मजदूर देशभर में पलायन कर रहे हैं। जिसे जो मिल रहा है वो उससे सफर कर रहा है। ट्रक, ट्रेन, बेलगाड़ी और पैदल। हजारों किलोमीटर का सफर। पलायन के दृश्य चारों तरफ नजर आ रहे हैं। अपने घर पहुंचना है बस। किसी भी तरह।
इस पलायन में ऐसी ऐसी कहानियां सामने आ रहीं हैं कि दिल भर आता है।
एक कहानी ऐसी ही है। एक मजबूर मजदूर की। जिसे अपने घर पहुंचना है। अपने मासूम और विकलांग बच्चे को घर पहुंचाना है। इसलिए उसे मजबूरी में चोरी की घटना को अंजाम देना पड़ा।
उसकी कहानी शुरू होती है एक खत से। जी, हां मजूदर के हाथों से लिखे एक खत से शुरू होती है उसकी मजबूरी की दास्तां।
ये खत सोशल मीडिया में जमकर वायरल हो रहा है। जिसे पढ़कर हर किसी की आंखें नम हो जाती हैं।
आइए पहले देखते हैं क्या लिखा है मजूदर ने अपने खत में।
नमस्ते जी,
मैं आपकी साइकिल लेकर जा रहा हूं। हो सके तो मुझे माफ कर देना जी। क्योंकि मेरे पास कोई साधन नहीं है। मेरा एक बच्चा है। उसके लिए मुझे ऐसा करना पड़ा। क्योंकि वो विकलांग है। चल नहीं सकता। हमें बरेली तक जाना है।
आपका कसूरवार हूं, एक यात्री मजदूर और मजबूर।
मोहम्मद इकबाल खान, बरेली
यह खबर राजस्थान के भरतपुर से आई है। यहां पर उत्तर प्रदेश का एक मजदूर घर जाने के लिए कथित तौर पर साइकिल चुरा कर ले गया। उसने साइकिल चोरी करने से पहले साइकिल मालिक के लिए एक चिट्ठी भी छोड़ी। यह चिट्ठी सोशल मीडिया पर देखी जा रही है।
दरअसल चोरी की गई साइकिल के मालिक का नाम साहिब सिंह है। साइकिल चोरी की घटना सहनावली गांव में करीब चार दिन पहले यानी 13 मई की रात की है। यह गांव भरतपुर-आगरा हाइवे पर पड़ता है और बॉर्डर के पास है।
मीडिया में आई रिपोर्ट के मुताबिक साइकिल मालिक के घरवालों ने बताया कि जब वे सुबह उठे तो घर के बाहर साइकिल नहीं मिली थी। आसपास तलाश की लेकिन कोई पता नहीं चला। ऐसे में साइकिल चोरी होने की आशंका हुई। इसी दौरान झाडू लगाते समय एक कागज मिला। यह खत जैसा लगा। पढ़ा तो पता चला कि किसी मजदूर ने घर जाने के लिए साइकिल चुरा ली है और साइकिल मालिक के नाम यह खत लिखकर छोड़ दिया।
साइकिल मालिक साहिब सिंह के बड़े भाई प्रभु दयाल ने बताया कि रात को चार बजे के करीब साइकिल चोरी हुई। घर के लोग अंदर थे और साइकिल बाहर खड़ी थी। उन्होंने कहा कि साइकिल चोरी की शिकायत पुलिस में दर्ज कराने के लिए भी सोचा, लेकिन चिट्ठी पढ़ने के बाद शिकायत नहीं कराई। वैसे साइकिल भी काफी पुरानी हो गई थी ऐसे में किसी मजदूर मजबूर के काम आएगी तो अच्छा ही होगा।