नई दिल्ली। कोरोना के खिलाफ जंग में उम्मीद की नई किरण जागी है जिसके अंतर्गत फाइजर-बायोएनटेक की ओर से विकसित कोविड-19 टीका बच्चों की 'परीक्षा' में पास हो गया है। 12 से 16 साल के जिन 600 बच्चों को इसराइल में यह टीका लगाया गया, उनमें से किसी में भी गंभीर साइड इफेक्ट नहीं उभरे हैं। इससे यह साबित होता है कि कोविड टीकाकरण बच्चों के लिए भी सुरक्षित हो सकता है।
जो बच्चे कोरोना संक्रमण के प्रति अधिक संवेदनशील बनाने वाली बीमारियों से जूझ रहे हैं, उनका टीकाकरण किया जाएगा। जिन 600 बच्चों को फाइजर के कोविड-19 टीके की खुराक दी गई है, उनमें किसी भी बच्चे में कोई गंभीर दुष्प्रभाव नहीं नजर आया। मामूली साइड इफेक्ट के मामले भी बेहद कम सामने आए। ये निष्कर्ष बेहद प्रोत्साहक हैं।
फाइजर 12 से 15 साल के बच्चों पर टीके की आजमाइश में जुटी है। यह जल्द ही 5 से 11 वर्ष के बच्चों पर भी परीक्षण शुरू कर सकती है। दूसरी ओर ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने भी 6 साल से ऊपर के बच्चों पर एस्ट्राजेनेका की बनाई वैक्सीन को आजमाने की घोषणा की है। हालांकि इन अध्ययनों के नतीजे आने में कई महीनों का समय लग सकता है।
इसराइल में अगले कुछ हफ्तों में 60 फीसदी से अधिक लोगों का टीकाकरण पूरा हो जाएगा। इतनी आबादी के कोरोना के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता हासिल कर लेने पर देश में 'हर्ड इम्युनिटी' की शुरुआत हो सकती है। इससे वायरस खुद बेअसर होने लगेगा। इसराइल की आबादी 90 लाख है। लगभग 25 फीसदी लोगों की उम्र 16 साल से कम है। फाइजर का टीका लगवाने के लिए लाभार्थियों का कम से कम 16 वर्ष का होना जरूरी है, ऐसे में देश के टीका अधिकारी इसे 'हर्ड इम्युनिटी' हासिल करने की दिशा में बड़ी चुनौती मान रहे हैं। उन्होंने बच्चों पर वैक्सीन आजमाने की कवायद तेज कर दी है ताकि वायरस पर जीत दर्ज करने में मदद मिल सके। अप्रैल-मई तक देश में बच्चों के टीकाकरण को मंजूरी मिल सकती है।
भारत में भी बच्चों पर कोविड-19 टीके का असर आंकने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। भारत बायोटेक ने भी 5 से 18 साल के बच्चों पर केंद्र सरकार से 'कोवैक्सीन' के परीक्षण की इजाजत मांगी है। उसने वयस्कों पर तीसरे दौर के क्लिनिकल परीक्षण में टीके के 81 फीसदी प्रभावी होने का दावा किया है।