बड़ा खुलासा, कांच और प्लास्टिक पर ज्यादा समय जिंदा रहता है Coronavirus

Webdunia
सोमवार, 15 फ़रवरी 2021 (16:55 IST)
नई दिल्ली। भारतीय प्रोद्यौगिकी संस्थान (आईआईटी) मुंबई के अनुसंधानकर्ताओं ने अपने अध्यययन के आधार पर कहा है कि कांच और प्लास्टिक वाली सतहों की तुलना में कागज और कपड़े पर कोरोनावायरस (Coronavirus) कम दिनों तक जीवित रह सकता है।

एसएआरएस-सीओवी-2 वायरस से होने वाला कोविड-19 श्वसन बूंदों से फैलता है। वायरस वाली ये बूंदें किसी सतह पर गिरने के बाद संक्रमण के प्रसार के स्रोत का काम करती हैं। फिजिक्स ऑफ फ्लूड्स' नामक पत्रिका में प्रकाशित इस अध्ययन में अनुसंधानकर्ताओं ने प्लास्टिक एवं कांच तथा कागज एवं कपड़ा जैसी सतहों पर इन बूंदों के सूखने का विश्लेषण किया।

इसमें पाया गया कि ये बूंदे प्लास्टिक एवं कांच की तुलना में कागज एवं कपड़े पर अधिक जल्दी सूखती हैं।अध्ययन के अनुसार वायरस कांच पर चार दिनों तक और प्लास्टिक एवं स्टेनलेस स्टील पर सात दिनों तक जीवित रह सकता है। अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि हालांकि वायरस कागज पर महज तीन घंटे और कपड़े पर दो दिनों तक ही जिंदा रहता है।

इस अध्ययन के लेखक आईआईटी बंबई के संघमित्रो चटर्जी ने कहा, अपने अध्ययन के आधार पर हम सिफारिश करते हैं कि अस्पतालों एवं कार्यालयों में कांच, स्टेनलेस स्टील या लैमिनेटेड लकड़ी से बने फर्नीचर को कपड़े आदि से ढंक दिया जाए ताकि स्पर्श में आने पर संक्रमण का जोखिम कम हो।(भाषा)

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

भारतीय छात्रों को जस्टिन ट्रूडो ने दिया बड़ा झटका, कनाडा ने फास्ट-ट्रैक वीजा किया समाप्त

हिमाचल में तेज हुई समोसा पॉलिटिक्स, BJP MLA ने CM को भेजे 11 समोसे

यूपी CM के पहनावे को लेकर अखिलेश यादव का तंज, सिर्फ कपड़ों से कोई योगी नहीं बनता

जमानत याचिका मामले में SC ने दिखाई सख्‍ती, कहा- एक दिन की देरी मूल अधिकारों का उल्लंघन

खरगे ने BJP पर लगाया भड़काऊ भाषणों के जरिए मूल मुद्दों से लोगों का ध्यान भटकाने का आरोप

सभी देखें

नवीनतम

अयोध्या में 35 लाख से ज्‍यादा श्रद्धालुओं ने की 14 कोसी परिक्रमा

कौन है आतंकी अर्श डल्ला, जिसे कनाडा पुलिस ने किया गिरफ्तार

कांग्रेस नेता मतीन अहमद AAP में हुए शामिल

LIVE: CM विजयन पर प्रियंका गांधी वाड्रा का निशाना, कहा उन्होंने वायनाड के लिए क्या किया

Maharashtra Election : 500 में सिलेंडर, महिलाओं को 3000 और जातीय जनगणना का वादा, महाराष्ट्र के लिए MVA का घोषणा पत्र

अगला लेख
More