लंदन। ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने आगाह किया है कि पिछले साल दक्षिणी इंग्लैंड में सामने आए कोरोनावायरस के अत्यंत संक्रामक और ज्यादा घातक स्वरूप में बदलाव के संकेत दिख रहे हैं। परीक्षण के दौरान इंग्लैंड के कैंट क्षेत्र में मिले वायरस के स्वरूप में बदलाव का पता चला है और इसे ई484 के नाम दिया गया है। इससे पहले दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील में कोरोनावायरस के स्वरूपों में भी बदलाव का पता चला था।
ऐसी आशंका है कि वायरस के स्वरूप में आया यह बदलाव प्रतिरक्षा तंत्र को भेद सकता है और मौजूदा टीके इससे बचाव करने में कम प्रभावी रहेंगे। कैंब्रिज इंस्टीट्यूट ऑफ थेरेपेटिक इम्यूनोलॉजी एंड इन्फेक्शस डिजीज (सीआईटीआईआईडी), यूनिवर्सिटी ऑफ कैंब्रिज में हुए शोध की विश्लेषकों ने अभी समीक्षा नहीं की है। शोधकर्ताओं ने 'नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ रिसर्च' के साथ तालमेल से यह शोध किया है।
सीआईटीआईआईडी में अग्रणी शोधकर्ता रवि गुप्ता ने कहा कि सबसे ज्यादा चिंता वायरस के स्वरूप ई484 को लेकर है जिसका संक्रमण अब तक कुछ ही लोगों में मिला है। हमारे शोध में संकेत मिला है कि इस स्वरूप पर टीका कम प्रभावी होगा। उन्होंने कहा कि वायरस के इस स्वरूप में भी बदलाव आता दिख रहा है जो कि चिंता की बात है। उन्होंने कहा कि हमें वायरस के नए स्वरूप को देखते हुए अगली पीढी के टीके के हिसाब से तैयारी करनी होगी। हमें संक्रमण रोकने के लिए टीका निर्माण के काम में और तेजी लाने की जरूरत है।
शोध के मुख्य निरीक्षणकर्ता डॉ. डमी कोलियर ने कहा कि हमारे आंकड़ों से पता चलता है कि 80 से ज्यादा उम्र के लोगों में टीके की पहली खुराक के तीन हफ्ते बाद सुरक्षात्मक एंटीबॉडी नहीं मिली। लेकिन, आश्वस्त करने वाली बात यह रही कि दो खुराकें लेने के बाद वायरस से मुकाबले के लिए प्रतिरक्षा तैयार हो गई। (भाषा)