन और स्लॉट खोजने के लिए लोगों को हर दिन मायूस होना पड़ रहा है।
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देश में वर्तमान में उपलब्ध कोरोना की दो वैक्सीन कोविशील्ड और कोवैक्सीन को बनाने वाली कंपनियां डिमांड के अनुरूप वैक्सीन की सप्लाई नहीं दे पा रही है। ऐसे में लोगों को जल्द से जल्द वैक्सीन उपलब्ध कराने के लिए राज्य अब वैक्सीन आयात करने के लिए ग्लोबल टेंडर निकालने लगे है। उत्तर प्रदेश सरकार ने ग्लोबल टेंडर जारी कर दिया है तो एक दर्जन से अधिक राज्यों ने ग्लोबल टेंडर जारी करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। 
 
वैक्सीन की कमी को पूरा करने के लिए राज्य सरकारें जिस ग्लोबल टेंडर निकालने की होड़ में जुट गई है उसको लेकर एक नहीं कई सवाल उठ खड़े हो रहे है। पहला बड़ा सवाल कि मौजूदा समय में जो वैक्सीन की किल्लत है क्या वह ग्लोबल टेंडर से पूरी हो जाएगी। क्या राज्य ग्लोबल टेंडर के जरिए लोगों को जल्द वैक्सीन उपलब्ध करा पाएंगे। वहीं सबसे बड़ा सवाल है क्या ग्लोबल टेंडर से आने वाली वैक्सीन कितनी सुरक्षित है इसकी गारंटी कौन लेगा।

इन सवालों का उत्तर जानने के लिए पहले समझना होगा कि आखिरी ग्लोबल टेंडर क्या है। दरअसल ग्लोबल टेंडर में कोरोना की वैक्सीन बनाने वाली विदेशी कंपनियां शामिल होगी और वह राज्यों को अपनी वैक्सीन की कीमत बताने के साथ वैक्सीन की उपलब्धता के बारे में जानकारी देगी। राज्य को जिस वैक्सीन निर्माता कंपनी के साथ मुनाफे का सौदा लगेगा उसको वैक्सीन का टेंडर मिलेगा। ग्लोबल टेंडर के लिए राज्य वैश्विक स्तर पर कंपनियों से  निविदा आमंत्रित करते है। 
ग्लोबल टेंडर पर सवालिया निशान-वैक्सीन की कमी को पूरा करने के लिए राज्य सरकारें जो ग्लोबल टेंडर जारी कर रही है उस टेंडर प्रक्रिया पर ही सवालिया निशान उठ रहे है। विदेशी कंपनियों से वैक्सीन आयात करने के लिए ग्लोबल टेंडर निकालने की तैयारी में जुटे एक राज्य के प्रमुख अधिकारी ने बताया कि टेंडर निकालने का मन तो बना लिया गया है लेकिन पहले बाजार में वैक्सीन तो उपलब्ध हो। अब तक भारत ने केवल स्पूतनिक वैक्सीन को ही मान्यता दी है जबकि टेंडर निकालने के लिए पहली शर्त है कि एक से अधिक कंपनियां टेंडर में भागीदारी कर सके। इसके लिए यह जरुरी है कि भारत सरकार और कंपनियों की वैक्सीन को मंजूरी दें।
 
वहीं वैक्सीन की कमी को पूरा करने के लिए जहां एक दर्जन से अधिक राज्य ग्लोबल टेंडर निकालने की तैयारी में है और इनको करोड़ों में वैक्सीन की डोज चाहिए ऐसे में सवाल ये उठता है कि जब वर्तमान में मात्र स्पूतनिक की वैक्सीन ही उपलब्ध है तो वह राज्यों की डिमांड को कैसे पूरा कर पाएगी और राज्यों की कितनी मात्रा में वैक्सीन की डोज मिलेगी। 
 
यूपी के ग्लोबल टेंडर का हाल!-वैक्सीन की कमी को पूरा करने लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने वैक्सीन के चार करोड़ डोज के लिए ग्लोबल टेंडर जारी किया है। यूपी सरकार के टेंडर की प्री-ब्रिड चर्चा में वैक्सीन बनाने वाली फाइजर के प्रतिनिधियों ने साफ कहा कि उन्हें अभी भारत में अनुमति नहीं मिली है वहीं जाइडस की तरफ से बताया गया कि उनका क्लीनिकल ट्रायल ही अभी चल रहा है और अगले कुछ महीनों में मंजूरी मिलने की संभावना है। वहीं कोविशील्ड बनाने वाली कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ने वैक्सीन के बड़े पैमाने पर ऑर्डर पैंडिग होने से टेंडर भरने से ही हाथ खड़े कर दिए है। 
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ग्लोबल टेंडर जारी करने वाले देश का पहले राज्य उत्तरप्रदेश के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी नवनीत सहगल ने साफ कहा है कि ग्लोबल टेंडर में सिर्फ उन्हीं कंपनियों को चयन किया जा सकता है जिनकी वैक्सीन को या भारत में मंजूरी मिल गई हो या अगले कुछ दिनों में मिलने के आसार हो।
 
ऐसे में अब केंद्र सरकार जल्द ही फाइजर,मॉडर्ना,जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन को मंजूरी दे सकती है। भारत में इन कंपनियों के तीसरे फेज के ट्रायल चल रहे है। वहीं वैक्सीन के ग्लोबल टेंडर से आयात की गई अगर किसी वैक्सीन का साइड इफेक्ट हुआ तो इसकी जिम्मेदारी किसकी होगी यह भी सवाल अब भी सवाल ही बना हुआ है।  
 
वैक्सीन पर केंद्र का भरोसा-राज्य सरकारों के वैक्सीन के ग्लोबल टेंडर जारी करने के बीच नीति आयोग के सदस्य वीके पॉल ने एलान किया है कि कोई भी वैक्सीन जिसे FDA या WHO ने अप्रूव किया हो, उसे भारत आने की अनुमति होगी। वहीं उन्होंने कहा कि देश को अगस्त से दिसंबर तक वैक्सीन की 216 करोड़ डोज मिल सकती है।समें कोविशील्ड की 75 करोड़, कोवैक्सीन की 55 करोड़, बायो-ई सब यूनिट वैक्सीन की 30 करोड़ खुराक, जाइडस कैडिला डीएनए के 5 करोड़ डोज, सीरम नोवावैक्स के 20 करोड़, भारत बायोटेक की नेसल वैक्सीन के 10 करोड़,जीनोवा वैक्सीन के 6 करोड़ डोज और स्पूतनिक के 15.6 मिलने की उम्मीद है । 
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ग्लोबल टेंडर पर सियासत-वैक्सीन की कमी से जूझ रहे राज्यों ने केंद्र सरकार पर ग्लोबल टेंडर निकालने का दबाव बना दिया है। दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसौदिया ने कहा कि केंद्र ने राज्यों को अंतरराष्ट्रीय बाजार में खड़ा कर दिया है। वैक्सीन के लिए राज्यों में आपस में होड़ लगी हुई है। अगर राज्य ग्लोबल टेंडर जारी करेंगे तो केंद्र क्या करेगा। वहीं महाराष्ट्र सरकार ने भी केंद्र सरकार से वैक्सीन के ग्लोबल टेंडर जारी करने की मांग की है। 
इससे पहले कोरोना वैक्सीन के तीसरे चरण (18+ का वैक्सीनेशन) का एलान करते समय केंद्र सरकार ने राज्यों को वैक्सीन निर्माता कंपनियों से वैक्सीन खरीदने के अधिकार दे दिए थे। जिसके बाद गैर भाजपा शासित राज्यों ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाए थे कि कंपनियां उनको वैक्सीन नहीं दे रही है।  
 

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