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डेल्टा पर टीका भी बेअसर, वैक्सीन लेने वाले संक्रमितों में से 86% को बनाया शिकार

हमें फॉलो करें डेल्टा पर टीका भी बेअसर, वैक्सीन लेने वाले संक्रमितों में से 86% को बनाया शिकार
, शुक्रवार, 16 जुलाई 2021 (14:58 IST)
नई दिल्ली। कोविड-19 रोधी टीकाकरण करवाने के बावजूद संक्रमण की चपेट में आने वाले अधिकांश मामलों में संक्रमण की वजह कोरोनावायरस का डेल्टा स्वरूप है। 86.09 फीसदी में संक्रमण की वजह कोरोनावायरस का डेल्टा स्वरूप था और इनमें से महज 9.8 फीसदी मामलों में अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत पड़ी।
 
हालांकि ऐसे मामलों में से महज 9.8 फीसदी में ही अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत पड़ी तथा मृत्यु दर भी 0.4 फीसदी रही। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के एक नए अध्ययन में यह पता चला है। टीकाकरण के बाद संक्रमण होने को ‘ब्रेकथ्रू इन्फेक्शन’ कहा जाता है।
 
भारत में ‘ब्रेकथ्रू इन्फेक्शन’ यानी टीकाकरण के बाद हुए संक्रमण के मामलों की पड़ताल का यह सबसे बड़ा और पहला राष्ट्रव्यापी अध्ययन है। इसमें जो विश्लेषण हुआ है उसके मुताबिक ऐसे मामलों में चूंकि व्यक्ति का टीकाकरण हो चुका होता है इसलिए अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत कम पड़ रही है और संक्रमण से मौत के मामले भी कम आ रहे हैं।
 
अध्ययन में कहा गया, -कोविड-19 की और भयावह लहरों को आने से रोकने के लिए टीकाकरण अभियान को बढ़ाना और लोगों का जल्द से जल्द टीकाकरण करना सबसे महत्वपूर्ण रणनीति होगी। इससे स्वास्थ्य प्रणाली पर भार भी कम होगा।|
 
सार्स-सीओवी 2 के दो नए स्वरूप डेल्टा ‘एवाई.1’ और ‘एवाई.2’ की भी इस अध्ययन के नमूनों में पहचान की गई। आईसीएमआर ने कोविड रोधी टीकों कोविशील्ड और कोवैक्सीन की एक या दोनों खुराक ले चुके ऐसे 677 लोगों के नमूने एकत्रित किए जो कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए थे। ये नमूने 17 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से लिए गए।
 
अध्ययन में पता चला कि ज्यादातर ऐसे मामलों (86.09 फीसदी) में संक्रमण की वजह कोरोना वायरस का डेल्टा स्वरूप था और महज 9.8 फीसदी मामलों में अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत पड़ी। केवल 0.4 फीसदी मामलों में मरीज की मृत्यु हुई। इसमें बताया गया कि भारत के ज्यादातर हिस्सों में ऐसे मामलों की वजह डेल्टा स्वरूप है लेकिन उत्तरी क्षेत्र में कोरोना वायरस का अल्फा स्वरूप हावी है।
 
अध्ययन के लिए नमूने महाराष्ट्र, केरल, गुजरात, उत्तराखंड, कर्नाटक, मणिपुर, असम, जम्मू-कश्मीर, चंडीगढ़, राजस्थान, मध्य प्रदेश, पंजाब, पुडुचेरी, नयी दिल्ली, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और झारखंड से लिए गए। जिन लोगों के नमूने अध्ययन की खातिर लिए गए उनमें से 604 मरीजों को कोविशील्ड टीका लगा था, 71 को कोवैक्सीन और दो को साइनोफार्म टीका लगा था। (भाषा)

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