नई दिल्ली। कोरोना काल में देशभर में जीवन रक्षक इंजेक्शन रेमडेसिविर की कमी हो गई है। इस वजह से एक और इसकी जमकर काला बाजारी हो रही है तो दूसरी तरफ नकली इंजेक्शन बनाकर इसे बेचने वाले कोरोना मरीजों की जान से खिलवाड़ भी कर रहे हैं। दिल्ली पुलिस ने बड़ी संख्या में नकली रेमडेसिवीर इंजेक्शन बनाने के आरोप में गुरुवार को उत्तराखंड के कोटद्वार से 5 लोगों को गिरफ्तार किया।
पुलिस ने बताया कि आरोपी के पास से रेमडेसिवीर के 196 नकली इंजेक्शन जब्त किए हैं और आरोपी पहले ही दो हजार नकली इंजेक्शन बेच चुके हैं।
दिल्ली पुलिस के आयुक्त एसएन श्रीवास्तव ने ट्विटर पर इस बाबत सूचना साझा की। उन्होंने बताया कि आरोपी इस नकली इंजेक्शन को 25000 रुपए में बेचते थे।
कालाबाजारी के आरोप में डॉक्टर गिरफ्तार : कोरोना वायरस से गंभीर रूप से बीमार मरीजों के इलाज में काम आ रही एंटी वायरल दवा रेमडेसिवीर की कालाबाजारी के आरोप में बृहस्पतिवार को दिल्ली से एक डॉक्टर और प्रयोगशाला तकनीशियन को गिरफ्तार किया गया।
पुलिस के अधिकारी ने बताया कि सूचना के आधार पर पुलिस के नारकॉटिक्स प्रकोष्ठ ने दो संदिग्धों 32 वर्षीय डॉक्टर विष्णु अग्रवाल और प्रयोगशाला तकनीशियन निखिल गर्ग (22) को गिरफ्तार कर लिया और उनके कब्जे से आठ इंजेक्शन बरामद किए गए हैं। पुलिस ने बताया कि वे 45,000 रुपये में इंजेक्शन बेच रहे थे।
रेमडेसिवीर को आवश्यक वस्तु अधिनियम के अंतर्गत अधिसूचित करने की मांग : छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन को पत्र लिखकर रेमडेसिवीर इंजेक्शन समेत अन्य औषधियों को आवश्यक वस्तु अधिनियम के अंतर्गत अधिसूचित करने का अनुरोध किया है। आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 अंतर्गत औषधियों को आवश्यक वस्तुओं में शामिल किया गया है। औषधि का अर्थ औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 के तहत अधिसूचित औषधियों से है।