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कोरोना वायरस ने बदली दिनचर्या एवं कार्य करने का तरीका

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डॉ. रमेश रावत

, शनिवार, 28 मार्च 2020 (16:54 IST)
जयपुर। देश में कोरोना वायरस के फैलते संक्रमण से बचने के लिए हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संपूर्ण भारत लॉकडाउन के आदेश का जनता बखूबी पालन कर रही है। वहीं, दूसरी ओर घरों में रह रही जनता की दिनचर्या में भी खासा परिवर्तन आ गया है। बच्चों को देखें या बड़ों को, जवानों को देखें या वृद्धों को, सभी घरों में अपने आप को व्यस्त बनाने के लिए अनेक रचनात्मक कार्यो में जुट गए है।
 
वहीं, कामकाजी पुरुषों का घर पर रुकने से उनके घर पर पानी भरने, सब्जी काटने, खाना बनाने सहित अनेक कार्यों में महिलाओं का हाथ बंटाने से महिलाएं काफी खुश हैं। 
 
राजस्थान के सुप्रसिद्ध त्योहार गणगौर की सवारी का मुख्य बाजारों से होकर जाने की परंपरा को कोरोना वायरस के कारण ब्रेक लगाना पड़ा तो दूसरी ओर बाजारों में घेवर भी कम ही नजर आए। कई घरों में दूध की सप्लाई बाधित होने से खीर भी गायब हुई तो कई पकवान भी नहीं बने। इसका गम किसी को भी नहीं है क्योंकि सभी को कोरोना को हराना है एवं देश को बचाना है। 
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यही जज्बा सभी चेहरों से झलकता दिखाई दिया। इसी के चलते महिलाओं ने भी ईसर-गणगौर की घर में ही पूजा-अर्चना की। बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं एवं मार्च के महीने में ही गर्मियों की छुट्टियों का अहसास होने लग गया है। बच्चे टीवी पर कार्टून देखने, इनडोर गेम सांप-सीढ़ी, लूडो, कैरम आदि खेलने में व्यस्त हो रहे हैं। वहीं, दूसरी ओर बच्चों के पापा ऑफिस नहीं जा पा रहे हैं। इसके साथ ही वे काम को घर से अंजाम दे रहे हैं। बुजुर्गों का अधिकतम समय टीवी पर कथा एवं धार्मिक कार्यक्रम देखने में बीतता नजर आ रहा है।
 
अब सभी के मन में कोरोना वायरस का खौफ तो पैदा हो ही गया है एवं इससे बचने के लिए भी हर घर में उपाय किए जा रहे हैं। इसके चलते ही बड़ों का बच्चों से हर घर में यह कहते सुना जा रहा है कि साबुन से हाथ धो लो, कपड़े बदल लो, साफ जगह पर बैठो, गंदगी मत करो, खाना टाइम पर खाओ, यदि सिरदर्द, जुकाम या शरीर में किसी भी प्रकार की परेशानी है तो तुरंत बताओ। 
 
वहीं, दूसरी ओर बुजुर्गों की दिनचर्या में पूजा-पाठ का समय बहुत बढ़ गया है। अपनी एवं अपने परिवार की कोरोना वायरस से सुरक्षा के लिए ईश्वर से प्रार्थना और पूजा-पाठ करने के समय में भी बढ़ोतरी दर्ज हुई है। पहले तो जहां वाट्सअप एवं फेसबुक के कारण घर में दोस्तों, रिश्तेदारों का आवागमन बहुत कम था एवं पड़ोसियों से भी फेस टू फेस बातचीत यदाकदा ही होती थी, वहीं अब कोरोना वायरस ने तो वाट्सअप एवं फेसबुक को भी पीछे छोड़कर इन रिश्तों से दूरियां और भी बढ़ा दी हैं।
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ये अलग बात है कि कोरोना अपडेट एवं समय व्यतीत करने के लिए सभी वाट्सअप एवं फेसबुक से और ज्यादा चिपक गए हैं। किसी न किसी तरह लोग अपने आपको व्यस्त बनाने में लगे रहते हैं। 
 
वर्किंग पैरेंट्‍स सुबह एवं देर शाम को हेलो के साथ बच्चों को समय देते थे, वे अब दिन में उनके साथ खेलते हैं। उनकी हर गतिविधि के साक्षी बन रहे हैं। उनको अधिक समय देने के कारण उनकी हर तकलीफ एवं खुशी में शामिल हो रहे हैं। इससे बच्चों में भी अपने पैरेंट्‍स के साथ समय व्यतीत करने की बहुत खुशी है। 
 
चौमूं निवासी कपिल, केदार एवं लीलाधर ने बताया कि हम स्कूल नहीं जा पा रहे हैं, ऐसे में ज्यादा समय खेलने और सोने में ही व्यतीत हो रहा है। चूंकि हमारे पैरेंट्‍स भी घर पर ही हैं, ऐसे में वे न सिर्फ हमारे साथ वक्त बिता रहे हैं बल्कि पूरे समय उनका ध्यान भी हमारे ऊपर बना रहता है। 
 
कोरोना अब लोगों की बोलचाल की भाषा का अंग भी बन गया है। बाजारों में सड़कें सूनी, दुकानें बंद एवं पार्कों में से लोग गायब होकर घरों में में ही रचनात्मक कार्यों में लग गए हैं। जहां जिंदगी घर से बाहर ठहर गई तो घर में बहुत तेजी से भी चल रही है।
 
कहने का मतलब जहां पहले घर के बाहर एवं अंदर जिंदगी बैलेंस थी, वहीं अब इसमें परिवर्तन आ गया है। ऐसा होना लाजमी भी है क्योंकि कोरोना को हराने का संकल्म हर भारतीय ने जो ले लिया है। हर शख्स की जुबान पर एक ही बात है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'कोई रोड़ पर न निकले' आदेश ने लाखों भारतीयों की जान बचाई है। अब कोरोना हारेगा और हर भारत का नागरिक जीतेगा। (सभी फोटो : डॉ. रमेश कुमार रावत)

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