Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

कोरोना काल में क्या सही है स्कूल खोलने का फैसला, एम्स के निदेशक डॉ. गुलेरिया ने दिया यह जवाब...

हमें फॉलो करें कोरोना काल में क्या सही है स्कूल खोलने का फैसला, एम्स के निदेशक डॉ. गुलेरिया ने दिया यह जवाब...
, रविवार, 5 सितम्बर 2021 (13:27 IST)
नई दिल्ली। देश में कोरोना संक्रमण के अब भी औसतन प्रतिदिन 40 हजार से अधिक मामले सामने आने के बीच कई प्रदेशों में बच्चों के लिए स्कूल खोल दिए गए हैं। सरकारों के इस निर्णय ने एक नई चर्चा शुरू कर दी है, जहां एक वर्ग इस फैसले के समर्थन में हैं तो दूसरा खिलाफ। विशेषज्ञ इस कदम को कैसे देखते हैं? जानिए समाचार एजेंसी भाषा से बातचीत में क्या बोले एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया...
 
सवाल : देश में कोरोना वायरस संक्रमण के मामले अब भी सामने आ रहे हैं और कई प्रदेशों में बच्चों के स्कूल फिर से खोले जा रहे हैं, आप इसे कैसे देखते हैं?
जवाब : मेरा मानना है कि जिन जिलों में कोरोना के संक्रमण कम हो गए हैं तथा जहां कम संक्रमण दर है, वहां कड़ी निगरानी एवं कोविड उपयुक्त व्यवहार के साथ स्कूलों को खोलने की अनुमति दी जानी चाहिए। स्कूलों को 50 प्रतिशत उपस्थिति के साथ या अलग-अलग पाली में शुरू किया जा सकता है।
 
स्कूलों में छात्रों को हैंड सैनिटाइजर समेत कोरोना से बचाव के लिए अन्य चीजें देनी चाहिए। स्कूल उन्हीं इलाकों में खोले जाने चाहिए, जहां संक्रमण दर कम है। इसकी लगातार निगरानी की जानी चाहिए और संक्रमण दर में बढ़ोतरी पाए जाने पर स्कूलों को बंद किया जाना चाहिए। स्कूल खोलने का मतलब यह नहीं है कि उन्हें स्थायी रूप से खोल रहे हैं, इसमें जोखिम और फायदे की स्थिति का विश्लेषण किया जाए।
 
webdunia
सवाल : ऐसे समय में जब कोरोना वायरस संक्रमण की तीसरी लहर में बच्चों के प्रभावित होने की आशंका व्यक्त की जा रही है, ऐसे में स्कूल खोलना क्या उचित होगा?
जवाब : तीसरी लहर की चपेट में बच्चों के आने की बात इसलिए कही जा रही थी क्योंकि अब तक बच्चों का टीकाकरण नहीं हो पाया है। अगर हम भारत, यूरोप और ब्रिटेन में दूसरी लहर के आंकड़ों पर गौर करें तो हम पाएंगे कि बहुत कम बच्चे इस वायरस से प्रभावित हुए थे और उनमें गंभीर रूप से बीमार होने के मामले बहुत कम थे। भारत में भी कोरोना वायरस से कम बच्चे संक्रमित हो रहे हैं।
 
इसके अलावा भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) सीरो सर्वे के आंकड़े बताते हैं कि करीब 55 फीसदी बच्चों में पहले से ही वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी विकसित हो चुकी हैं। ऐसे में कोविड उपयुक्त व्यवहार एवं निगरानी के साथ स्कूल खोले जा सकते हैं।
 
सवाल : काफी संख्या में अभिभावकों ने बिना टीका लगाये बच्चों को स्कूल भेजने पर आपत्ति जतायी है, आपकी इस पर क्या प्रतिक्रिया है?
जवाब : सभी बच्चों का टीकाकरण कराने में काफी समय लगेगा और ऐसे में तो अगले साल के उतरार्द्ध तक ही स्कूल खोले जा सकेंगे। इसके बाद वायरस के नए प्रारूप का खतरा भी रहेगा। ऐसी चिंताओं के बीच तो हम स्कूल खोल ही नहीं पाएंगे। कई शहरों में स्कूल खोले जा सकते हैं लेकिन कई शहरों में नहीं खोले जा सकते हैं।
 
मसलन दिल्ली में 100 के आसपास मामले आ रहे हैं तो एहतियात एवं कोविड उपयुक्त आचरण के साथ स्कूल खोले जा सकते हैं। केरल में मामले अभी अधिक हैं, तो इस पर ध्यान देने की जरूरत है।
 
webdunia
सवाल : स्कूलों में किस प्रकार की सावधानी की जरूरत है। आपकी स्कूलों को क्या सलाह है?
जवाब : बच्चे के समग्र विकास में स्कूली शिक्षा का काफी महत्व है। स्कूलों की कक्षा में पढाई से बच्चों का सर्वांगीण विकास होता है। स्कूलों में बच्चों का शिक्षकों एवं सहपाठियों के साथ संवाद होता है। इससे उनका सामाजिक एवं नैतिक विकास होता है। स्कूलों में पूरी सावधानी बरती जाए। स्कूलों को कोरोना दिशा के पालन में कोई कोताही नहीं बरतनी चाहिए। स्कूल प्रशासन को ध्यान रखना चाहिए कि प्रार्थना, भोजनावकाश आदि के लिए एक स्थान पर बच्चों की ज्यादा भीड़ नहीं हो। शिक्षकों एवं स्कूल के सभी कर्मचारियों को टीका लगवा लेना चाहिए।
 
सवाल : काफी संख्या में अभिभावक बच्चों को स्कूल भेजने में हिचक रहे हैं, इस पर आप क्या कहेंगे?
जवाब : अभिभावकों को यह विश्वास दिलाना होगा कि हम पूरी तैयारी कर रहे हैं। कुछ समय स्कूलों में बच्चे कम संख्या में आएंगे लेकिन धीरे-धीरे अभिभावकों में विश्वास आयेगा।
 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

महाराष्ट्र के कोल्हापुर में भूकंप के झटके, कोई हताहत नहीं