नई दिल्ली। विशेषज्ञों का कहना है कि वायु प्रदूषण से कोरोनावायरस के फैलने का खतरा बढ़ सकता है जिससे लोग इस बीमारी की चपेट में आ सकते हैं और कोविड-19 की स्थिति गंभीर हो सकती है।
विशेषज्ञों ने कहा कि जो लोग पूर्व में इस वायरस से संक्रमित हो चुके हैं, उन्हें भी नई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
उनका कहना है कि सर्दियों का मौसम आने वाला है और कोरोनावायरस से निपटने के लिए लगाए गए लॉकडाउन की पाबंदियों को अब कम किया जा रहा है। ऐसे में कोविड-19 की स्थिति और गंभीर हो सकती है। राष्ट्रीय राजधानी की वायु गुणवत्ता रविवार की सुबह ‘खराब’ श्रेणी में थी।
डॉक्टरों के अनुसार प्रदूषण का स्तर बढ़ने से वायरल इन्फ्लूएंजा जैसी सांस की बीमारियां बढ़ जाती हैं और खराब वायु गुणवत्ता के कारण फेफड़ों में सूजन आ जाती है और इससे वायरस से संक्रमित होने की आशंका बढ़ जाती है।
एम्स में मेडिसिन विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ नीरज निश्चल ने कहा कि यह परीक्षण केन्द्रों के लिए ऐसा समय होगा जब उन्हें एक जैसे लक्षणों के साथ कोरोनावायरस से संक्रमित लोगों और गैर कोविड रोगियों की आवश्यकताओं का ध्यान रखना होगा।
डॉक्टरों का कहना है कि इस साल कोविड-19 का प्रकोप है। सामान्य सर्दी-जुकाम की तरह प्रदूषण का स्तर बढ़ने से इस वायरस का संक्रमण बढ़ने की आशंका है। हमें मामलों में और वृद्धि देखने को मिल सकती है।
सफदरजंग अस्पताल में पल्मोनरी, क्रिटिकल केयर एंड स्लीप मेडिसिन विभाग में प्रोफेसर, डा. नीरज गुप्ता के अनुसार, मृत्यु दर को जनसंख्या घनत्व, लोगों की नजदीकी और भारी औद्योगिक या शहरीकृत क्षेत्रों से जोड़ा गया है, जिनका प्रदूषण स्तर अधिक है।
उन्होंने कहा कि ये कारक त्योहारों और सर्दी के मौसम के दौरान और अधिक प्रभावशाली है, विशेषकर उत्तर भारत में जहां पराली जलाया जाना आम है और इससे वायु गुणवत्ता बुरी तरह से प्रभावित होती है।
अपोलो अस्पताल में आंतरिक चिकित्सा के वरिष्ठ सलाहकार डा. सुरंजीत चटर्जी ने कहा कि हम वास्तव में नहीं जानते कि यह वायरस कैसे व्यवहार करने वाला है। लेकिन, प्रदूषण स्तर बढ़ने और सर्दियां आने से, हमें खुद को सबसे खराब स्थिति का सामना करने के लिए तैयार करने की आवश्यकता है। यह एक खतरनाक संयोजन होगा। (भाषा)