देश के कुछ हिस्सों में कोरोना वायरस की तीसरी लहर ने दस्तक दे दी है, तो कुछ राज्य दहशत में हैं। मुंबई देश का सबसे बडा राज्य है, ऐसे में यहां तीसरी लहर का कितना खतरा हो सकता है।
आइए जानते हैं क्या कहती है इस बारे में हाल ही में हुई एक स्टडी।
वैसे तो कोरोना की तीसरी लहर में देश का कोई भी राज्य या शहर आ सकता है, लेकिन मुंबई को लेकर हुई एक स्टडी या मॉडल सामने आया है, इस मॉडल को टीआईएफआर के स्कूल ऑफ टेक्नोलॉजी एंड कंप्यूटर साइंस के डीन संदीप जुनेजा और दक्ष मित्तल ने तैयार किया है।
इसमें अनुमान लगाया गया है कि एक जून तक मुंबई की लगभग 80 प्रतिशत आबादी पहले से ही कोविड -19 के संपर्क में आ चुकी है, जिसमें 90 प्रतिशत लोग झुग्गी-झोपड़ियों में और 70 प्रतिशत लोग गैर-झुग्गी बस्तियों में रहने वाले लोग हैं। यानि मुंबई के 80 प्रतिशत लोगों को संक्रमण हो चुका है। इसलिए यहां हर्ड इम्युनिटी बन चुकी है।
जुनेजा ने बताया कि अब ऐसे में यहां कोरोना का खतरा कम देखा जा सकता है, हालांकि हमें सिर्फ ऐसे सिस्टम को तैयार करने की जरुरत है जो पुन: संक्रमण और नए वेरिएंट को पहचान सके, जो मौजूदा इम्युनिटी या फिर वैक्सीन से मिली इम्युनिटी को तोड़ सकते हैं। क्योंकि जहां हर्ड इम्युनिटी बन जाती है वहां सिर्फ वायरस के नए वेरिएंट से ही खतरा है।
मॉडल में कहा गया है कि अगर जून, जुलाई और अगस्त में टीकाकरण व्यापक रूप से किया जाता है और टीका 75 से 95 प्रतिशत प्रभावी है तो कोविड की लहर सितंबर तक भी ना के बराबर ही रहेगी।
इसी बीच टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (टीआईएफआर) ने अब तक के कोरोना वायरस से संक्रमित हुए लोगों के डेटा को समझकर एक सिमुलेशन मॉडल बनाया है, जिसमें अनुमान लगाया है कि मुंबई में कोरोना वायरस की तीसरी लहर खतरनाक होने की संभावना बहुत ही कम है, हालांकि यह तभी संभव है जब तक कि वायरस किसी दूसरे वेरिएंट के साथ ना जाए।
टीआईएफआर ने इस मॉडल ने संभावित सिनारियो के आधार पर तैयार किया है। जून से शहर को 60 प्रतिशत तक खोला गया है और नया वेरिएंट डेल्टा वेरिएंट की तुलना में 50 प्रतिशत अधिक संक्रामक है। ऐसे में तीसरी लहर अभी भी दूसरी लहर की तुलना में बड़ी नहीं होगी। मॉडल यह भी बताता है कि कोविड की लहर उन क्षेत्रों में बड़ी होगी जो पिछली लहरों में वायरस के संपर्क में कम थे।