नई दिल्ली। देश में 1 मई से 18 साल से ऊपर के लोगों के लिए कोरोना टीकाकरण शुरू होने जा रहा है। अब तक 45 वर्ष से ज्यादा आयु वालों को ही वैक्सीन लग रही थी। इस बीच कई राज्यों ने वैक्सीन की कमी की शिकायत करते हुए वैक्सीनेशन से हाथ खींच लिए। ऐसे में यह सवाल उठ रहा है कि 1 मई से लोगों को वैक्सीन कैसे लगेगी।
बहरहाल रूस ने वैक्सीन स्पूतनिक V की बड़ी खेप भेजकर इस चिंता को दूर कर दिया है। स्पूतनिक V को मॉस्को के गामालेया इंस्टीट्यूट ने रशियन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट फंड (RDIF) के साथ मिलकर बनाया है। इसका पहला बैच भारत में 1 मई को उपलब्ध हो जाएगा। अब लोगों को कोवैक्सीन, कविशिल्ड और स्पूतनिक V में से कोई एक वैक्सीन लगाई जाएगी। आइए जानते हैं कि इन तीनों वैक्सीन की खूबियां...
कौनसा टीका कितना प्रभावी : विभिन्न रिपोर्टों के मुताबिक दोनों डोज लगवाने के बाद कोविशील्ड का औसत असर 70 फीसदी तक है। कोविशील्ड का 3 अलग-अलग देशों के 11 हजार 636 मरीजों पर ट्रायल किया गया। हालांकि यह भी कहा गया है कि 12 सप्ताह बाद इसका असर 82.4 फीसदी तक देखा गया है।
दूसरी ओर, कोवैक्सीन के तीसरे चरण के ट्रायल के बाद इसका असर 81 फीसदी तक होने का दावा किया जा रहा है। हालांकि कोवैक्सीन का ट्रायल सिर्फ भारत में 28 हजार 500 लोगों पर किया गया। आंकड़ों की मानें तो कोवैक्सीन कोविशील्ड के मुकाबले ज्यादा असरकारी दिखाई देती है।
अब तक मॉडर्ना और फाइजर की mRNA वैक्सीन ही 90% से अधिक इफेक्टिव साबित हुई हैं। इसके बाद स्पुतनिक V ही सबसे अधिक 91.6% प्रभावी रही है। स्पूतनिक V को अब तक दुनिया के 60 देशों में अप्रूवल मिल चुका है।
क्या हैं साइड इफेक्ट : तीनों ही वैक्सीन में इंजेक्शन जिस जगह पर लगा है वहां दर्द होता है। इसके अलावा सिरदर्द, थकान, उल्टी, बुखार और जोड़ों में दर्द की भी शिकायत लोगों ने की है।
कितने दिन के अंतर से लगेगा दूसरा डोज : कोवैक्सीन के 2 डोज के बीच में 28 दिन का अंतर है। कोविशिल्ड के 2 डोज के 42 से 56 दिन का अंतर है। स्पूतनिक V के 2 डोज के बीच 21 दिन का अंतर जरूरी है।