वाशिंगटन। दक्षिण एशिया में कोविड-19 महामारी स्वास्थ्य क्षेत्र पर चुनौतियों के मुकाबले आर्थिक मोर्चे पर कहीं बड़ा संकट लेकर आई है। यह आकलन शीर्ष अमेरिकी थिंक टैंक ने अपनी रिपोर्ट में किया है।
हडसन इंस्टीट्यूट थिंक टैंक ने शुक्रवार को नौ महीने कोविड-19 के : दक्षिण एशिया पर असर शीर्षक से रिपोर्ट जारी की, जिसके सह लेखक अमेरिका में पाकिस्तान के पूर्व राजदूत हुसैन हक्कानी और अर्पणा पांडे हैं। यह रिपोर्ट मई 2020 में जारी 30 पन्नों की रिपोर्ट कोलकाता से काबुल तक संकट: कोविड-19 का दक्षिण एशिया पर असर का अपडेटेड संस्करण है।
हक्कानी ने कहा, 'दक्षिण एशिया पर कोविड-19 के आर्थिक परिणाम इस क्षेत्र में स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों से भी अधिक साबित हो रहे हैं। विभिन्न दक्षिण एशियाई देश विभिन्न तरीकों से महामारी से निपटे हैं, लेकिन कुल मिलाकर आर्थिक कीमत स्वास्थ्य सेवाओं परिणामों से कहीं अधिक है।'
उन्होंने कहा कि इन सभी देशों में स्वास्थ्य आधारभूत संरचना की खराब स्थिति है और गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले लोगों की बड़ी संख्या है, जो स्वास्थ्य संकटों से निपटने के लिए लड़ाई को कठिन बनाते हैं।
हक्कानी ने कहा, 'सामान्य जीवन में सुरक्षित वापसी और आर्थिक गतिविधियों की बहाली सुनिश्चित करने के लिए, दक्षिण एशियाई सरकारों को मानव पूंजी के विकास पर अधिक ध्यान केंद्रित करना होगा।'
रिपोर्ट में कहा गया कि पाकिस्तान में कोविड-19 तेजी से बढ़ने के साथ मीडिया और राजनीतिक विरोधियों पर बंदिशें बढ़ रही हैं, अर्थव्यवस्था संकट में है और सेना की भूमिका बढ़ रही है।
रिपोर्ट के मुताबिक श्रीलंका में कर्ज संकट की स्थिति बद्तर हुई है और राजपक्षे बंधुओं की राजनीति और समाज पर पकड़ और मजबूत हुई है। इसी प्रकार बांग्लादेश आर्थिक रूप से क्षेत्र में दूसरा सबसे प्रभावित देश है और आय में असमानता और बढ़ी है।
भारत के बारे में कहा गया है कि अमेरिका के साथ संबंध बढ़ रहे हैं लेकिन अर्थव्यवस्था की गति धीमी पड़ गई है, विरोध की आवाज दबाई जा रही है और भारत का लोकतंत्र विश्वसनीयता की चुनौती का सामना कर रहा है।
वहीं, चीन के बारे में कहा गया कि वह इलाके के देशों के साथ अपना रणनीतिक और आर्थिक संबंध मजबूत करने में जुटा है। (भाषा)