छोटा मजदूर हो या बड़ा उद्योगपति सभी Lockdown के चलते घरों में बंद हैं। न कोई किसी से मिलने जाता है, न ही मिलने के लिए किसी को बुलाता है। उद्योगपति डॉ. बजरंगलाल माहेश्वरी भी अपने ज्यादातर काम घर से निपटा रहे हैं और लॉकडाउन का पूरा पालन कर रहे हैं। उनका मानना है कि तेजी-मंदी तो आती रहती है, लेकिन अभी सबसे बड़ा काम कोरोना वायरस (Corona Virus) से मुक्ति पाना है।
मुंबई निवासी उद्योगपति एवं एक्वाप्रुफ कंन्सट्रक्शन केमिकल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के एमडी तथा कंस्ट्रक्शन केमिकल मैन्युफेक्चरिंग एसोसिएशन इंडिया के प्रेसिडेंट डॉ. बजरंगलाल माहेश्वरी ने वेबदुनिया से बातचीत में कहा कि प्रधानमंत्री मोदी का 'कोई रोड पर न निकले' आग्रह लाखों भारतवासियों की जान बचाएंगा।
उन्होंने कहा कि जहां हम देख रहे हैं कि चीन, अमेरिका, इटली, स्पेन सहित अनेक देशों में हजारों लोगों ने इस वायरस के चलते अपनी जान गंवाई है एवं लाखों लोग संक्रमित भी हुए हैं, परंतु भारत में ऐसा नहीं होगा। कोरोना वायरस हारेगा एवं भारत जीतेगा।
डॉ. माहेश्वरी ने वेबदुनिया से बातचीत में कहा कि मैं लॉकडाउन के निर्णय को नमन करता हूं एवं भारत की जनता से घरों में ही रहने का आह्वान करता हूं। उन्होंने कहा कि यह मुश्किल समय है, संकट का समय है, लेकिन घरों से बाहर नहीं निकलना ही कोरोना वायरस की दवा है। जो गलतियां अमेरिका, चीन, इटली, स्पेन सहित अनेक देशों की जनता ने की हैं, वह हमें कतई नहीं करना चाहिए।
सभी कर्मचारी घर पर : 24 मार्च को संपूर्ण लॉकडाउन के बाद से डॉ. माहेश्वरी अपने घर में ही हैं। अपने उद्योग एवं व्यवसाय से जुड़े अधिकतर काम भी घर से ही कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि संपूर्ण लॉकडाउन के बाद से उनकी कंपनी के सभी कर्मचारी अपने घरों में हैं एवं उन्हें घर पर ऑफिस का कोई भी काम नहीं दिया गया है।
उन्होंने बताया कि इस लॉकडाउन से व्यावसायिक गतिविधियां रुक गई हैं। कंपनी में उत्पादन का कार्य रुक गया है। उत्पाद मार्केट में नहीं बिक रहा है। इसके साथ ही पूर्व की तरह ही व्यापार चलने में एवं नियमित होने में करीब 6 महीने लगेंगे। निश्चित ही व्यापार को नुकसान भी होगा, लेकिन लोगों के जीवन के सामने यह कुछ भी नहीं है। नुकसान की भरपाई देर-सबेर हो जाएगी, लेकिन जीवन की कभी नहीं हो सकती।
डॉ. माहेश्वरी बताते हैं कि वे समय-समय पर अपने कर्मचारियों से उनकी कुशलक्षेम भी पूछते रहते हैं एवं उन्हें मॉरल सपोर्ट भी देते रहते हैं। उन्होंने कहा कि यदि जीवन है तो हम आने वाले समय में सब कुछ पहले जैसा ही प्राप्त कर लेंगे, लेकिन सबसे पहले संकट की घड़ी में एकजुट होकर इस कोरोना वायरस को हराना है।
तकलीफ तो है मगर जीवन से बड़ी नहीं : उन्होंने कहा कि स्माल स्केल कंपनियों को ज्यादा तकलीफ है। इस प्रकार की कंपनी सरकार एवं स्वयं के सपोर्ट से ही चलती हैं। इस स्थिति में सर्वाइव करना मुश्किल होता है, लेकिन हम पूर्णतया बंद को समर्थन करते हैं। स्माल स्केल कंपनियों को तकलीफ वर्क फ्रॉम में रहती है। क्योंकि इसमें अधिकांश सिस्टम ऑफिस में ही रहता है। घर पर किसी भी प्रकार का डॉक्यूमेंट या फाइल नहीं ले सकते हैं। फिर बंद की घोषणा भी तो रात को साढ़े 8 बजे हुई थी। तब तक सभी कर्मचारी अपने घर जा चुके थे।
2021 में फिर आएगी तेजी : लॉकडाउन के चलते कंपनी का किराया, बैंक ब्याज सहित सभी रेगुलर खर्चे तो ज्यों के त्यों हैं। इन खर्चों को मैं कम नहीं कर सकता हूं। हालांकि यह नुकसान लॉकडाउन तक ही है बाद में स्थिति सामान्य हो जाएगी। मैं कंपनी को इस नुकसान से उबारने के लिए विजन बना रहा हूं। आगे बहुत मेहनत करनी पड़ेगी। आने वाले समय में विश्वव्यापी मंदी का प्रभाव भारत में भी पड़ेगा। जिस प्रकार 1930 में जो मंदी आई थी, वैसी मंदी आने का अनुमान है। फिर भी 2021 बहुत अच्छा जाएगा। 2021 में तेजी आएगी एवं यह तेजी भी साधारण नहीं होगी।
इस तरह रखते हैं खुद को व्यस्त : माहेश्वरी कहते हैं कि मैं स्वयं जरूर घर से इस नुकसान को पूरा करने के लिए आगे की प्लानिंग घर से बनाता रहता हूं एवं इसे आगे लागू भी करूंगा। बंद के इस माहौल में मैं सुबह 6 बजे से लेकर रात 11 बजे तक अपने आप को विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से व्यस्त बनाए रखते है। नवरात्रि में मैंने सुबह 4 घंटे स्वयं को पूजा में व्यस्त रखा। दूसरा इन दिनों अपनी पुस्तक 'सेलिंग स्किल्स' के हिन्दी रूपांतरण तथा स्वयं पर लिखी जा रही बायोग्राफी के कार्य को लेकर भी व्यस्त रहता हूं। पत्नी एवं बच्चों के साथ ताश एवं अन्य इंडोर गेम्स खेलता हूं।
इसके अतिरिक्त सायंकाल 1 घंटा अपनी कॉलोनी के निवासियों के साथ 5 बार सामूहिक हनुमान चासीला में अपने घर की बालकॉनी से ही भाग लेता हूं। इसमें सोसायटी में रह रहे करीब 64 फ्लेट में से 50 फ्लेट के निवासी अपनी बालक में से ही हनुमान चालीसा का पाठन करते हैं।
मुंबई की कॉलोनी कॉलोनी में हम जहां पर रहते हैं वहां यदि कोई भी दूध, सब्जी, अनाज इत्यादि लेने बाहर जाता है तो आने के बाद ऐहतियात बरतते हैं। कपड़ों को अलग से धोना, सैनेटाइज करना, लिफ्ट को सैनेटाइज करने जैसे कामों का भी ध्यान रखते हैं। फिलहाल हम एक दूसरे के घर नहीं जाते हैं। (सभी फोटो : डॉ. रमेश रावत)