नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को कहा कि कोई वाहन, भले ही उसमें एक ही व्यक्ति हो, वह कोविड-19 महामारी के संदर्भ में सार्वजनिक स्थान है क्योंकि गाड़ी में बैठे व्यक्ति के बाहरी दुनिया के संपर्क में आने की अनेक संभावनाएं हैं, इसलिए कार के अंदर भी मास्क पहनना अनिवार्य है।
न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह ने एक निजी कार में अकेले यात्रा कर रहे व्यक्ति को फेस मास्क नहीं पहनने पर 500 रुपए का जुर्माना लगाए जाने को चुनौती देने वाली वकीलों की चार याचिकाओं को खारिज करते हुए यह व्यवस्था दी।
याचिकाकर्ता-वकीलों ने दलील दी थी कि केवल सार्वजनिक स्थानों पर मास्क पहनने की अनिवार्यता है और निजी वाहनों को सार्वजनिक स्थल नहीं कहा जा सकता। अदालत ने कहा कि सार्वजनिक स्थान की व्याख्या कोविड-19 महामारी के संदर्भ में करनी होगी।
अदालत ने कहा, अनेक संभावनाएं हैं जिसमें कार में अकेले बैठे व्यक्ति का संपर्क बाहरी दुनिया से हो सकता है। इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि व्यक्ति कार में अकेले जा रहा है, महज इसलिए कार सार्वजनिक स्थान नहीं होगी।
न्यायमूर्ति सिंह ने अपने फैसले में कहा, इसलिए यदि किसी वाहन में केवल एक व्यक्ति है तो भी वह सार्वजनिक स्थल होगा और इसलिए मास्क पहनना अनिवार्य होगा। इसलिए किसी वाहन में एक व्यक्ति हो या अनेक लोग बैठे हों, उसमें कोविड-19 महामारी के संदर्भ में मास्क या फेस कवर पहनना अनिवार्य होगा।(भाषा)