जानिए... किसे लगेगी वैक्सीन और किसे नहीं?
इस साल की 3 जनवरी को ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की कोवीशील्ड और को-वैक्सीन के आपात इस्तेमाल की मंजूरी दे दी है। को-वैक्सीन अपने तीसरे चरण के ट्रायल में है। इससे पहले ही इसके आपात इस्तेमाल की मंजूरी दी गई। भारत बायोटेक ने अभी यह भी नहीं बताया है कि यह कितनी असरदार है। हां, यह जरूर बताया है कि यह इस्तेमाल के लिए 100% सुरक्षित है।
ऐसे में वैक्सीन को लेकर कई सवाल हैं, जो आम लोगों के जेहन में हैं। आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ सवालों के जवाब जिनके बारे में जानना जरूरी है।
क्या वैक्सीन लगवाना जरूरी है?
वैक्सीन लगवाना या न लगवाना आपकी इच्छा पर निर्भर करेगा। हालांकि, सभी को यह सलाह दी जाती है कि जो भी वैक्सीन लें वे इसका पूरा कोर्स लें, ताकि उन्हें वायरस से पूरी सुरक्षा मिल सके।
क्या वैक्सीन सुरक्षित होगी?
सुरक्षा और असर पर नियामक संस्थाओं की स्वीकृति मिलने के बाद ही देश में किसी वैक्सीन की इजाजत दी जाएगी। मीडिया में देश की टॉप वैक्सीन साइंटिस्ट डॉ. गगनदीप कंग ने इस बात का जिक्र किया है कि रेगुलेटर ने इन वैक्सीन के परिणामों को जांचा-परखा है। उसके बाद ही इसे इमरजेंसी अप्रूवल दिया है।
क्या उस व्यक्ति को भी वैक्सीन लगवानी चाहिए, जिसे अभी कोरोना है या आशंका है?
नहीं, जिन्हें अभी कोरोना है या कोरोना होने की आशंका है, ऐसे लोगों को लक्षण ठीक होने के 14 दिन बाद वैक्सीन लगाई जाएगी। भारत बायोटेक की ज्वॉइंट एमडी सुचित्रा एल्ला के मुताबिक वैक्सीन का असर दिखने में 45 से 60 दिन भी लग सकते हैं। इसका मतलब है कि वैक्सीन लगने के बाद भी मास्क तो पहनना ही होगा।
क्या कोरोना से ठीक हो चुके लोगों को भी वैक्सीन लेनी होगी?
हां, कोरोना से ठीक हो चुके लोगों को भी वैक्सीन लेने की सलाह दी गई है। इससे उनका इम्यून सिस्टम और भी मजबूत होगा। उन्हें री-इंफेक्शन का खतरा कम होगा।
को-वैक्सीन और कोवीशील्ड को क्यों चुना गया है?
कोवीशील्ड ब्रिटिश कंपनी एस्ट्राजेनेका ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर बनाई है। यह वैक्सीन भारत में पुणे में अदार पूनावाला का सीरम इंस्टीट्यूट बना रहा है। ब्राजील और ब्रिटेन में इसके फेज-3 ट्रायल्स हुए थे और इसमें यह 90 प्रतिशत तक असरदार पाई गई है।
क्या भारत में वैक्सीन को स्टोर करने और देशभर में लगवाने की क्षमता है?
भारत दुनिया के सबसे बड़े वैक्सीनेशन प्रोग्राम में से एक को चलाता है। भारत के पास पूरी क्षमता है। यहां हर साल 2.6 करोड़ नवजात और 2.9 करोड़ गर्भवती महिलाओं को टीके लग रहे हैं। यह पहला मौका है जब भारत में वयस्कों को वैक्सीनेट किया जा रहा है। इसके लिए पूरे देश में ड्राई रन भी किया गया है, ताकि जब वैक्सीनेशन की प्रक्रिया शुरू हो, तब किसी तरह की दिक्कत न हो।
कैसे पता चलेगा कि आपको वैक्सीन लगेगी या नहीं?
जो वैक्सीन लगवाने के योग्य होंगे उन्हें मोबाइल पर मैसेज मिलेगा। इसमें जानकारी होगी कि उन्हें कहां और कब वैक्सीन लगाई जाएगी। रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया में असुविधा न हो, इसके लिए यह प्रक्रिया अपनाई जाएगी।
क्या रजिस्ट्रेशन कराए बिना वैक्सीन ले सकते हैं?
नहीं, वैक्सीन लेने के लिए स्वास्थ्य विभाग में रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा। रजिस्ट्रेशन के बाद ही पता चलेगा कि वैक्सीन कहां लगेगी।
रजिस्ट्रेशन के लिए क्या डॉक्यूमेंट लगेंगे?
आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, श्रम मंत्रालय द्वारा जारी हेल्थ इंश्योरेंस स्मार्ट कार्ड, मनरेगा जॉब कार्ड, एमपी, एमएलए या एमएलसी द्वारा जारी आधिकारिक पहचान पत्र, पैन कार्ड, बैंक/पोस्टऑफिस पासबुक, पासपोर्ट, पेंशन डॉक्यूमेंट, केंद्र या राज्य सरकार द्वारा जारी सर्विस कार्ड, वोटर आईडी। इनमें से किसी एक आई कार्ड और फोटो के साथ रजिस्ट्रेशन कराया जा सकेगा।
वैक्सीन लेने के लिए सेंटर पर कौन-सी आईडी दिखानी होगी?
जो आईडी कार्ड रजिस्ट्रेशन के वक्त दिखाया गया था, उसे वैक्सीन लगवाने के लिए भी साथ ले जाना होगा।
डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, कैंसर जैसी बीमारियों से ग्रस्त लोगों को वैक्सीन लेना होगी?
हां, उन्हें ज्यादा खतरा है। उन्हें वैक्सीन की जरुरत है।
वैक्सीन के कितनी डोज होंगे, कितने दिनों के अंतराल पर लगेंगे?
दो डोज लेने होंगे, 28 दिनों के अंतराल पर।