वॉशिंगटन। अमेरिका में हाल ही में हुए एक शोध में पता चला है कि भारत में कोविशिल्ड का टीका लगवा चुके 90% लोगों पर कोरोनावायरस के नए स्वरूप ओमिक्रॉन का खतरा मंडरा रहा है।
ब्रिटेन में हाल ही ओमिक्रॉन पर हुए एक रिसर्च में दावा किया गया हैं कि ज्यादातर कोरोना वैक्सीन इसे रोकने में कारगर नहीं है। हालांकि राहत की बात ये है कि वैक्सीन लेने वाले लोग ओमिक्रॉन से संक्रमित होने के बाद भी ज्यादा गंभीर रूप से बीमार नहीं हो रहे हैं।
रिसर्च में कहा गया है कि सिर्फ ऐसे लोग ओमिक्रॉन के संक्रमण से बच रहे हैं जिन्होंने बूस्टर डोज़ के साथ फाइजर और मॉडर्ना की वैक्सीन ली है। लेकिन ये दोनों वैक्सीन अमेरिका समेत कुछ ही देशों में उपलब्ध है।
ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका वैक्सीन लेने के 6 महीने बाद ओमिक्रॉन के संक्रमण से सुरक्षा नहीं मिलती है। भारत में 90% प्रतिशत वैक्सीन लेने वाले लोगों को कोविशील्ड के टिके लगे हैं।
कोरोना के उपचार के लिए नई दवाएं : इस बीच ब्रिटेन में अनुसंधानकर्ता कोविड-19 और कई अन्य बीमारियों के खिलाफ एमआरएनए टीके तथा दवाएं तेजी से विकसित करने तथा बड़े पैमाने पर उनके उत्पादन के लिए नए तरीके अपना रहे हैं। इस अनुसंधान परियोजना से कोविड-19 के नए स्वरूपों तथा भविष्य की महामारियों का सामना करने के लिए तेजी से नए टीके विकसित करने की ब्रिटेन तथा दुनिया की क्षमता बढ़ेगी।
शेफील्ड विश्वविद्यालय ने रविवार को एक बयान में कहा कि नई उत्पादन तकनीक से दवा निर्माता कैंसर, चयापचयी विकार, हृदय संबंधी बीमारियों और स्वप्रतिरक्षित रोगों जैसी अन्य बड़ी बीमारियों के इलाज तथा नए टीके विकसित करने के लिए आवश्यक आधुनिक प्रक्रिया तक अधिक तेजी से पहुंच सकेंगे।
उल्लेखनीय है कि दुनिया भर में ओमिक्रॉन के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। ब्रिटेन में एक दिन में 10 हजार से ज्यादा नए मामले आने से हड़कंप मच गया। नीदरलैंड में नए वैरिएंट के बढ़ते मामलों को देखते हुए सख्त लॉकडाउन लगाया गया है।