केवडिया (गुजरात)। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने शनिवार को कहा कि भारत अपने यहां कोरोनावायरस (Coronavirus) कोविड-19 महामारी के कारण हुई मौतों को पारदर्शी और कानूनी प्रक्रिया के तहत दर्ज करता है तथा देश में कोविड से हुई मौतों के विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुमान से वह सहमत नहीं है।
उन्होंने यह भी कहा कि केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण परिषद (CCHFW) के 14वें सम्मेलन में इस बाबत एक प्रस्ताव भी पारित किया गया है। तीन-दिवसीय सीसीएचएफडब्ल्यू या 'स्वास्थ्य चिंतन शिविर' के दूसरे दिन यह प्रस्ताव पारित किया गया। सम्मेलन आज संपन्न हुआ।
मांडविया ने कहा कि देश में जन्म और मृत्यु का पंजीकरण बेहद मजबूत है और यह जन्म और मृत्यु पंजीकरण अधिनियम, 1969 द्वारा वैधानिक कानूनी ढांचे के तहत संचालित है।
उन्होंने भारत में कोरोना महामारी के कारण 47 लाख लोगों की मौत संबंधी डब्ल्यूएचओ के अनुमान का जिक्र करते हुए कहा, कल सीसीएचएफडब्ल्यू के सम्मेलन के दूसरे दिन, हमने एक प्रस्ताव पारित किया कि हम भारत में कोविड से हुई मौतों के मामले में डब्ल्यूएचओ के अनुमान से सहमत नहीं हैं।
उन्होंने कहा, भारत अपने यहां हुई मौतों को एक पारदर्शी और कानूनी प्रक्रिया के माध्यम से दर्ज करता है। सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश रजिस्ट्री को सही और प्रामाणिक डेटा प्रदान करते हैं।
तीन-दिवसीय स्वास्थ्य चिंतन शिविर में राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के लगभग 25 स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्रियों की भागीदारी की सराहना करते हुए उन्होंने कहा, हम राज्यों द्वारा साझा किए गए सर्वोत्तम तौर-तरीकों के कारण ज्ञान की अंतदृष्टि से समृद्ध हुए हैं।
सहकारी संघवाद की भावना के तहत कार्य की महत्ता का उल्लेख करते हुए मांडविया ने कहा, राज्यों के लक्ष्य हमें राष्ट्रीय लक्ष्य प्रदान करते हैं। उन्होंने कहा, वे (राज्य) हमें विभिन्न नीतियों के लिए रोडमैप प्रदान करते हैं। स्वास्थ्य शिविर ने देश के लिए 'स्वस्थ परिवार' की नींव रखी है।
आइए अंत्योदय के उद्देश्य को पूरा करने और अपने नागरिकों के कल्याण के वास्ते स्वास्थ्य नीतियों के सर्वोत्तम क्रियान्वयन को सुनिश्चित करने का संकल्प लें। समाज के अंतिम छोर के नागरिकों तक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि सम्मेलन में जिन मुद्दों पर चर्चा की गई, उनमें अगले 25 वर्षों के लिए स्वास्थ्य क्षेत्र में देश की भविष्य की योजना, केंद्र और राज्यों के बीच बेहतर समन्वय, स्वास्थ्य सेवा को सस्ता और सुलभ बनाने और कोविड जैसी भविष्य की महामारी से निपटने जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे शामिल थे।
उन्होंने जोर देकर कहा कि स्वास्थ्य हमारे लिए कारोबार नहीं, बल्कि एक सेवा है। उन्होंने कहा, हील बाई इंडिया और 'हील इन इंडिया' आने वाले वर्षों में स्वास्थ्य पारिस्थितिकी के दो महत्वपूर्ण स्तंभ होंगे, जिससे भारत दुनिया के स्वास्थ्य क्षेत्र का अगुआ बनेगा।
उन्होंने कहा कि 2025 तक तपेदिक खत्म करने का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में जून में 'एक गांव गोद लो, एक मरीज गोद लो' अभियान शुरू किया जाएगा।(भाषा)