प्रदेश में कोरोना से इंदौर की लड़ाई और ज्यादा घातक हो गई है। यह तय है कि एक न एक दिन कोरोना से सभी को निजात मिलेगी ही, लेकिन इस संघर्ष में यह वायरस परिवारों में जो दंश और घाव छोड़कर रहा है, वो शायद कभी नहीं भर पाएंगे।
पिछले दिनों जनसेवा और देशभक्ति के इरादे के साथ इस लड़ाई में जुटे दो पुलिस अधिकारी देवेंद्र चंद्रवंशी और यशवंत पाल की मौत के बाद अब फरिश्तों की तरह मरीजों की सेवा करने वाली दो नर्सेस इस काल के गाल में समा गईं हैं।
प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल महाराजा यशवंतराव चिकित्सालय में पदस्थ दो नर्सों की मंगलवार रात मौत हो गई।
एमवाय अस्पताल के वार्ड 16, 17 और 26 में ये दोनों नर्से अपनी सेवाएं दे रही थीं। इस घटना से पूरे अस्पताल के साथ ही मेडिकल टीम भावुक क्षणों के दौर से गुजर रही है। वहीं उनके परिवार में शोक व्याप्त है।
दरअसल, इंदौर में कोरोना संक्रमण की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है, ऐसे में शहर में जहां पुलिस की टीम लोगों से निपट रही है, तो वहीं अस्पतालों के अंदर डॉक्टर, नर्सें और अन्य मेडिकल स्टाफ अपनी जान की परवाह किए बगैर नजर नहीं आने वाले इस दुश्मन से लगातार संघर्ष कर रही है।
इमानदारी से सेवाएं देने वाली शमीम सिस्टर और पिंकी सिस्टर की मौत से पूरे अस्पताल के साथ ही उनका साथी स्टाफ अब तक नहीं उबर पाया है।
कोरोना संघर्ष के दौरान अपनी जान गंवा चुकी दोनों सिस्टर्स के इस बलिदान को हमेशा याद रखा जाएगा, लेकिन मीडिया में उनके बारे में आई खबरों के बाद उनकी साथी सिस्टर्स बेहद भावुक और दुखी हैं। उन्होंने दोनों सिस्टर्स के बलिदान के लिए मीडिया को एक बेहद ही भावुक कर देने वाला पत्र लिखा है।
दरअसल, मीडिया में पहले यह खबर आई थी दोनों नर्सों में एक पहले से ही दिल की मरीज थी, जबकि दूसरी नर्स को भी कोई बीमारी थी। इस खबर के बाद अस्पताल की अन्य नर्सों ने बेहद दुख जताते हुए मीडिया को लिखे अपने पत्र में बताया है कि वे इस जानकारी से बेहद दुखी हैं, और चाहती हैं कि उन्हें कोरोना वॉरिअर्स की तरह देखा जाए। उनका कहना है कि दोनों नर्से अपनी जान की परवाह किए बगैर लगातार अस्पताल में सेवाएं दे रहीं थीं। वे कोरोना वॉरिअर्स थीं।
इसलिए समीम सिस्टर और पिंकी सिस्टर को कोविड फाइटर प्रशस्ति पत्र एवं मुख्यमंत्री कोविड-19 योद्धा कल्याण योजना का लाभ दिला मिलना चाहिए। ऐसा होगा तो यही उनके प्रति हम सभी की सच्ची श्रद्धांजलि होगी।