रक्त के थक्के के डर से वैक्सीन न लगवाने का जोखिम न लें, हो सकती है परेशानी

Webdunia
गुरुवार, 10 जून 2021 (16:34 IST)
मेलबोर्न। रुधिर रोग विशेषज्ञ के रूप में हम ऐसे कई रोगियों की देखभाल करते हैं जिन्हें पहले रक्त के थक्के बन चुके हों या जो रक्त को पतला करने वाली दवाएं लेते हैं। वे अक्सर पूछते हैं कि क्या मुझे एस्ट्राजेनेका का टीका लगवाना चाहिए? उत्तर आमतौर पर इसका जवाब एक निश्चित हां है। एस्ट्राजेनेका वैक्सीन के बाद हमने जो रक्त के थक्के देखे हैं, वे उन थक्कों से एकदम अलग हैं, जो नसों की घनास्त्रता या फुफ्फुसीय अन्त:शल्यता या दिल के दौरे और स्ट्रोक के कारण बनते हैं। इस प्रकार की स्थितियों के इतिहास वाले लोग एस्ट्राजेनेका वैक्सीन से किसी भी तरह के जोखिम में नहीं दिखते हैं। वास्तव में इस समूह के लोगों को कोविड-19 से अधिक जोखिम हो सकता है इसलिए टीकाकरण में देरी नहीं करनी चाहिए।

ALSO READ: Vaccine के डबल डोज के बाद भी संक्रमित कर देता है Corona का डेल्टा वेरियेंट, लेकिन...
 
पहली बात रक्त के थक्के कैसे बनते हैं? : रक्त हमारे शरीर की वाहिकाओं से तरल के रूप में बहता है। ऑक्सीजन, पोषक तत्व, प्रोटीन और प्रतिरक्षा कोशिकाओं को हर अंग तक ले जाता है। लेकिन अगर हम घायल हो जाते हैं या सर्जरी करवाते हैं तो हमारे शरीर को घाव से बहने वाले खून को रोकने की जरूरत होती है। हमारे रक्त में ऐसे घटक होते हैं, जो इसे कुछ ही सेकंड में एक तरल पदार्थ से एक अर्द्ध-ठोस थक्के में बदलने का काम करते हैं।
 
क्षति का पहला संकेत मिलने पर रक्त कोशिकाओं में से सबसे छोटी प्लेटलेट्स क्षतिग्रस्त रक्त वाहिका की दीवार से चिपक जाती हैं और क्षतिग्रस्त दीवार के साथ मिलकर वहां जमा हुए थक्का जमाने वाले प्रोटीन को लेकर घाव से बहने वाले खून को रोक देती हैं। 
 
नसों में थक्के :  कभी-कभी रक्त में थक्का जमने की प्राकृतिक प्रक्रिया और थक्कारोधी प्रक्रिया असंतुलित हो जाती हैं जिससे व्यक्ति की नसों में रक्त के थक्के बनने का खतरा बढ़ जाता है। यह निम्नलिखित लोगों में हो सकता है: कैंसर या संक्रमण के रोगी गर्भवती महिलाएं एस्ट्रोजनयुक्त गर्भनिरोधक गोली लेने वाले, जो सर्जरी या बड़े आघात के बाद चल फिर नहीं पाते हैं जिन्हें विरासत में इस तरह की परिस्थितियां मिली हैं। इन सभी मामलों में जांघ और कमर (नसों की घनास्त्रता) या फेफड़े (फुफ्फुसीय अन्त:शल्यता) की गहरी नसों में एक असामान्य रक्त का थक्का विकसित हो सकता है। इसके अलावा अन्य स्थानों पर रक्त के थक्के बहुत विरले ही बनते हैं, उदाहरण के लिए पेट या मस्तिष्क की नसें।

ALSO READ: Corona Vaccine के दाम तय, प्राइवेट अस्पतालों में इतनी कीमत में लगेगा टीका
 
धमनी के थक्के :  हृदय, मस्तिष्क और निचले अंगों को रक्त की आपूर्ति करने वाली धमनियां आमतौर पर धूम्रपान, मधुमेह और उच्च रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल सहित जोखिम वाले कारकों के कारण संकुचित हो सकती हैं। इन जगहों पर बनने वाला थक्का रक्त प्रवाह को बाधित कर सकता है जिससे दिल का दौरा या हृदयाघात हो सकता है।
 
टीटीएस क्या है? :  एस्ट्राजेनेका वैक्सीन थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम या टीटीएस के साथ थ्रोम्बोसिस नामक एक दुर्लभ स्थिति से जुड़ा है। जॉनसन एंड जॉनसन कोविड वैक्सीन के बाद भी इस स्थिति के मामले सामने आए हैं, हालांकि यह ऑस्ट्रेलिया में उपलब्ध नहीं है। कुछ महीने पहले की तुलना में अब हम इस स्थिति के बारे में बहुत कुछ जानते हैं। टीटीएस एक असामान्य प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया के कारण होता है जिसके परिणामस्वरूप प्लेटलेट्स (रक्त कोशिकाएं, जो रक्तस्राव को रोकती हैं) पर निर्देशित एक एंटीबॉडी का विकास होता है। इससे प्लेटलेट्स अतिसक्रिय हो जाते हैं, जो शरीर में रक्त के थक्के बनने का कारण बनता है। यह थक्के उन जगहों पर भी बन सकते हैं, जहां हम आमतौर पर थक्के नहीं देखते हैं, जैसे मस्तिष्क या पेट।

ALSO READ: Covid-19 Vaccines Mixing: वैक्सीन मिक्स करने से एंटीबॉडी पर कैसा पड़ता है असर
 
इस प्रक्रिया में प्लेटलेट्स की भी खपत होती है जिसके परिणामस्वरूप प्लेटलेट्स की संख्या कम हो जाती है। थ्रोम्बोसिस थक्के को संदर्भित करता है और थ्रोम्बोसाइटोपेनिया कम प्लेटलेट काउंट को संदर्भित करता है।
ऑस्ट्रेलियन टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप ऑन इम्युनाइजेशन (एटीएजीआई) ने हाल ही में ऑस्ट्रेलिया में एस्ट्राजेनेका वैक्सीन लगवाने वाले 50 और उससे अधिक उम्र के लोगों में इसके जोखिम का अनुमान लगाया तो प्रति 1,00,000 खुराकों में टीटीएस का जोखिम 1.6 था। हालांकि यह आंकड़ा बदल सकता है, क्योंकि अब और अधिक लोगों को वैक्सीन दी जा चुकी है। सौभाग्य से टीटीएस के निदान और उपचार में तेजी से प्रगति हुई है। डॉक्टर अब इसके लक्षणों के बारे में जानते हैं। ऑस्ट्रेलिया में टीटीएस के ज्यादातर मरीज ठीक हो चुके हैं या ठीक हो रहे हैं।
 
टीका लगवाने में देरी न करें: इस बात का कोई सबूत नहीं है कि जिन लोगों ने पहले रक्त के थक्के बन चुके हैं या जिन्हें विरासत में यह स्थिति मिली है या जो खून को पतला करने की या उसी तरह की दवाएं लेते हैं, उन्हें टीटीएस होने का जोखिम अधिक है। यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि मधुमेह और उच्च रक्तचाप सहित दिल के दौरे और स्ट्रोक के जोखिम वाले कारकों से संक्रमित होने पर गंभीर कोविड-19 विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा कोविड ही रक्त को अधिक चिपचिपा बनाता है और रक्त के थक्कों के जोखिम को काफी बढ़ा देता है। इसलिए हम अपने रोगियों को सलाह देते हैं कि भले ही आपको डीप वेन थ्रॉम्बोसिस, पल्मोनरी एम्बोलिज्म, दिल का दौरा या पहले स्ट्रोक हुआ हो, फिर भी आपको टीकाकरण से टीटीएस का खतरा नहीं है। जैसे ही आप पात्र हों, आपको जल्द से जल्द टीका लगवाना चाहिए।(भाषा)

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

India Pakistan Attack News : भारत के हमलों से डरकर बंकर में छिपे पाकिस्तान के PM शहबाज शरीफ

क्या है भारत का S-400 डिफेंस सिस्टम, जिसने पाकिस्तान के मिसाइल हमलों को किया नाकाम

या खुदा आज बचा लो, फूट-फूटकर रोने लगा सांसद, Pakistan में Operation Sindoor का खौफ

India Attacks On Pakistan : राजस्थान में जिंदा पकड़ा गया पाकिस्तानी JF-17 का पायलट

पाकिस्तान ने जम्मू को बनाया निशाना, मिसाइलों और ड्रोनों से किया हमला, भारतीय सेना ने दिया मुंहतोड़ जवाब

सभी देखें

नवीनतम

India-Pakistan War : भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच व्हाइट हाउस का बयान, दोनों देशों से क्या चाहते हैं डोनाल्ड ट्रंप

पाकिस्तान के रक्षा मंत्री बोले- युद्ध के अलावा विकल्प नहीं, लोकेशन जानने के लिए हुआ ड्रोन हमला

26 से ज्यादा शहरों पर पाकिस्तान के ड्रोन हमले, फिरोजपुर में परिवार हुआ घायल, भारत का मुंहतोड़ जवाब, 15 मई तक 32 एयरपोर्ट बंद

India-Pakistan War : पाकिस्तान के साथ तनाव के बीच WFH शुरू, टेक महिंद्रा, इन्फोसिस ने दी सलाह

India-Pakistan War : पंजाब के फिरोजपुर में एक पाकिस्तानी ड्रोन हमले में परिवार घायल

अगला लेख